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हरियाणा के फतेहाबाद में पराली जलाने के मामलों में कमी आई है। पराली से सीएनजी व खाद बनाने का प्लांट हांसपुर में जल्द शुरू होने जा रहा है। ऐसे में किसानों को भी फसल अवशेषों से छुटकारा मिलेगा और बदले में रुपए भी मिलेंगे।

फतेहाबाद: धान की कटाई के साथ-साथ जिले में फसल अवशेषों के प्रबधंन का काम भी तेज हो गया है। जल्द ही किसान रबी फसल की बिजाई का काम शुरू कर देंगे और इसकी तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। इस बार राहत की बात यह है कि पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने के काफी कम केस सामने आए हैं। इसका मुख्य कारण है कि इस बार जिले में धान की फसल के अवशेषों से बिजली, सीएनजी व खाद बननी शुरू हो जाएगी। फसल अवशेष लेने के लिए अब तक तीन कंपनियों ने किसानों से कृषि विभाग के माध्यम से सपंर्क किया है।

भूना में पावर प्लांट ने शुरू किया काम

भूना में लगे पावर प्लांट के अपने 26 बैलर फील्ड में फसल अवशेषों की गांठ बनानी शुरू भी कर चुके हैं, जिससे बिजली बनाई जाएगी। इसके अलावा हासंपुर में लगाया जा रहा पराली से सीएनजी व खाद बनाने का प्लांट भी इस बार शुरू हो जाएगा। हालांकि पहले चरण में यह प्लांट सिर्फ एक लाख क्विंटल गांठों की ही खरीद करेगा। इसके अलावा सुखबीर एग्रो कंपनी किसानों व बैलर संचालकों से 5 लाख क्विंटल गांठों की खरीद करेगी। बता दें कि जिले की कंपनियों द्वारा फसल अवशेषों की खरीद करने के अलावा बेलर संचालक यहां गांठें बनाकर महेंद्रगढ़ जिले के प्लांट में भी भेज रहे हैं।

280 रुपए प्रति क्विंटल बिक रही गांठ

महेंद्रगढ़ में फसल अवशेषों की गांठें 280 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक रही हैं। सुखबीर एग्रो कंपनी अपनी 5 लाख क्विंटल गांठों का स्टॉक भूना स्थित शुगर मिल की जमीन में करेगी। कृषि विभाग ने जिले में उपलब्ध फसल अवशेष प्रबंधन यंत्रों के हिसाब से जिले में इस सीजन डेढ़ लाख एकड़ में एक्स सीटू यानि फसल अवशेषों की गांठें बनाने का लक्ष्य रखा है तथा बाकी करीब 2 लाख एकड़ में इन सीटू यानि अवशेषों को जमीन में ही मिलाने का टारगेट तय किया गया है।

इस बार प्रयोग नहीं होगा डी-कंपोजर

धान के अवशेषों के प्रबंधन के लिए इस बार डी-कंपोजर का प्रयोग नहीं किया जाएगा। डी-कंपोजर एक स्प्रे है जिससे फसल अवशेष गल जाते हैं और जमीन में आसानी से मिल जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें टाइम भी अधिक लगता है तथा रिजल्ट भी कम है। विशेषज्ञों की सिफारिश पर ही विभाग इस बार डी-कंपोजर का छिड़काव नहीं करवाएगा। कृषि विभाग द्वारा किसानों को 200 बेलर व 2480 सुपर सीडर मशीने सब्सिडी पर दिए हुए हैं, इनके अलावा 26 बेलर भूना पावर प्लांट के अपने स्तर पर फसल अवशेषों का प्रबंधन कर रहे हैं। 3 बेलर व अन्य यंत्र कृषि विभाग ने किसानों को प्रति माह किराये के हिसाब से दिए हैं जो 4500 एमटी गांठें बनाएंगे।

अब तक 4776 किसानों ने करवाया पंजीकरण

फसल अवशेषों का प्रबंधन करने वाले किसानों को विभाग प्रति एकड़ एक हजार रुपए प्रोत्साहन देगा, इसके लिए किसानों को ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना होगा। अब तक जिले के 4776 किसानों ने 43 हजार 611 एकड़ भूमि का प्रोत्साहन राशि के लिए पंजीकरण करवाया है। इनमें से 1811 किसानों ने 15 हजार 367 एकड़ में अवशेषों को भूमि में मिलाया है जबकि 3027 किसानों ने 28 हजार 244 एकड़ अवशेषों की गांठें बनवाई हैं। इन किसानों के खेतों की विभाग वेरिफिकेशन भी कर रहा है।

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