रतिया/फतेहाबाद: तीन माह पूर्व जिला उपायुक्त द्वारा दसवीं कक्षा के फर्जी प्रमाण पत्र के चलते सस्पेंड किए गए गांव लाम्बा के सरपंच गुरदेव सिंह को हाई कोर्ट द्वारा उपायुक्त के निर्णय पर स्टे लगाए जाने के चलते खंड विकास पंचायत अधिकारी द्वारा आगामी निर्देशों तक पुन: कार्यभार सौंप दिया है। खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी हनीश कुमार ने बताया कि अप्रैल माह में उपायुक्त के निर्देशों के बाद गांव लाम्बा के सरपंच गुरदेव सिंह को सस्पेंड किया गया था। चायत का पूर्ण रिकार्ड भी वापस ले लिया था लेकिन गत दिनों हाई कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के बाद लाम्बा के सरपंच गुरदेव सिंह को कार्यभार सौंपा गया है।
उपायुक्त ने फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर सस्पेंड करने के दिए थे निर्देश
बता दें कि 8 अप्रैल को उपायुक्त राहुल नरवाल द्वारा खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी को निर्देश दिए कि फर्जी दसवीं के प्रमाण पत्र के आधार पर धोखाधड़ी से सरपंच बनने वाले गांव लाम्बा के सरपंच गुरदेव सिंह को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करते हुए उसके पास पड़े गांव की पंचायत के पूर्ण रिकॉर्ड को कब्जे में लेकर बहुमत वाले पंच को आगामी कार्यभार देकर पंचायत का कार्य सुचारू रूप से चलाया जाए। उपायुक्त द्वारा दिए गए आदेशों में बताया गया कि 2022 के आम पंचायत के चुनाव में उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज से जारी 10वीं कक्षा के प्रमाण पत्र के माध्यम से सरपंच पद का चुनाव लड़कर सरपंच बना था। चुनाव के कुछ समय बाद गांव के जितेंद्र सिंह ने सरपंच गुरदेव सिंह के खिलाफ दसवीं के फर्जी प्रमाण पत्र के सारे चुनाव लड़ने के आरोप लगाते हुए जिला उपयुक्त व स्टेट विजिलेंस को शिकायत भेजी थी।
विजिलेंस हिसार में दर्ज हुआ था सरपंच के खिलाफ केस
जितेंद्र कुमार द्वारा भेजी गई शिकायत के आधार पर विजिलेंस हिसार द्वारा सरपंच गुरदेव सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया था। इसके बाद उपायुक्त ने मामले की जांच के लिए अतिरिक्त उपायुक्त की अगुवाई में तत्कालीन एसडीएम, जिला शिक्षा अधिकारी व योजना अधिकारी को मामले की जांच करने के निर्देश दिए थे। मामले की जांच करने वाली कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर उपायुक्त राहुल नरवाल ने 8 अप्रैल 2024 को आदेश जारी करते हुए गांव के सरपंच गुरदेव सिंह को फर्जी प्रमाण पत्र के कारण सस्पेंड करने के आदेश दिए थे। इसके बाद सस्पेंड किए गए सरपंच ने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने उपायुक्त के आदेशों पर स्टे लगा दिया। इसके बाद सरपंच ने ग्राम पंचायत का कार्यभार दोबारा संभाल लिया।