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Janmashtami in Haryana: रक्षाबंधन के बाद जन्माष्टमी की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। ऐसे में अगर आप वृंदावन धाम का आनंद हरियाणा में उठाना चाहते हैं तो हिसार के बांके बिहारी लाल मंदिर में एक बार जरूर दर्शन करें...

Janmashtami in Haryana: रक्षाबंधन के बाद लोगों को अब जन्माष्टमी का बेसब्री से इंतजार है। कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर मंदिरों में तैयारियां भी शुरू हो चुकी है। इस मौके को खास बनाने के लिए हरियाणा में कई जगह अभी से ही मेले लगने शुरू हो चुके हैं। इसके साथ ही लोगों ने अपने घरों में भी इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं।

इस उत्सव को और भी खास बनाने के लिए लोग दही हांडी प्रतियोगिता का आयोजन भी करते हैं। इसके साथ ही कई लोग कृष्ण जी के पुराने मंदिरों में जाना पसंद करते हैं। आपको भी अगर मंदिरों में घूमना पसंद है, तो हरियाणा के हिसार जिले में ऐसा ही एक प्राचीन और ऐतिहासिक श्री बांके बिहारी बड़ा मंदिर स्थित है। जहां पर आप जन्माष्टमी के मौके पर जाकर भगवान कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

सालों पहले हुई थी मंदिर की स्थापना

यहां के पंडितों का कहना है कि इस मंदिर की स्थापना साल 1544 के आसपास हुई थी। यानी ये कहा जा सकता है कि लगभग 400 साल से भी पहले हिसार में श्री राधे-कृष्णा के बड़े मंदिर का निर्माण किया गया था। वहीं, इस मंदिर को हिसार का वृंदावन धाम भी कहा जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में जिस मूर्ति की स्थापना की गई है, वह वृंदावन बांके बिहारी जी के मूल विग्रह के पाषाण से ही बनी है।

जानें बांके बिहारी लाल का किस्सा

आज से कई सालों पहले यह शहर चार गेटों के भीतर ही बसता था। समय बीतने के साथ इन चार गेटों से बाहर भी लोग बसने लगे उस समय इस मंदिर के निर्माण के दौरान सभी विशेषताओं को श्री वृंदावन धाम में निर्मित श्री बांके बिहारी लाल जी के मंदिर के अनुसार ही रखा। ताकि बिहारी जी हिसार में भी अपना स्थायी निवास बनाएं। बता दें कि वृंदावन धाम बांके बिहारी लाल जी का किस्सा काफी फेमस है।

कहा जाता है कि कई सौ सालों पहले एक भक्त बांके बिहारी की आंखों में देख कर अपनी मनोकामना उनके सामने रखी थी, जिससे भक्त की भावना को देख बांके बिहारी इतने प्रश्न हुए कि उनके साथ ही उनके घर चले गए। इसके बाद वहां के पंडित यह देख कर हैरान रह गए कि मंदिर में बांके बिहारी है ही नहीं, इसके बाद कई दिनों की प्रार्थना के बाद भगवान को मंदिर में वापस लाया गया। तब से लेकर आज तक वहां पर भक्तों के दर्शन के बाद तुरंत ही पर्दा लगा दिया जाता है, क्योंकि कहा जाता है कि अगर कोई भक्त प्रेम भाव से बांके बिहारी जी को पुकारता है, तो वह उनके साथ चल देते हैं।

वृंदावन धाम की तरह यहां भी पूजे जाते बांके बिहारी लाल

Janmashtami in Haryana
हिसार में राधे-कृष्णा का बड़ा मंदिर।

मंदिर के पंडितों का मानना है कि समुद्र तल से जिस ऊंचाई पर बांके बिहारी जी वृंदावन में विराजते हैं, उसी ऊंचाई पर हिसार में बिहारी जी का सिंहासन बनाया गया है। मंदिर की चौखट पर फूल पत्तियों का हूबहू चित्रण गणेश प्रतिमा के साथ-साथ भक्तों में अलौकिक भाव जगाता है। मंदिर के प्रांगण में खंबे भी श्री वृंदावन धाम स्थित बिहारी लाल जी के मंदिर के तरह ही बनाए गए हैं, जो वृंदावन की अनुभूति कराता है।

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यहां के पंडित बताते हैं कि आज से कई सौ सालों पहले यह मंदिर पंडित श्रीनिवास के सान्निध्य में बनाया गया था। यहां की अद्भुत बात यह है कि ठाकुर मंदिर में विराजने वाले सिंदूरी हनुमान जी और शिव परिवार की प्राण प्रतिष्ठित भी निर्माण के समय ही करवाई गई थी। बिहारी जी के सिंहासन पर विराजित सभी दिव्य शक्तियां भी ठाकुर जी के विराट स्वरूप के अनुसार ही स्थापित करवाई गई हैं। 

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