सुरेन्द्र असीजा, फतेहाबाद: किसानों द्वारा जमकर पराली जलाने के कारण सोमवार को क्षेत्र का वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक श्रेणी में पहुंचकर 400 को क्रॉस कर गया। सोमवार सुबह सूर्य उदय हुआ तो उसकी रोशनी की जगह वातावरण में स्मॉग फैला हुआ था। यानि धुंए ने सारा वातावरण प्रदूषित कर रखा था। यह धुंआ फतेहाबाद जिले के किसानों की देन नहीं, बल्कि साथ लगते पंजाब क्षेत्र में किसानों द्वारा जलाई गई पराली का है, जिस कारण यहां ऐसे भयावह हालात बने हुए हैं। बताते चले कि बीते वर्ष फतेहाबाद जिले में पराली जलाने के 600 से अधिक मामले सामने आए थे जबकि इस साल अब तक मात्र 67 ही फायर लोकेशन मिली है।
किसानों पर 62 हजार 500 रुपए ठोका जुर्माना
हरसेक ने सेटेलाइट के माध्यम से फतेहाबाद की 67 ऐसी लोकेशन कृषि विभाग को भेजी, जहां पर पराली जलाई गई थी। इसमें कृषि विभाग ने किसानों पर करीब 62 हजार 500 रुपए का जुर्माना भी ठोका है। हरसेक ने सैटेलाइट से 67 आगजनी की लोकेशन कृषि विभाग को भेजी थी। विभाग की टीमें जब मौके पर पहुंची तो 10 जगह आग नहीं पाई गई, जबकि 2 जगह गैर एग्रीकल्चर स्थानों पर आग मिली। सोमवार को यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक यानि एक्यूआई 400 को भी पार कर गया। पराली जलाने पर कृषि विभाग द्वारा चार एफआईआर दर्ज करवाई गई है। इसके साथ ही नामजद किसानों की संख्या 20 हो गई है।
स्मॉक के कारण सांस लेना हुआ मुश्किल
क्षेत्र में हालात यह है कि सुबह उठो तो आसमान में स्मॉग व धुंए के कारण सांस लेना भी मुश्किल होता जा रहा है। सुबह सैर करने वालों के लिए यह वार्निंग है कि अब उन्हें मार्निंग वॉक बंद करनी पड़ेगी, नहीं तो फायदे की जगह नुकसानदायक साबित हो सकता है। खासकर हार्ट, दमा, टीबी, किडनी के मरीजों को अपना अधिक ध्यान रखना होगा। ऐसे मौसम में उच्च रक्तचाप, मधुमेह के रोगियों को हार्ट-ब्रेन अटैक का खतरा रहता है। सोमवार को फतेहाबाद में एयर क्वालिटी इंडक्स पिछले दिनों की तरह खतरनाक स्तर पर रहा। किसान न मानें या प्रशासन ने सख्ती न की तो एक्यूआई बढ़कर 500 पार तक जा सकता है।
फैक्ट्रियों व ईंट भट्ठों से निकल रहा जहरीला धुंआ
नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि इन दिनों स्मॉग के कारण आंखों में जलन के मरीजों की ओपीडी बढ़ी है। बीमार लोगों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों को धुंए-स्माग के वातावरण में निकलने से परहेज करना चाहिए। अति आवश्यक कार्य से बाहर निकलना पड़े तो मास्क पहनें। आंखों के बचाव के लिए चश्मा पहन सकते हैं। नागरिक अस्पताल में भी स्माग छाने के बाद आंखों में जलन के मामले बढ़े हैं। वहीं कचरे में लगी आग, प्लास्टिक की पाइप फैक्ट्रियों व ईंट भट्ठों से निकलने वाला धुआं भी वातावरण को जमकर नुकसान पहुंचा रहा है।