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हरियाणा में चुनावी शोर चरम पर हैं। कहीं पुराने दिग्गजों से कहीं नए चेहरों से हॉट सीटों का मिजाज बदला है। जिससे मदाताओं का मिजाज भांप पाना मुश्किल हो रहा हैं। बस कहीं लड़ाई टफ तो कहीं हार जीत के पुराने रिकार्ड की चर्चा हो रही है। 

रवींद्र राठी, बहादुरगढ़। हरियाणा के 90 चुनावी अखाड़ों में कई दिग्गज अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। चुनावी रण में इस बार सियासी दिग्गजों की भिड़ंत के चलते कई विधानसभा क्षेत्र हॉट सीट बन चुके हैं। इन सीटों पर बेहद ही दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। कहीं चौधर की लड़ाई बेहद टफ है, तो कहीं बड़े नेताओं की जीत के मार्जन को लेकर चर्चाएं चल रही हैं। उचाना, तोशाम, रानिया, डबवाली व हिसार आदि हलकों के मतदाताओं का मिजाज भांपना भी मुश्किल है। विधानसभा चुनावों विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक विश्लेषक भी यहां नतीजों को लेकर भविष्यवाणी करने से परहेज कर रहे हैं। गढ़ी-सांपला-किलोई, लाडवा, अंबाला कैंट और बेरी आदि सीटों के नतीजों और रिकॉर्ड को लेकर भी निगाह बनी हुई हैं।

Dushyant Chautala, Brijendra Singh.
दुष्यंत चौटाला, बृजेंद्र सिंह।

जींद की उचाना कलां सीट

उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह पर दांव लगाया है। तो उनके सामने हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम एवं जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला मैदान में उतरे हैं। बीजेपी ने इस सीट पर देवेंद्र अत्री को प्रत्याशी बनाया है। बृजेंद्र सिंह के पिता चौधरी बीरेंद्र सिंह 5 बार विधायक रह चुके हैं। उनकी मां प्रेमलता भी उचाना सीट से विधायक रह चुकी हैं। जबकि दुष्यंत चौटाला भी इसी सीट से जीतकर उपमुख्यमंत्री बने थे। पिछले 15 साल में यहां दो बार चौटाला परिवार और एक बार बीरेंद्र सिंह का परिवार चुनाव जीता है। दिग्गज नेताओं के इस मुकाबले ने उचाना सीट को हॉट सीट बना दिया है।

Tosam
श्रुति चौधरी व अनिरूद्ध चौधरी
बंसीलाल का तोशाम हलका

पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल का गढ़ रही तोशाम विधानसभा सीट से बंसीलाल का परिवार 1967 से अब तक 14 बार चुनावी मैदान में उतरा है और 12 बार जीत दर्ज की है। लेकिन तोशाम में इस बार उनका परिवार ही आमने-सामने है। भाजपा ने बंसीलाल के छोटे बेटे स्व. सुरेंद्र सिंह और भाजपा नेता किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। जबकि कांग्रेस ने चौधरी बंसीलाल के बड़े बेटे रणबीर सिंह महेंद्रा के बेटे अनिरुद्ध चौधरी को प्रत्याशी बनाया है। पूर्व सांसद श्रुति चौधरी कांग्रेस की कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष थी, लेकिन अपनी मां के साथ उन्होंने जून में कांग्रेस छोड़ दी थी और भाजपा ने किरण चौधरी को राज्यसभा भेज दिया। जबकि अनिरुद्ध चौधरी पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं।

डबवाली में चाचा-भतीजे की टक्कर

डबवाली विधानसभा क्षेत्र चौटाला परिवार की परंपरागत सीट रही है। चौधरी देवीलाल के सबसे छोटे बेटे जगदीश चौटाला के बेटे आदित्य चौटाला इस बार इनेलो प्रत्याशी हैं। पिछली बार उन्होंने भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था और कांग्रेस उम्मीदवार अमित सिहाग से हार गए थे। इस बार उनके खिलाफ देवीलाल के पड़पौत्र जजपा के दिग्विजय चौटाला यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट से दिग्विजय की मां नैना चौटाला और पिता अजय चौटाला भी विधायक बन चुके हैं। कांग्रेस के अमित सिहाग अपनी जीत बरकरार रखने की जंग लड़ रहे हैं। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी कुलदीप गदराना और भाजपा के बलदेव सिंह मांगे आना इनकी राह मुश्किल करते दिख रहे हैं। 

रानिया में चौटाला दादा-पोता

सिरसा जिले की रनिया सीट पर सियासी मुकाबला काफी रोचक बन गया है। यहां देवीलाल परिवार के दादा-पोता आपस में भिड़ेंगे। इनेलो नेता अभय चौटाला के पुत्र अर्जुन चौटाला यहां से उम्मीदवार हैं। अर्जुन पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। जबकि चौधरी देवीलाल के पुत्र रणजीत चौटाला टिकट कटने के बाद एक बार फिर यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहे हैं। हालांकि रणजीत भाजपा में शामिल होकर हिसार लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार जयप्रकाश से चुनाव हार गए थे। अब भाजपा ने उनका विधानसभा टिकट भी काट लिया तो फिर आजाद उम्मीदवार बनकर रानिया के चुनावी स्मर में कूद गए हैं। कांग्रेस ने पत्रकार सर्वमित्र कंबोज को प्रत्याशी बनाया है। 

हिसार में निर्दलीयों की बहार

जिंदल परिवार 1991 से हिसार सीट से चुनाव लड़ता आ रहा है। लेकिन इस बार पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरी हैं। उन्हें भाजपा का टिकट मिलने की उम्मीद थी। लेकिन पहली ही सूची में भाजपा ने पूर्व मंत्री डॉ. कमल गुप्ता पर ही विश्वास बरकरार रखा। कांग्रेस ने हिसार शहर में पुराने प्रत्याशी रामनिवास राड़ा को फिर से उम्मीदवार बनाया है। निवर्तमान मेयर गौतम सरदाना ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। हिसार सीट से भाजपा के बागी तरुण जैन और अमित ग्रोवर भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में कूद चुके हैं। 

कुरुक्षेत्र के लाडवा से सीएम सैनी

हरियाणा की लाडवा विधानसभा सीट भी हॉट सीट बनी हुई है। सीएम नायब सैनी ने करनाल की जगह इस सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। कांग्रेस ने नायब सैनी के खिलाफ निवर्तमान विधायक मेवा सिंह को ही चुनावी मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में मेवा सिंह ने 41.86 प्रतिशत वोट हासिल करते हुए बीजेपी उम्मीदवार पवन सैनी को 12 हजार 637 वोटों से हराया था। हालांकि इस सीट पर कोई भी उम्मीदवार दो बार जीत का स्वाद नहीं चख सका है। लाडवा विधानसभा सीट साल 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी। लाडवा सीट पर इस बार चौथा चुनाव होगा। 

हुड्डा का किला किलोई

गढ़ी-सांपला ऐतिहासिक गांव हैं, यहां किसान नेता दीनबंधु छोटूराम का जन्म हुआ था। वर्ष 2009 से पहले इस विधानसभा क्षेत्र का नाम किलोई था। लेकिन परिसीमन के बाद हसनगढ़ विधानसभा क्षेत्र को खत्म करके इसे किलोई में मिला दिया गया। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा एक बार फिर गढ़ी-सांपला-किलोई से चुनावी मैदान में कूदे हैं। जबकि बीजेपी ने गैंगस्टर राजेश उर्फ सरकारी की पत्नी मंजू हुड्डा को इस सीट से प्रत्याशी बनाया है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा यहां से 5 बार चुनाव जीत चुके हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के रिकॉर्ड को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि उन्हें रोकना भाजपा के लिए काफी मुश्किल रहेगा। 

पांच बार अंबाला कैंट जीत चुके विज

हरियाणा के सबसे पुराने विधानसभा क्षेत्रों में से एक अंबाला कैंट सीट पर सबसे ज्यादा बार बीजेपी के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है। दिग्गज बीजेपी नेता अनिल विज ने पिछली बार यहां से जीत की हैट्रिक लगाई थी। वे कुल 5 बार यहां से विधायक बन चुके हैं। उनके सामने छठी बार कमल खिलाने की चुनौती है। अंबाला छावनी सीट पर इस बार भी मुकाबला दिलचस्प होता दिख रहा है। भाजपा के अनिल विज के सामने कांग्रेस प्रत्याशी परविंद्र सिंह परी हैं और इसी चुनावी जंग में तीसरा चेहरा कांग्रेस की बागी नेत्री चित्रा सरवारा हैं। 

छह बार बेरी जीत चुके कादियान

झज्जर जिले के बेरी विधानसभा सीट से पूर्व स्पीकर रघुबीर सिंह कादियान 6 बार चुनाव जीत चुके हैं। वर्ष 1987 में उन्होंने लोकदल की टिकट पर पहली बार चुनाव जीता था। फिर 1991 में वे जनता दल की टिकट पर तीसरे और 1996 में कांग्रेस की टिकट पर दूसरे स्थान पर रहे थे। लेकिन 2000 से लेकर 2019 तक डॉ. कादियान यहां से लगातार 5 बार चुनाव जीत चुके हैं। एक बार फिर कांग्रेस ने उन्हें ही प्रत्याशी बनाया है। भाजपा ने सभी टिकटार्थियों को अनदेखा कर कुछ घंटे पहले शामिल हुए संजय कबलाना को उम्मीदवार बनाया है। जबकि भाजपा के बागी अमित डीघल ने भी निर्दलीय ताल ठोक दी है। 
 

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