अंबाला: उतर रेलवे व रेलवे मंत्री अंबाला-सहारनपुर ट्रैक पर चलने वाली ट्रेनों के संचालन, सुरक्षा व अन्य मामलों को लेकर गंभीर नहीं हैं। चार महीने का लंबा समय बीत जाने के बाद भी अभी तक रेलवे के आला अफसरों ने लोगों की मांगों पर कोई संज्ञान नहीं लिया। गाड़ी संख्या 04501/04502 को मार्च 2024 को सहारनपुर की बजाय हरिद्वार तक कर दिया, लेकिन इससे ट्रेन में आए दिन यात्रियों की संख्या बढ़ने के मामले पर कोई कदम नहीं उठाया। इससे रेल यात्रियों में रोष है।
ट्रेन में नहीं मिल रही सीट
ट्रेन में आए दिन बढ़ती लोगों की भीड़ के कारण रेल यात्रियों को कई बार हरिद्वार, सहारनपुर से अंबाला तक का पूरा सफर खड़े होकर करना पड़ता है। दूसरी ओर सहारनपुर से अंबाला के बीच पड़ने वाले स्टेशनों से चढ़ने वाले यात्रियों को भी भीड़ के कारण परेशानी होती है। चार महीने का समय बीतने के बाद भी न तो इस ट्रेन में डिब्बों की संख्या बढ़ाई और न ही इसके रैक को चेंज किया गया। अभी तक लोग अंबाला-सहारनपुर रेलवे लाईन पर कोरोना काल से बंद पड़ी ट्रेनों को चलवाने के लिए कई बार एकजूट होकर सरकार से मांग कर चुके है, लेकिन रेलवे की ओर से बंद पड़ी ट्रेनों को अभी तक नहीं चलाया गया।
डिब्बों की संख्या बढ़ाना जरूरी
दैनिक यात्री वीरेन्द्र कुमार, मनोज कुमार ने कहा कि पहले यह गाड़ी सहारनपुर से ऊना (हिमाचल) तक चलती थी, जिसमें भीड़ कम होती थी। लेकिन जब से रेलवे की ओर से इस ट्रेन का रूट सहारनपुर से बढ़ाकर हरिद्वार तक कर दिया है। उसके बाद से ट्रेन में यात्रियों की भीड़ काफी बढ़ गई। जिस हिसाब से इस ट्रेन में भीड़ बढ़ी है, उस हिसाब से रेलवे ने गाड़ी में डिब्बों की संख्या नहीं बढ़ाई। इसके कारण इस ट्रेन से सफर करने वाले दैनिक यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
छह महीने पहले हरिद्वार तक की ट्रेन सेवा
रेलवे ने बीती एक मार्च 2024 से ऊना-हिमाचल-सहारनपुर स्पेशल ट्रेन संख्या (04502/04501) का हरिद्वार तक विस्तार करने का निर्णय लिया था लेकिन बाद में इसे 4 मार्च से शुरू किया गया। हिमाचल प्रदेश के सांसद अनुराग ठाकुर ने इस ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर हरिद्वार के लिया रवाना किया था। उसके बाद से यह ट्रेन प्रतिदिन हरिद्वार जा रही है लेकिन जब से इस ट्रेन का विस्तार सहारनपुर से हरिद्वार तक किया गया तो इसमें बड़ी संख्या में लोग यात्रा करने लगे और ट्रेन में भीड़ होने लग गई। ऐसे में यात्रियों को भीड़ में खड़े होकर सफर करने को मजबूर होना पड़ रहा है।