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Teachers Protest in Delhi:सर्व शिक्षा अभियान के तहत काम करने वाले महिला शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर मंगलवार को देर रात  दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।

Teachers Protest in Delhi: सर्व शिक्षा अभियान के तहत काम करने वाले महिला शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर 12 मार्च मंगलवार देर रात तक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के दौरान हाथों में बैनर लिए शिक्षकों ने दिल्ली सरकार से अपने लिए न्याय की मांग की है। धरने पर बैठी महिला शिक्षकों ने कहा, आज हम महिला शिक्षक होते हुए भी खुले आसमान के नीचे अनशन पर बैठे हुए हैं और केजरीवाल और यहां की शिक्षा मंत्री 500 मीटर की दूरी पर आराम से अपने कमरों में और महलों में सो रहे हैं। हमें सैलरी नहीं मिली है, बीते दो साल से हमें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। 

उन्होंने आगे कहा की दिल्ली के सीएम और शिक्षा मंत्री बिना सैलरी के अपना घर चलाकर दिखाएं। हम लोग मरने पर मजबूर हो गए हैं, किराए के मकान में रहते हैं और किराया भी नहीं दे पा रहे हैं। हमारा कोर्ट का ऑर्डर भी आया था कि टीजीटी को पीआरटी में कन्वर्ट नहीं कर सकते, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश को न मानते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने नियमों को नजरअंदाज किया है। अरविंद केजरीवाल इतने डिक्टेटरशिप में आ गए हैं कि उन्होंने हमें टीजीटी से प्राइमरी टीचर बनाकर एमसीडी में ट्रांसफर कर दिया है, सिर्फ यह दिखाने के लिए कि दिल्ली नगर निगम में टीचरों की कोई कमी नहीं है और सब कुछ सुचारू रूप से चल रहा है, जबकि असलियत इन सब के उलटा है।

सीएम और मंत्री नहीं आए बातचीत के लिए

शिक्षकों का कहना है कि पास में ही सीएम और मंत्री रहते हैं, लेकिन कोई अभी तक हमें यहां देखने के लिए नहीं आया है। हम लोग कोई गलत मांग नहीं कर रहे हैं। हमारी मांग जायज है, ना तो दिल्ली सरकार का कोई बड़ा अधिकारी यहां पर आया और ना ही कोई मंत्री यहां पर हमसे बातचीत के लिए आया है।  इतनी रात को हम लोग यहां पर खुले आसमान के नीचे बैठे हुए हैं।

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उन्‍होंने कहा, हम अपना घर छोड़कर सड़क पर बैठी हुई हैं, तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि हम कितने मजबूर हैं। सीएम और शिक्षा मंत्री से हमारी हाथ जोड़कर विनती है कि हमारी मांगों को सुनें और चुनावी माहौल से हटकर हम लोगों के बारे में सोचें। सरकार को शिक्षा पर भी थोड़ा बहुत ध्यान देना चाहिए और हमारी बातों पर सुनवाई करें। हम यही चाहते हैं दिल्ली सरकार सिर्फ दिखावे का महिला सशक्तिकरण की बात ना करे। ईमानदारी के साथ काम करे और हमारे साथ जो अन्याय हो रहा है उसे रोके।

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