आंधी के दौरान बिजली के तार आपस में टकराए : फरीदाबाद के बल्लभगढ़ क्षेत्र में शुक्रवार शाम तेज आंधी के चलते हुए हादसे ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। फतेहपुर बिल्लोच, लड़ौली और शाहपुरा कला गांवों में करीब 40 से 50 खेत आग की चपेट में आ गए, जिसमें किसानों की खड़ी और कटी हुई गेहूं की फसल जलकर राख हो गई। इस घटना से क्षेत्र में हड़कंप मच गया और किसानों के चेहरों पर मायूसी छा गई।
चिंगारी से फैली आग, आंधी ने बढ़ाया खतरा
जानकारी के अनुसार शुक्रवार शाम करीब 7:30 बजे अचानक मौसम बदला और क्षेत्र में तेज आंधी शुरू हो गई। हवा की गति इतनी तेज थी कि बिजली के तार आपस में टकराने लगे। स्थानीय लोगों ने बताया कि इन्हीं टकराते तारों से निकली चिंगारी ने खेतों में आग लगाने का काम किया। चूंकि इस समय खेतों में ज्यादातर गेहूं की फसल या तो खड़ी थी या कट चुकी थी, आग ने जल्दी से इन सूखी फसलों को अपनी चपेट में ले लिया।
40 से 50 खेतों में तबाही, किसान बेबस
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, आग पहले एक खेत में लगी, लेकिन तेज हवा की वजह से आग ने कुछ ही मिनटों में आसपास के 40 से 50 खेतों को अपनी गिरफ्त में ले लिया। खेतों में रखी फसलें देखते ही देखते जलकर खाक हो गईं। किसानों ने बचाव की कोशिशें जरूर कीं, लेकिन आग की गति इतनी तेज थी कि कोई भी प्रयास कारगर नहीं हो सका।
फायर ब्रिगेड की चार गाड़ियां मौके पर पहुंचीं
घटना की सूचना मिलते ही सदर बल्लभगढ़ थाना पुलिस और फायर ब्रिगेड की चार गाड़ियां घटनास्थल पर पहुंचीं। लगभग 45 मिनट की कड़ी मशक्कत के बाद फायर ब्रिगेड की टीम ने आग पर काबू पाया। हालांकि, तब तक काफी फसल जल चुकी थी और किसानों को भारी नुकसान हो चुका था।
प्रशासन कर रहा जांच, किसान मांग रहे मुआवजा
फिलहाल प्रशासन ने घटना की जांच शुरू कर दी है और आग लगने के सही कारणों की पुष्टि करने में जुटा है। शुरुआती जांच में बिजली के तारों से निकली चिंगारी को आग का कारण माना जा रहा है। स्थानीय किसान प्रशासन से मुआवजे की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस आग ने उनकी सालभर की मेहनत को कुछ ही पलों में तबाह कर दिया और अब उनके पास अगले सीजन के लिए कोई साधन नहीं बचा है।
क्या कहते हैं किसान
शाहपुरा कला गांव के किसान रमेश ने बताया- मैंने अपनी पूरी फसल काटकर खेत में रखी थी, बस ट्रैक्टर से घर लाने ही वाला था कि आग लग गई। कुछ नहीं बचा। हम गरीब किसान हैं, सरकार हमारी मदद करे। वहीं, लड़ौली गांव के सुरेंद्र का कहना है, "हर साल की तरह हमने मेहनत की थी, पर प्राकृतिक आपदा और लापरवाही की वजह से हमारी मेहनत बर्बाद हो गई। बिजली विभाग को चाहिए कि वो समय-समय पर तारों की जांच करे ताकि ऐसी घटनाएं न हों।
बल्लभगढ़ की यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि किसानों के जीवन पर सीधा असर डालने वाली त्रासदी है। मौसम की मार और तकनीकी लापरवाही का यह मिला-जुला रूप किसानों को आर्थिक और मानसिक दोनों रूपों में नुकसान पहुंचा रहा है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन कितनी तत्परता से किसानों को राहत प्रदान करता है और क्या कोई स्थायी समाधान भी इस दिशा में निकाला जा सकेगा।