फर्जी फर्म के जरिए करोड़ों रुपये का खेल :अंबाला में रहने वाले एक युवक के साथ हुआ साइबर ठगी का मामला अब करोड़ों रुपये के लेन-देन तक पहुंच चुका है। यह ठगी कोई मामूली स्कैम नहीं, बल्कि एक ऐसे नेटवर्क का हिस्सा है जिसने युवक की पहचान और दस्तावेजों का दुरुपयोग कर दिल्ली में एक फर्जी फर्म खड़ी कर दी। इस फर्म के जरिए अब तक करोड़ों रुपये का लेन-देन हो चुका है, लेकिन 7 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं।
नौकरी के नाम पर लूटे दस्तावेज
यह पूरा मामला अंबाला जिले के नन्हेड़ी गांव निवासी रविंद्र के साथ जुड़ा हुआ है, जो स्थानीय सीएचसी सेंटर में काम करता है। वर्ष 2022 में उसने सोशल मीडिया पर एक नौकरी से संबंधित विज्ञापन देखा। बेहतर अवसर की उम्मीद में रविंद्र ने विज्ञापन में दिए गए लिंक पर क्लिक किया और मांगी गई जानकारी साझा कर दी। इसके बाद साइबर ठगों ने फोन कर उसे नौकरी के लिए जरूरी बताते हुए उसके ओरिजिनल दस्तावेज मांग लिए — जैसे कि आधार कार्ड, पैन कार्ड, फोटो और शैक्षिक प्रमाण पत्र। रविंद्र ने बिना किसी संदेह के सारे दस्तावेज भेज दिए।
फर्जी फर्म का खुलासा ITR के दौरान
करीब तीन साल तक रविंद्र को इस पूरे खेल की भनक तक नहीं लगी, लेकिन हाल ही में जब वह आयकर रिटर्न (ITR) भरने के लिए अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) के पास पहुंचा, तो वह हैरान रह गया। उसके CA ने उसे बताया कि उसके दस्तावेजों के आधार पर दिल्ली में एक कंपनी चल रही है, जिसमें करोड़ों रुपये का वित्तीय लेन-देन हो चुका है। रविंद्र के होश उड़ गए। उसे समझ ही नहीं आया कि उसके नाम पर यह सब कब और कैसे हुआ। तत्काल ही उसने स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दी, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज करने में टालमटोल की।
मंत्री के हस्तक्षेप के बाद दर्ज हुई FIR
थक हार कर रविंद्र ने हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज से मुलाकात की और अपनी आपबीती सुनाई। मंत्री ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक और संबंधित थाना प्रभारी को तत्काल एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए। इसके बाद जाकर पुलिस ने केस नंबर दर्ज कर छानबीन शुरू की।
मामला गंभीर साइबर अपराध की श्रेणी में आता है
पुलिस प्रवक्ता के मुताबिक यह मामला गंभीर साइबर अपराध की श्रेणी में आता है। फर्जी फर्म के पते, बैंकिंग ट्रांजेक्शंस और अन्य डिजिटल गतिविधियों को खंगाला जा रहा है। फर्म से जुड़े मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर डाला गया है और दस्तावेज एकत्र करने वालों की पहचान के लिए साइबर सेल की मदद ली जा रही है। एक टीम दिल्ली और आसपास के संभावित इलाकों में संदिग्धों की तलाश में रवाना की गई है।
पहले भी ऐसे मामले आ चुके हैं सामने
यह कोई पहली बार नहीं है जब किसी व्यक्ति की पहचान का दुरुपयोग कर फर्जी कंपनियों का संचालन किया गया हो, लेकिन इस मामले की गंभीरता इसलिए ज्यादा है क्योंकि इसमें करोड़ों रुपये का फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन सामने आया है, जिससे युवक का करियर और कानूनी स्थिति दोनों खतरे में पड़ सकती है।