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विधानसभा चुनावों की घोषणा के बाद से बहादुरगढ़ में राजनीतिक बदलाव और दावेदारों की रस्साकशी जारी है। सुबह एक दावेदार का पलड़ा भारी होता है, तो शाम होते-होते दूसरा ऊपर नजर आता है। अब देखना यह है कि भाजपा व कांग्रेस की तरफ से किसे अपना प्रत्याशी बनाया जाता है।

रवींद्र राठी, बहादुरगढ़: विधानसभा चुनावों की घोषणा के बाद से बहादुरगढ़ में राजनीतिक बदलाव और दावेदारों की रस्साकशी जारी है। सुबह एक दावेदार का पलड़ा भारी होता है, तो शाम होते-होते दूसरा ऊपर नजर आता है। इनेलो-बसपा गठबंधन ने पूर्व विधायक नफे सिंह राठी की पत्नी शीला राठी को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। लेकिन भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी घोषित करने के लिए फूंक-फूंककर कदम उठा रहे हैं। कारण साफ है कि कहीं टिकट आवंटन के बाद दोनों पार्टियों में बगावत के सुर मुखर ना हो जाएं।

राजेश जून ने बढ़ाई गतिविधियां

लोकसभा में बहादुरगढ़ सीट पर जीत का परचम लहराने वाली कांग्रेस टिकट आवंटन से पहले सभी संभावनाओं पर गौर कर रही है। सोमवार तक वर्तमान विधायक राजेंद्र जून की टिकट तय लग रही थी। ऐसे में दूसरे मजबूत दावेदार राजेश जून ने अपनी गतिविधियां घटाने की बजाय बढ़ा दी थी। इससे कांग्रेस नेतृत्व पर दबाव भी बढ़ गया। सोमवार शाम को कांग्रेस चुनाव समिति की बैठक में राहुल गांधी ने कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के समक्ष कुछ सवाल उठाए। वहीं, राजेश जून भारी भरकम तामझाम के साथ चुनावी शंखनाद कर चुके हैं।

राजेंद्र जून व राजेश जून के समर्थक पहुंचे दिल्ली

सोमवार रात को बदले राजनीतिक हालात के बाद राजेंद्र जून के दर्जनों समर्थक मंगलवार तड़के ही दिल्ली पहुंच गए। राजेश जून भी लाव लश्कर लेकर वहां जा डटे। समर्थक अपने-अपने नेता को टिकट देने की पैरवी कर रहे हैं। अब देखना दिलचस्प रहेगा कि कांग्रेस राजेंद्र जून की टिकट बरकरार रखती है या फिर राजेश जून पर दांव खेलती है। फिलहाल दोनों की नेता टिकट के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं और चुनाव में अपना भाग्य आजमाने के लिए तैयार है।

भाजपा इस सीट पर महसूस कर रही असुरक्षित

केंद्र में तीसरी बार सरकार बनाने वाली भाजपा बहादुरगढ़ जैसी शहरी सीट पर अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही है। पार्टी नेतृत्व को अंदरखाने होने वाली बगावत का अहसास है। इसकी बानगी लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिली थी। बहादुरगढ़ से भाजपा प्रत्याशी के रूप में राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़ और पूर्व सांसद डॉ. अरविंद शर्मा के नाम की चर्चा शुरू होते ही स्थानीय धुरंधरों के पेट में दर्द बढ़ गया। उनके समर्थकों ने इंटरनेट मीडिया पर भाजपाई दिग्गजों को लेकर आपत्तिजनक संदेश भी लिखने शुरू कर दिए।

टिकट को लेकर चल रहा मुकाबला

पार्टी सूत्रों के मुताबिक आधा दर्जन स्थानीय नेताओं के बीच टिकट को लेकर कड़ा मुकाबला चल रहा है। यदि टिकट ब्राह्मण नेता को देने का निर्णय हुआ तो पूर्व विधायक नरेश कौशिक या उनके भाई दिनेश कौशिक को उम्मीदवार बनाया जा सकता है। यदि टिकट जाट दावेदार के खाते में गई तो पूर्व जिलाध्यक्ष बिजेंद्र दलाल, महिला मोर्चा उपाध्यक्ष नीना राठी, भाजयुमो प्रदेश उपाध्यक्ष नवीन बंटी या जिला पार्षद रवि बराही की किस्मत चमक सकती है। पूर्व सीएम मनोहर लाल, ओमप्रकाश धनखड़, डॉ. अरविंद शर्मा और विप्लव देव अपने-अपने समर्थकों की पैरवी में जुटे हैं।

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