जींद: क्षेत्र में रविवार सुबह मौसम ने अचानक करवट ली और तेज हवा के साथ हलकी बूंदाबांदी भी देखने को मिली। तेज हवा के चलते कहीं-कहीं धान की फसल बिछ गई, जिससे किसानों को उत्पादन घटने से नुकसान होने की आशंका बनी हुई है। बासमती धान की फसल में बाली आ चुकी है। ऐसे में फसल गिरने से बालियों में चावल का पकाव अच्छे से नहीं हो सकेगा। पिल्लूखेड़ा क्षेत्र में ज्यादा फसल बिछी हुई है। किसान सुबह खेतों में पहुंचे तो पसरी धान देखकर चिंतित हो गए। मौसम विभाग के अनुसार मौसम परिवर्तनशील है और गुलाबी ठंड भी धीरे-धीरे दस्तक देने लगी है। ऐसे में किसान लगातार फसलों का निरीक्षण करते रहें।
बूंदाबांदी से तापमान में आई गिरावट
रविवार को बारिश के चलते दो डिग्री तापमान में गिरावट दर्ज की गई, जबकि न्यूनतम तापमान स्थित रहा। दिन का अधिकतम तापमान 34 डिग्री और न्यूनतम तापमान 23 डिग्री रहा। हवा की गति 11 किलोमीटर रही और मौसम में आद्रता 44 प्रतिशत बनी रही। साथ ही आसमान में आंशिक रूप से बादल छाए रहे, लेकिन दिनभर धूप रही, जिससे उमस भरी गर्मी भी बनी रही। मौसम विभाग के अनुसार आगामी दिनों में तापमान में हलकी गिरावट आएगी, जिससे रात को ठंड बढ़ेगी। फिलहाल पीआर धान और बासमती 1509 धान की कटाई चल रही है। वहीं बासमती 1121 और 1718 की कटाई 10 अक्टूबर के बाद शुरू होगी।
अनाज मंडियों में पीआर धान की आवक बढ़ी
इस समय मंडियों में पीआर धान की आवक में लगातार बढ़ोतरी हो रही है लेकिन मिलर्स की हड़ताल के चलते खरीद में दिक्कत आ रही है। शनिवार शाम तक जिलेभर की अनाज मंडियों में करीब 89 हजार क्विंटल पीआर धान की आवक हो चुकी थी और 1360 क्विंटल की ही खरीद हुई। वीरवार और शुक्रवार लगातार दो दिन मंडियों में पीआर धान की खरीद नहीं हुई। मार्केट कमेटी और खरीद एजेंसियों के अधिकारी चुनावी ड्यूटी में व्यस्त थे। जिसके कारण भी खरीद नहीं हो पाई। रविवार को अवकाश के चलते खरीद बंद रहेगी। सोमवार को खरीद का दिन है लेकिन सुचारू रूप से खरीद तभी चालू होगी, जब मिलर्स की हड़ताल खत्म होगी और मिल अलॉट होंगे।
मौसम रहेगा परिवर्तनशील
पांडू पिंडारा कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक डॉ. राजेश ने बताया कि मौसम दो दिन तक परिवर्तनशील बना रहेगा। इस दौरान कहीं-कहीं बूंदाबांदी व हलकी तेज हवाएं चल सकती हैं। किसानों को चाहिए कि वो लगातार खेतों में फसलों का निरीक्षण करते रहें। जिन खेतों में धान बिछी हुई है, उनका रखरखाव करें, ताकि नुकसान कम हो। इस समय बरसात फसलों को भारी नुकसान पहुंचा सकती है। किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है।