Chandipura Virus: गुजरात के अलग-अलग इलाकों में चांदीपुरा वायरस से संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है। सोमवार को गुजरात के हिम्मतनगर अस्पताल में चांदीपुरा वायरस से 6 बच्चों की लोगों की मौत हो गई। वायरस के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा है कि इससे डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन सावधानी बरतने की जरूरत है।
12 से 15 दिन में आएगी रिपोर्ट
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि चांदीपुरा वायरस परीक्षण के लिए नमूने पुणे भेजे गए हैं, जिसकी रिपोर्ट 12 से 15 दिन में आएगी। अब तक चांदीपुरा वायरस से 6 मरीजों की मौत की खबर आ चुकी है। पुणे से सैंपल के नतीजे आने के बाद ही निश्चित रूप से कहा जा सकेगा कि ये मरीज चांदीपुरा वायरस से संक्रमित थे या नहीं।
#WATCH | Sabarkantha, Gujarat: On Chandipura Virus, Sabarkantha District Health Officer Dr Raj Sutariya says, "There are suspected 9 cases of Chandipura virus at the Himmatnagar Civil Hospital. Samples of 8 children have been collected and sent to NIB Pune. We are waiting for the… pic.twitter.com/cA4AxVGAGX
— ANI (@ANI) July 16, 2024
1965 में महाराष्ट्र में आया था पहला मामला
स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर राज्य स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावित इलाकों में सक्रिय निगरानी की है। अब तक कुल 4,487 घरों में 18,646 व्यक्तियों की जांच की जा चुकी है। वायरस के नियंत्रण के लिए कुल 2093 घरों में कीटनाशकों का छिड़काव भी किया गया है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि चांदीपुरा कोई नया वायरस नहीं है, पहला मामला साल 1965 में महाराष्ट्र से सामने आया था। उसके बाद गुजरात में भी यह संक्रमण पाया गया। उन्होंने कहा कि यह संक्रमण आमतौर पर बरसात के मौसम में देखने को मिलता है।
चांदीपुरा वायरस के लक्षण
खास तौर पर 9 महीने से 14 साल की उम्र के बच्चों में यह संक्रमण पाया जाता है। खास तौर पर यह ग्रामीण क्षेत्रों में इस वायरस का संक्रमण ज्यादा देखने को मिलता है। यदि बाल रोगियों में उच्च श्रेणी के बुखार, उल्टी, दस्त, सिर दर्द और ऐंठन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, तो तत्काल एक चिकित्सक को रेफर करें। गुजरात में अब तक 12 मामले पाए गए हैं। जिसमें 6 मरीजों का इलाज चल रहा है और 6 की मौत हो गई है।
क्या होता है चांदीपुरा वायरस
चांदीपुरा वायरस एक दुर्लभ और खतरनाक बीमारी है जो बुखार, फ्लू जैसे लक्षणों और तीव्र एन्सेफलाइटिस का कारण बनता है। यह मुख्य रूप से मच्छरों, टिक्स और सैंडफ्लाइज के माध्यम से फैलता है।