Logo
Kaithal Mahashivratri Celebration: हरियाणा के कैथल में कांवड़िए के उत्साह को देखते हुए प्रशासन ने अलर्ट होते हुए सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है। इसके अलावा हरिद्वार-कुरुक्षेत्र मार्ग पर बड़े वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई।

Kaithal Mahashivratri Celebration: इस सावन की महाशिवरात्रि शुक्रवार 2 अगस्त को है, जिसे लेकर पूरे हरियाणा में उत्सव का माहौल बना हुआ है। साथ ही कांवड़िए इस पर्व को लेकर उत्सव मना रहे हैं। इसे लेकर कैथल में हरिद्वार जाने वाले रास्ते, कुरुक्षेत्र रोड पर पुलिस ने बड़े वाहनों की आवाजाही बंद कर दी है। बता दें कि इस मार्ग के माध्यम से ही कांवड़िये अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं, इसलिए प्रशासन की ओर से जाम की समस्या को कम करने के लिए यह फैसला लिया गया है।

हरियाणा में सावन की ​शिवरात्रि का पावन पर्व को काफी धूमधाम से मनाया जाता है, जिसे लेकर कैथल और कुरूक्षेत्र में शिव भक्तों की धूम दिखाई दे रही है। बताया जा रहा है कि शहर से होकर कांवड़ियों का समूह वापस अपने गंतव्य तक आ रहे हैं। वहीं, शहर के श्री ग्यारह रुद्री ​शिव मंदिर में कांवड़ियों की सबसे अ​धिक भीड़ उमड़ती है, इसलिए वहां पर प्रशासन की ओर से सुरक्षा के लिए अतिरिक्त व्यवस्थाएं भी की गई हैं। बुधवार को ही मंदिर में बाबा बर्फानी का ​शिवलिंग मंदिर में सजाया गया था।

कई जगह बनाए गए विश्राम गृह

कांवड़िए हरिद्वार से गंगाजल भरकर वे अपने कांवड़ लेकर आ रहे हैं। ढांड रोड पर कई जगह लगाए गए पंडालों में कांवड़ियों का समूह विश्राम कर रहे हैं। यहां उनके खानपान आदि की व्यवस्थाएं भी की गई है। इसके आलावा हरियाणा में कई मंदिरों और धर्मशालाओं में भी कांवड़ियों के रूकने का इंतजाम किया गया है।

Also Read: गुरुग्राम में कावड़ियों के साथ बड़ा हादसा, तेज रफ्तार ट्रक की बाइक से टक्कर, एक की मौत दो की हालत गंभीर

छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है कैथल

कैथल में श्री ग्यारह रुद्री शिव मंदिर के होने के कारण जिले को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना भगवान श्रीकृष्ण ने उस समय की थी, जब महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था। महाभारत के युद्ध में कौरव और पांडवों के बीच हुए युद्ध में मारे गए योद्धाओं की आत्मा की शांति के लिए इस 11 रुद्रों की स्थापना की गई थी। सावन के महीने में हरियाणा ही नहीं बल्कि देश और  विदेशों से भी शिव भक्त यहां पर जल चढ़ाने के लिए आते हैं। सावन ही नहीं बल्कि विशेष पर्वों और अवसरों पर भी भक्त यहां पर पूजा करने के लिए आते हैं।

5379487