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हरियाणा के टोहाना विधानसभा क्षेत्र में टिकट के लिए मारामारी देखने को मिल रही है। कांग्रेस में सबसे अधिक उम्मीदवार चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं तो भाजपा में सबसे कम उम्मीदवार है। वहीं, कांग्रेस से टिकट के लिए पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली भी टिकट की आस लगाए बैठे हैं।

सुरेन्द्र असीजा, फतेहाबाद: विस चुनाव में प्रदेशभर में चर्चित रहे पंचायत मंत्री देवेन्द्र बबली की विधानसभा सीट टोहाना पर अब बबली स्वयं दोराहे पर आ खड़े हुए हैं। जेजेपी में रहते हुए पूर्व सीएम खट्टर के खासमखास रहे लेकिन लोकसभा चुनाव में अपरोक्ष रूप में कांग्रेस के पाले में आ खड़े हुए। ऐसे में बबली कौन-सी पार्टी से चुनाव लड़ेंगे, यह अभी किसी को नहीं पता। इसके अलावा टोहाना में विधायक बनने के लिए नेताओं में मारामारी-सी हो गई है। सबसे ज्यादा उम्मीदवार कांग्रेस में तो सबसे कम भाजपा में है।

भाजपा में टोहाना मतलब था बराला

अब तक टोहाना में भाजपा का मतलब होता था सुभाष बराला। यानि यहां भाजपा चुनाव लड़ेगी तो उसके उम्मीदवार बराला ही होंगे। अब बराला के राज्यसभा सांसद चुने जाने के बाद भाजपा को यहां मजबूत उम्मीदवार की तलाश है। उम्मीद यही है कि जिसे बराला चाहेंगे, वही टोहाना से भाजपा का उम्मीदवार होगा। ऐसे में बराला के खासमखाम मार्किट कमेटी के पूर्व चेयरमैन रिन्कू मान व नगरपरिषद के अध्यक्ष नरेश बंसल दोनों के बीच टिकट को लेकर बराबर की टक्कर है। इसके अलावा भाजपा का कोई दावेदार सामने नहीं आया है।

रिन्कू व नरेश बंसल में किसे मिलेगी टिकट

टोहाना से भाजपा टिकट के लिए नगर परिषद अध्यक्ष नरेश बंसल और भाजपा के पुराने दिग्गज रिंकू मान के बीच मुकाबला हो सकता है। माना जा रहा है कि अंतिम निर्णय राज्यसभा सांसद सुभाष बराला करेंगे। ये भी संभव है कि सुभाष बराला की जगह पर उनके परिवार से कोई सदस्य चुनावी समर में उतरे, लेकिन अभी तक इस तरह के कोई संकेत बराला परिवार की ओर से नहीं आए हैं। नरेश बंसल और रिंकू मान दोनों ही सुभाष बराला के करीबी हैं। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में सुभाष बराला को हार झेलनी पड़ी थी, लेकिन पिछले पांच साल में उन्होंने टोहाना की राजनीति में देवेंद्र बबली को कई बार पटकनी दी है।

कांग्रेस में टिकट की लंबी कतार

टोहाना में पिछले एक साल में कई नए चेहरे शामिल हुए हैं। इनमें प्रमुख नाम पूर्व जजपा प्रदेशाध्यक्ष निशान सिंह का नाम शामिल है। वहीं पुराने नामों में पूर्व कृषिमंत्री परमवीर सिंह, उनके भाई व पूर्व जिलाध्यक्ष रहे रणधीर सिंह व प्रमुख समाजसेवी हरपाल बुडानिया शामिल हैं। यह सब भूपेन्द्र सिंह हुड्डा समर्थक माने जाते हैं। इसके अलावा रणदीप सुरजेवाला के खासमखास बलजिंदर ठरवी भी कांग्रेस टिकट की दौड़ में है। सबकी निगाहें पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली पर टिकी हुई हैं। अगर बबली कांग्रेस में शामिल होते हैं तो उन्हें कांग्रेस अपना उम्मीदवार बनाकर चुनावी समर में उतार सकती है। बबली पहले भी कांग्रेस में रह चुके हैं और पिछले चुनाव में टिकट ना मिलने पर ही ऐन मौके पर जजपा की टिकट पर चुनाव लड़कर जीते थे।

परमवीर व निशान सिंह की दो बार हार

टोहाना से कांग्रेस टिकट के दावेदार निशान सिंह 2005 के बाद लगातार तीन चुनाव हार चुके हैं। वहीं परमवीर सिंह भी पिछले दो टर्म से चुनावों में हार का सामना कर चुके हैं। लगातार दो बार चुनाव हारने की कसौटी पर दोनों ही नेता खरे नहीं उतरे। बात करें बबली की तो प्रदेश की सरपंच एसोसिएशन ने सरेआम धमकी दी है कि अगर कांग्रेस ने बबली को टिकट दी तो प्रदेश की 6228 पंचायतें कांग्रेस का विरोध करेंगी। ऐसे में कोई भी बड़े से बड़ा धुरंधर कांग्रेस नेता भी बबली को टिकट देने का रिस्क नहीं ले सकता।

इनेलो-जजपा से चौटाला परिवार के करीबियों को मौका

इंडियन नेशनल लोकदल के नेता एवं चौटाला परिवार के करीबी रिश्तेदार कुनाल कर्ण सिंह इस बार इनेलो टिकट पर चुनाव मैदान में उतरते हैं या नहीं, इस पर सबकी निगाहें होंगी। पिछली बार वो ऐन मौके पर पीछे हट गए थे। उधर जजपा में भी दिग्विजय चौटाला के करीबी जतिन खिलेरी का नाम फिलहाल सबसे आगे चल रहा है। लेकिन वो टिकट हासिल करने में कामयाब रहेंगे या नहीं, ये इस पर निर्भर करेगा कि जजपा उन पर भरोसा जताती है या कांग्रेस-भाजपा के किसी बागी उम्मीदवार पर।

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