Delhi AIIMS Chief statement: दिल्ली अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (Delhi AIIMS) ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख डॉ. कमरान फारूक ने दोपहिया वाहन के पीछे बैठने वाली सवारी को लेकर एक चौंकाने वाला बयान दिया है। उनका कहना है कि जो लोग दोपहिया वाहन के पीछे बैठते है, उन्हें खुद अपनी जान की परवाह नहीं है। जबकि हेलमेट पहनना कानूनी तौर पर जरूरी है। साथ ही ऐसा करना जान के लिए भी खतरनाक है।
उन्होंने अपने बयान में कहा है कि दोपहिया वाहनों के पीछे बैठने वाली 40 प्रतिशत से ज्यादा सवारियां हेलमेट नहीं पहनती हैं, ऐसे लोग सड़क दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं और कई बार उनकी मृत्यु भी हो जाती है।
#WATCH | Delhi: More than 40 percent of pillion riders do not wear helmets, and sustain serious injuries in accidents.
— ANI (@ANI) February 29, 2024
Dr. Kamran Farooque, chief of the trauma center at AIIMS said, "We found that almost 40 percent of pillion riders in motorized two-wheelers which means… pic.twitter.com/pmYaxVPm6E
हेलमेट न पहनने से जान को खतरा
दिल्ली एम्स ट्रॉमा सेंटर के डॉ. कमरान फारूक का कहना है कि हमने पाया है कि दोपहिया वाहनों और स्कूटर के पीछे बैठने वाली लगभग 40 प्रतिशत सवारियां हेलमेट नहीं पहनती हैं। एम्स में जितने भी मरीज आते हैं, उनमें लगभग 80 प्रतिशत दोपहिया वाहन चालक हेलमेट पहने हुए थे और 20 प्रतिशत चालक हेलमेट नहीं पहने हुए होते।
हेलमेट पहनना कानूनी तौर पर अनिवार्य
ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख डॉ. कामरान फारूक ने आगे कहा कि हेलमेट न पहनना पूरी तरह से कानून के खिलाफ है। फिर वो ड्राइवर हो या पीछे बैठने वाली सवारी हेलमेट पहनना जरूरी है। यह कानूनी तौर पर अनिवार्य है और उन्हें हेलमेट पहनना होगा। हम चोटों और हेलमेट के बारे में जागरूकता अभियान चलाते रहते हैं ताकि जो दोपहिया वाहन चालक और सवारी को हेलमेट जरूर पहनना चाहिए। इससे दुर्घटना में घायल होने की संभावना कम हो जाती है।