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Workshop at HIPA Gurugram: गुरुग्राम में वैश्विक भू चुनौतियों से छुटकारा पाने के लिए 6 दिवसीय इंटरनेशनल वर्कशॉप फॉर लैंड गवर्नेस शुरू किया गया है।

Workshop at HIPA Gurugram: गुरुग्राम में हरियाणा इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (HIPA) में आज यानी 24 मार्च सोमवार से वैश्विक भू चुनौतियों ( जमीन से जुड़ी समस्या) से निपटने के लिए 6 दिवसीय इंटरनेशनल वर्कशॉप फॉर लैंड गवर्नेस शुरू की गई है। यह वर्कशॉप 29 मार्च तक चलेगी, जिसमें हरियाणा की स्वामित्व योजना पर चर्चा की जाएगी। इस वर्कशॉप में 22 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया है।

वर्कशॉप में किन मुद्दों को लेकर होगी चर्चा ?

वर्कशॉप में संपत्ति के मालिकों को कानूनी स्वामित्व डॉक्यूमेंट्स देने के लिए ड्रोन सर्वे, जिओ मैपिंग, डेटा प्रोसेसिंग, ग्राउंड सत्यापन प्रक्रियाओं की स्टडी की जाएगी। इसके साथ ही गुरुग्राम से सटे एक गांव में डेमो के तौर पर ड्रोन सर्वे भी किया जाएगा। जिसकी सहायता से सभी प्रतिभागी देश भारत के स्वामित्व मॉडल से सीखकर अपने नागरिकों को लैंड स्वामित्व डॉक्यूमेंट्स के साथ मालिक बनाएंगे।

किन देशों के प्रतिनिधियों ने लिया भाग ?

वर्कशॉप में अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया के 22 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए हैं। वर्कशॉप में 22 देशों के 40 से ज्यादा प्रतिनिधि पहुंचे हैं। इनमें तुर्कमेनिस्तान, कोलंबिया, जिम्बाब्वे, फिजी, माली, लेसोथो, सिएरा लियोन, वेनेजुएला, मंगोलिया, तंजानिया, उज्बेकिस्तान, इक्वेटोरियल गिनी, किरिबाती, साओ टोमे और प्रिंसिपे, लाइबेरिया, घाना, आर्मेनिया, होंडुरास, इस्वातिनी, कंबोडिया, टोगो और पापुआ न्यू गिनी शामिल हैं।

अंतर्राष्ट्रीय वर्कशॉप में भू प्रशासन की आधुनिक तकनीकों को प्रदर्शित करने के लिए क्षेत्रीय दौरे और प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी। कटिंग-एज तकनीकों को प्रदर्शित करने के लिए, 24-25 मार्च 2025 को एक ड्रोन  प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा, जिसमें 10 ड्रोन आपरेटर अपने स्टॉल लगाएंगे, जो ड्रोन-आधारित लैंड मैपिंग और सर्वेक्षण तकनीकों में नवाचारों को दिखाएंगे।

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विश्व बैंक की रिपोर्ट में क्या सामने आया ?

2017 की विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक आबादी के केवल 30% लोगों के पास कानूनी रूप से रजिस्टर्ड भू अधिकार हैं। इसके विपरीत भारत की स्वामित्व योजना ने 5 सेमी सटीकता के साथ गांव की बस्तियों को मैप करने के लिए एक बड़ा दृष्टिकोण अपनाया है, जिसमें हरियाणा सबसे आगे है। जिससे राज्य दूसरे देशों के लिए एक संभावित मॉडल बन गया है। यह लैंड अधिकारों से संबंधित विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा।

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