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हरियाणा की अंबाला शहर विधानसभा सीट के 56 साल के इतिहास में यहां से निर्वाचित हुए दो विधायकों को सरकार में मंत्री बनने का मौका मिला। जबकि तीन विधायकों को डिप्टी स्पीकर बनने का गौरव हासिल है।

अंबाला: राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी है। सभी राजनैतिक दलों में चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवार टिकट के लिए अपनी गोटियां फिट करने में जुटे हैं। अंबाला शहर विधानसभा सीट के 56 साल के इतिहास में यहां से निर्वाचित हुए दो विधायकों को सरकार में मंत्री बनने का मौका मिला। जबकि तीन विधायकों को डिप्टी स्पीकर बनने का गौरव हासिल है। बदली सियासी हवा में इस बार कांग्रेस में टिकट के लिए सबसे ज्यादा मारामारी है।

प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की संभावना

10 साल से सत्ता से बाहर चल रहे कांग्रेसी नेताओं को इस बार प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने की पूरी संभावना है। इसी वजह से टिकट के लिए सबसे ज्यादा घमासान इस बार अंबाला शहर विधानसभा सीट में देखने को मिल रहा है। टिकट के लिए इस विधानसभा से अबकी बार 37 नेताओं ने आवेदन किया है। आवेदन करने वालों में कुछ भाजपा नेता भी बताए जा रहे हैं। हालांकि दस साल तक कांग्रेस से दूर रहने वाले ये आवेदक अब खुद को पुराने कांग्रेसी बता रहे हैं। आवेदकों में कई ऐसे भी है, जो नगर निगम चुनाव में लचर प्रदर्शन करने के बावजूद एमएमएल का चुनाव लड़ना चाहते हैं।

इन नेताओं ने किया आवेदन

अंबाला शहर विधानसभा सीट से सबसे बड़ा नाम कांग्रेस के दिग्गज नेता चौधरी निर्मल सिंह का है। कांग्रेस की टिकट पर पिछला चुनाव लड़ चुके पूर्व विधायक जसबीर मलौर, हिम्मत सिंह के अलावा चेतन चौहान, रोहित जैन, डिप्टी मेयर राजेश मेहता, पवन अग्रवाल, निगम सदस्य मिथुन वर्मा, बलविंद्र सिंह पुनिया, हरजिंद्र सिंह पुनिया, कर्मजीत कौर, अशोक बूंदी वशिष्ठ, हरपाल सिंह मच्छौंडा, हरदीप कौर, मोहन सिंह भानोखेड़ी, अर्जुन सिंह, प्रियंका जैन, वीरेंद्र दीक्षित, सुरज रश्मि शर्मा, निगम सदस्य मेघा गोयल, जगदीप सिंह जग्गा, वीरेंद्र कुमार, विजय कुमार धीमान, देवेंद्र वर्मा, गुरसिमरन सिंह, विजय पाल, प्रीतपाल अंटाल, मंजू सिंह, हरबीर महल, गुरतेज सिंह अंटाल, सुखविंद्र सिंह जैलदार, अमीषा चावला, अनिल राणा, संजय कुमार गोयल, मनीष सिंगला, रमनजीत कौर व परमजीत सिंह शामिल हैं।

सैलजा-हुड्डा गुट में कांटे की टक्कर

टिकट के लिए अंबाला शहर विधानसभा सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा व पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट के नेताओं के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिल रहा है। दोनों ही गुटों की ओर से नेताओं ने टिकट मांगी है। पूर्व मंत्री निर्मल सिंह, पूर्व विधायक जसबीर मलौर, हिम्मत सिंह, डिप्टी मेयर राजेश मेहता, अमीषा चावला समेत कई नेता हुड्डा के खाते से टिकट मांग रहे हैं। वहीं राष्ट्रीय कांग्रेस के सचिव चेतन चौहान, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व कोषाध्यक्ष एडवाकेट रोहित जैन, बलविंद्र पुनिया, हरजिंद्र पुनिया, निगम सदस्य मेघा गोयल सैलजा के खाते से टिकट के लिए दावेदारी जता रहे हैं। यहां के लिए सीधी टक्कर पूर्व मंत्री निर्मल सिंह, रोहित जैन, चेतन चौहान, राजेश मेहता के बीच दिख रही है।

आठ बार खिला कमल, पांच बार कांग्रेस

संयुक्त पंजाब से अलग होकर बने हरियाणा में सात जिले ही होते थे। इनमें अंबाला भी शामिल था। तब से लेकर अब तक हरियाणा विधानसभा के कुल 13 आम चुनाव हुए हैं। इनमें शहर हल्के से 8 बार भाजपा और 5 बार कांग्रेस का प्रत्याशी विजयी होकर विधायक बने हैं। रोचक बात यह भी है कि शहर विधानसभा हलके से बीते 56 वर्षों में केवल दो बार ही स्थानीय विधायक को प्रदेश सरकार में मंत्री बनने का मौका मिला। मार्च, 2005 में जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। तब उन्होंने पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने विनोद शर्मा को पॉवरफुल मंत्री बनाया था। मौजूद राज्य सरकार में अंबाला शहर से विधायक असीम गोयल को सरकार में परिवहन एवं महिला विकास राज्यमंत्री बनने का गौरव हासिल हुआ है।

यह तीन विधायक बने डिप्टी स्पीकर

वर्ष 1968 और 1972 के आम चुनावों में शहर से दो बार कांग्रेस विधायक बनी लेखवती जैन, 1991 में चुनाव जीते कांग्रेस के सुमेर चंद भट्ट और 1996 में बने भाजपा विधायक फकीर चंद अग्रवाल तीनों विधानसभा के डिप्टी स्पीकर (उपाध्यक्ष ) के पद पर पहुंच पाए थे। शहर से लगातार तीन बार 1977, 1982 और 1987 में पहले जनता पार्टी और फिर भाजपा से विधायक बने मास्टर शिव प्रसाद और 2000 में भाजपा से विधायक बनी वीना छिब्बर को सरकार में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई।

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