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हरियाणा के हिसार में पूर्व सीएम भजनलाल के परिवार से उनका अभेद किला आदमपुर फिसल गया। 56 वर्ष से अभेद माने जा रहे भजन लाल परिवार के किले में सेवानिवृत आइएएस चंद्रप्रकाश ने सेंध लगाते हुए जीत हासिल की। चंद्रप्रकाश ने भव्य बिश्नोई को कड़े मुकाबले में हराया।

राजेश्वर बैनीवाल, हिसार: विधानसभा चुनाव में सबसे चर्चित सीट आदमपुर इस बार पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल परिवार से बाहर हो गई। यहां पर किसी समय इस परिवार के खासमखास रहे पंडित रामजीलाल के भतीजे एवं रिटायर्ड आईएएस चन्द्रप्रकाश ने कांग्रेस टिकट पर जीत हासिल करके 56 वर्ष से अभेद रहे पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के दुर्ग में सेंध लगा दी। उन्होंने स्व. भजनलाल के पौत्र भव्य बिश्नोई को कड़े मुकाबले में 1260 वोटों से हराकर जीत का परचम लहराया।

पूर्व सीएम भजनलाल का माना जाता था अभेद किला

आदमपुर विधानसभा क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल परिवार का अभेद दुर्ग माना जाता था। वर्ष 1987 में न्याय युद्ध के समय चली चौ. देवीलाल की लहर में भी इस परिवार ने अपना किला सलामत रखा था लेकिन इस बार कांग्रेस की लहर न होने के बाद यह किला ढह गया। किसी समय देशभर में सबसे चर्चित व राजनीति के पीएचडी रहे मुख्यमंत्री भजनलाल ने यहां से वर्ष 1968 से राजनीति शुरू की थी। उस समय के बाद इस परिवार ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। स्व. भजनलाल ने मुख्यमंत्री रहते हुए क्षेत्र में हजारों रोजगार दिए और विकास कार्य करवाए तो बदले में इस इलाके ने भी इस परिवार का साथ नहीं छोड़ा।

देवीलाल व बंसीलाल परिवार भी हार चुके चुनाव

इस क्षेत्र के अब तक के चुनाव परिणामों पर नजर डाली जाए तो स्पष्ट है कि इस क्षेत्र की जनता ने सदैव भजनलाल परिवार का साथ दिया और जो कोई इस परिवार के सामने आया, उसे पराजय का मुंह देखना पड़ा। चौ. देवीलाल जैसे दिग्गज नेता व चौ. बंसीलाल के बेटे सुरेन्द्र सिंह जैसे बड़े नेता भी इस परिवार के सामने चुनाव जीतने में सफल नहीं हो पाए। भजनलाल परिवार ने चाहे किसी भी दल से किस्मत आजमाई, इस हलके की जनता ने पार्टी की बजाय इस परिवार का साथ दिया।

अलग-अलग पार्टियों से लड़ा चुनाव

भजनलाल परिवार ने आदमपुर क्षेत्र से चाहे किसी भी पार्टी से चुनाव लड़ा, क्षेत्र की जनता ने सदैव इस परिवार का साथ दिया। वर्ष 2005 में स्वयं चौ. भजनलाल ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए चुनाव लड़ा। उस समय वे मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे। वे यहां से लगभग 70 हजार से ज्यादा मतों से जीत दर्ज करके विधायक बने थे लेकिन हाईकमान ने आखिरी समय में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बना दिया।

कांग्रेस से नाराज हुआ भजनलाल परिवार

भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद भजनलाल परिवार कांग्रेस से खफा हो गया और वर्ष 2007 में हरियाणा जनहित कांग्रेस के नाम से नई पार्टी का गठन करके यह परिवार फिर से आदमपुर के मैदान में आया। हजकां की टिकट पर भी क्षेत्र की जनता ने वर्ष 2008 के उपचुनाव में चौ. भजनलाल को फिर से अपना विधायक चुना। हजकां विधायक के तौर पर चौ. भजनलाल को लगभग एक साल ही हुआ था कि वर्ष 2009 के आम चुनाव आ गए। इस आम चुनाव में खुद चौ. भजनलाल हिसार लोकसभा से कड़े मुकाबले में सांसद बने, वहीं उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई भी कड़े मुकाबले में आदमपुर से विधायक बने।

वर्ष 2011 में हुआ उपचुनाव

वर्ष 2011 में सांसद रहते चौ. भजनलाल के निधन के बाद खाली हुई हिसार लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कुलदीप बिश्नोई सांसद बने तो आदमपुर विधानसभा सीट खाली हो गई। यहां पर फिर उपचुनाव हुआ और कुलदीप बिश्नोई की धर्मपत्नी रेनुका बिश्नोई विधायक चुनी गई। 2011 में जीत के बाद कुलदीप व रेनुका तीन वर्ष तक सांसद व विधायक रहे। 2014 आम चुनाव से पहले कुलदीप बिश्नोई का कुछ समय के लिए बसपा व बाद में भाजपा से समझौता हुआ, लेकिन हिसार लोकसभा सीट से दुष्यंत चौटाला के हाथों कुलदीप की जब हार हुई तो भाजपा ने भी किनारा करना शुरू कर दिया।

2019 में कांग्रेस टिकट पर आए आदमपुर

लगभग आठ साल तक हरियाणा जनहित कांग्रेस की राजनीति करने के बाद 2016 में अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करके कुलदीप बिश्नोई 2019 के चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर आदमपुर के मैदान में आए और यहां की जनता ने फिर कुलदीप बिश्नोई को अपना विधायक चुना। इसके बाद सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और कुलदीप बिश्नोई के सहारे नवम्बर 2022 में हुए उपचुनाव में आदमपुर क्षेत्र में कमल खिला। यहां से कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई विधायक बने।

सबसे बड़ी जीत भजनलाल के नाम

आदमपुर विधानसभा सीट पर सबसे अधिक वोटों के अंतर से जीत दर्ज करने का रिकॉर्ड भी इसी परिवार के नाम रहा है। वर्ष 2005 के आम चुनाव में चौ. भजनलाल के प्रदेश अध्यक्ष रहते कांग्रेस पार्टी ने 67 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत प्राप्त किया था। इस चुनाव में आदमपुर क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे खुद चौ. भजनलाल लगभग 70 हजार से अधिक वोटों से चुनाव जीते थे और बाकी सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी।

सबसे छोटी जीत कुलदीप बिश्नोई के नाम

खास बात यह भी है कि सबसे बड़ी ही नहीं बल्कि सबसे छोटी जीत भी इसी परिवार के कुलदीप बिश्नोई के नाम है। वर्ष 2009 के आम चुनाव में कुलदीप बिश्नोई हजकां की टिकट पर लगभग साढ़े छह हजार वोटों से विजयी हुए थे। कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे जयप्रकाश ने उन्हें इस चुनाव में कड़ी टक्कर दी थी। आदमपुर विधानसभा सीट से इस चुनाव में कांग्रेस ने सेवानिवृत आईएएस चन्द्रप्रकाश को अपना उम्मीदवार बनाया। चन्द्रप्रकाश नलवा से टिकट चाहते थे और उन्होंने यहां से पूरी तैयारी कर रखी थी लेकिन पार्टी ने उन्हें ऐन वक्त पर आदमपुर भेज दिया लेकिन उनके लिए सुकून भरी बात रहे कि यहां की जनता ने उन्हें विधायक बना दिया।

भजन परिवार पर हावी रहा आईएएस अधिकारी

भजनलाल परिवार के बारे में चर्चा और लगभग रिकॉर्ड है कि इस परिवार ने जहां से भी किस्मत आजमाई, वहां से जीत मिली लेकिन इसके बावजूद इस परिवार पर आईएएस अधिकारी हावी रहा। वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में करनाल लोकसभा से आईडी स्वामी ने चौ. भजनलाल को हराया। आईडी स्वामी रिटायर्ड आईएएस अधिकारी थे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में रिटायर्ड आईएएस बृजेन्द्र सिंह ने हिसार लोकसभा से भव्य बिश्नोई को हराया और अब 2024 के आम चुनाव में रिटायर्ड आईएएस चन्द्रप्रकाश ने भव्य बिश्नोई को आदमपुर से पराजित कर दिया।

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