Faridabad News: हरियाणा और यूपी में यमुना नदी के साथ लगे हुए क्षेत्रों में सीमा विवाद करीब 50 वर्षों से चला आ रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि इस विवाद को खत्म करने के लिए पिलर तैयार किए जा रहे हैं। इसके लिए पीडब्ल्यूडी ने टेंडर की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। पिलर बनाने के लिए करीब एक करोड़ 10 लाख 75 हजार रुपये खर्च करने की संभावना जताई जा रही है। टेंडर प्रक्रिया पूरे होने के बाद अगले महीने से पिलर बनाने का काम शुरू हो जाएगा। इस काम को 6 महीने में पूरा करने का टारगेट रखा गया है।
जमीन के लिए रहता है विवाद
यमुना नदी हरियाणा और यूपी के बीच विभाजन का काम करती है। बारिश के मौसम में यमुना नदी का जलस्तर बढ़ जाता है। जब ऐसा होता है तो यमुना की धारा बदल जाती है। इस जमीन पर अक्सर कब्जे और फसल को लेकर विवाद चलता रहता है। इस विवाद को सुलझाने के लिए राजस्व अधिकारी हर साल जमीन का माप भी करवाते हैं। लेकिन विवाद का कोई ठोस हल नहीं निकल पाता है। यह समस्या केवल फरीदाबाद में नहीं बल्कि यमुना सहित पूरे हरियाणा क्षेत्र में है।
पिलर खड़े किए जाएंगे
इस समस्या के निपटान के लिए सर्वे ऑफ इंडिया से इंटर स्टेट बॉर्डर का सर्वे कराया गया था। सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में यह सामने आया था कि यमुना के साथ इंटर स्टेट बॉर्डर पर पिलर खड़े करना जरूरी है। पहले भी करनाल में हरियाणा सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पिलर खड़े किए थे। जिसमें सफलता मिली थी। जिसके बाद यह फैसला लिया गया था कि दूसरी जगहों पर भी पिलर खड़े करना जरूरी है।
फरीदाबाद में यमुना की लंबाई लगभग 25 किलोमीटर है। इसके दोनों तरफ यूपी व हरियाणा के करीब 52 गांव है। इस हिस्से में पिलर लगाने के लिए खास तरह के पिलर डिजाइन किए गए हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि इस काम के लिए करीब 70 फीट के पिलर बनाए जाएंगे। इन 70 पिलर में 50 फीट जमीन के नीचे और 20 फीट जमीन के ऊपर पिलर बनाए जाएंगे। पीडब्ल्यूडी अधिकारियों का कहना है कि पिलर बनाने का काम इवन ऑड सिस्टम के अनुसार होगा। पीडब्ल्यूडी लगभग 150 पिलर तैयार करेगा। यूपी की तरफ से भी उतने ही पिलर तैयार किए जाएंगे।