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Delhi Elections 2025: दिल्ली की शकूर बस्ती विधानसभा सीट पर तीन बार से लगातार आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन विधायक हैं। हालांकि लोगों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। 

Delhi Elections 2025: दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर कभी भी तारीखों की घोषणा हो सकती है। दिल्ली में कई विधानसभा में मिक्स्ड वोटर्स हैं। ऐसी ही एक विधानसभा है शकूरबस्ती विधानसभा, जिसकी गिनती मिक्स्ड वोटर्स वाली विधानसभा सीटों में होती है। इस विधानसभा सीट पर डेढ़ लाख से ज्यादा वोटर्स हैं। आम आदमी पार्टी के विधायक सत्येंद्र जैन लगातार तीन बार से शकूरबस्ती विधानसभा सीट से ही विधायक हैं। 

कब-कब किस पार्टी को मिली जीत

बता दें कि विधानसभा गठन के बाद पहली बार इस सीट पर साल 1993 में विधानसभा चुनाव हुए। उस समय ये सीट भाजपा के हाथों में रही। 1998 और 2003 में ये सीट कांग्रेस के खाते में गई। इसके बाद साल 2008 में एक बार फिर भाजपा ने इस सीट पर वापसी की। हालांकि 2013 के चुनाव में चली आम आदमी पार्टी की हवा ने चुनावी रुख बदला और सत्येंद्र जैन ने जीत हासिल की। उन्होंने भाजपा के श्यामलाल गर्ग को हटाया था। तब से सत्येंद्र जैन लगातार तीन बार से इस सीट पर जीत हासिल कर रहे हैं। 

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वोटर्स का समीकरण

यहां एमसीडी के तीन बड़े वार्ड रानीबाग, पश्चिम विहार और सरस्वती विहार हैं। इनमें कमर्शिल एरिया के साथ ही झुग्गी वालों का भी बोलबाला है। इसके अलावा मंगोलपुरी, ज्वालाहेड़ी गांव और मार्केट के साथ ही रेलवे झुग्गी कैंप, पीरागढ़ी कैंप, पीतमपुरा, ऋषि नगर भी इसी विधानसभा सीट का हिस्सा हैं। इस विधानसभा सीट पर 1 लाख 51 हजार से ज्यादा वोटर्स हैं। इनमें लगभग 36,000 वोटर्स 30 से 40 साल की उम्र के बीच के हैं। वहीं 40 साल से 50 साल के वोटर्स की उम्र लगभग 31,500 है। 

शकूरबस्ती विधानसभा सीट पर मिक्स्ड जातीय समीकरण हैं। यहां वैश्य जाति के लगभग 13 पीसदी वोटर्स हैं। लगभग 15 फीसदी पंजाबी वोटर्स हैं। वहीं एससी वोटर्स की संख्या लगभग 23 फीसदी है। इसके साथ ही जाट, गुर्जर और मुस्लिम वोटरों की संख्या भी लगभग 6 फीसदी के आसपास है। वहीं पूर्वांचली वोटर्स पिछले तीन चुनावों से अहम भूमिका निभा रहे हैं। 

क्षेत्र में लोगों की समस्याएं

इस क्षेत्र में कई जगहों पर अनाधिकृत कॉलोनियां और जेजे क्लस्टर हैं। इस क्षेत्र के लोगों की मेन समस्या सीवर जाम और सीवर का ओवरफ्लो होना है। यहां पर गंदगी की समस्या इतनी गंभीर है कि हफ्तों यहां से कूड़ा नहीं उठाया जाता और कॉलोनियों में कूड़ा ले जाने वाले टिप्पर भी नहीं आते। अनाधिकृत कॉलोनियों में गंदगी, सीवर ओवरफ्लो के कारण गलियों में पैदल चलना भी मुश्किल है। इसके अलावा पीने के पानी की समस्या भी यहां एक बड़ा मुद्दा है।

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