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Congress-AAP Seat-Sharing Updates: मुमताज पटेल ने कहा कि गठबंधन में भरूच लोकसभा सीट सुरक्षित नहीं कर पाने के लिए मैं अपने जिला कैडर से गहराई से माफी मांगती हूं। मैं आपकी नाराजगी को ऊपर तक पहुंचाऊंगी।

Congress-AAP Seat-Sharing Updates: आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो गया है। पंजाब को छोड़कर गुजरात, हरियाणा, गोवा में दोनों पार्टियां साथ लड़ेंगी। हालांकि अब बगावती सुर भी उठने लगे हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे अहमद पटेल की बेटी मुमताज पटेल ने गुजरात संसदीय चुनावों के लिए आप और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे पर निराशा और नाराजगी जाहिर की है। बंटवारे में कांग्रेस का पारंपरिक गढ़ रही भरूच सीट के आप के हाथों में चली गई है। 

मुमताज पटेल ने कहा कि गठबंधन में भरूच लोकसभा सीट सुरक्षित नहीं कर पाने के लिए मैं अपने जिला कैडर से गहराई से माफी मांगती हूं। मैं आपकी नाराजगी को ऊपर तक पहुंचाऊंगी। हम सब मिलकर कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए फिर से संगठित होंगे। हम अहमद पटेल की 45 साल की विरासत को व्यर्थ नहीं जाने देंगे।

आप ने पहले ही उतार दिया था अपना उम्मीदवार?
भरूच लोकसभा सीट से आम आदमी पार्टी ने जनवरी में अपने उम्मीदवार का ऐलान किया था। पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल 6 जनवरी को गुजरात में थे। 7 जनवरी को उन्होंने भरूच के नेत्रंग में रैली के दौरान मौजूदा विधायक चैतर बसावा के नाम का ऐलान लोकसभा उम्मीदवार के रूप में किया था। 

पार्टी में बगावत की संभावना
भाजपा ने लगातार सात बार भरूच सीट पर जीत हासिल की है। जिससे यह सीट विपक्षी दलों के लिए एक महत्वपूर्ण युद्ध का मैदान बन गई है। कई महीनों से अटकलें लगाई जा रही थीं कि भाजपा के प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए कांग्रेस अहमद पटेल के बच्चों फैसल पटेल या मुमताज पटेल में से किसी एक को मैदान में उतारेगी। लेकिन सीट-बंटवारे की व्यवस्था ने न केवल मुमताज पटेल और कांग्रेस के जिला कैडर को निराश किया है, बल्कि पार्टी के भीतर भी चिंताएं बढ़ा दी हैं। आम आदमी पार्टी अब गुजरात में भरूच और भावनगर से चुनाव लड़ेगी।

जब इंदिरा-राजीव हारे तब जीते थे अहमद पटेल
बात 1977 की है। इमरजेंसी के बाद लोकसभा चुनाव हुए तो उस समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को रायबरेली से तो उनके बेटे संजय गांधी को अमेठी से चुनाव हारना पड़ा था। उस समय अहमद पटेल ने भरूच से चुनाव जीता था। अहमद पटेल ने 8 बार सांसदी का चुनाव जीता था। वह 1977 से 1989 तक तीन बार लोकसभा सदस्य और 1993 से 2000 के बीच पांच बार राज्य सांसद रहे। 25 नवंबर 2020 को करोना संक्रमण के चलते उनकी मौत हो गई थी। 

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