मानवाधिकार आयोग में गूंजा किन्नर के स्कूल का मामला : हरियाणा के करनाल की ट्रांसजेंडर (किन्नर) अदिति के स्कूल को मान्यता नहीं देने का मामला हरियाणा मानवाधिकार आयोग के पास पहुंच गया है। स्कूल की जगह कम होने की वजह से शिक्षा विभाग ने मान्यता नहीं दी थी। इस पर मानवाधिकार आयोग ने ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता और गरिमा के अधिकारों का हवाला देते हुए स्कूल की मान्यता पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने के लिए कहा है।
आयोग ने स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और प्राथमिक शिक्षा निदेशक को 2 मई को उपस्थित होने के आदेश दिए हैं। किन्नर अदिति 2015 से गरीब परिवार के बच्चों के लिए इंग्लिश मीडियम स्कूल चला रही है।
अमेरिका में भी काम कर चुकीं अदिति, 2015 में खोला स्कूल
दिल्ली निवासी किन्नर अदिति ने बताया कि उन्होंने सर्वे से लेकर अमेरिका तक में काम किया, लेकिन उनका मन हमेशा से शिक्षा में रहा। इसी सोच के साथ 2015 में करनाल में हरियाणा पब्लिक स्कूल की शुरुआत की। पहले तो पेरेंट्स अपने बच्चों को भेजने में बहुत हिचक रखते थे, लेकिन धीरे-धीरे परिस्थितयां सामान्य होने लगी। उनके स्कूल में गरीब तबके के 50 से ज्यादा बच्चे इंग्लिश मीडियम में पढ़ते हैं। बच्चों को प्रोजेक्ट के जरिये भी समझाया जाता है। बेहद कम संसाधनों व बजट में यह स्कूल चल रहा है।
800 वर्गमीटर जगह, होनी चाहिए 1500
अब हरियाणा में निजी स्कूलों की मान्यता को लेकर सख्ती चल रही है। ऐसे में अदिति के स्कूल पर भी मान्यता नहीं होने की तलवार लटकने लगी। मान्यता नहीं मिलने पर अदिति ने शिकायत संख्या 666/10/2024 मानवाधिकार आयोग में दर्ज करवाई। इसमें उन्होंने भूमि संबंधित मानकों को मान्यता की राह में मुख्य अड़चन बताया। वर्ष 2014-15 में स्थापित यह स्कूल 800 वर्ग मीटर में बना है, जबकि संशोधित नियमों के अनुसार 1500 वर्ग मीटर की आवश्यकता है।
हरियाणा मानवाधिकार आयोग के चेयरपर्सन जस्टिस ललित बत्रा, दोनों सदस्यों कुलदीप जैन और दीप भाटिया ने अपने विस्तृत आदेश में ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता और गरिमा के अधिकारों का हवाला देते हुए स्कूल की मान्यता पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने के लिए कहा है।
ट्रांसजेंडर के स्वरोजगार व शिक्षा का दिया हवाला
आयोग ने कहा कि केवल भूमि मानदंड के आधार पर मान्यता न देना अधिनियम, 2019 की भावना के विरुद्ध है। अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के अनुसार, राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को स्वरोजगार, शिक्षा में पहुंच और भेदभाव रहित व्यवहार सुनिश्चित करे। NALSA बनाम भारत संघ (2014) और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (2023) की सिफारिशों का भी हवाला दिया गया। आयोग ने शिकायतकर्ता के समाज सेवा के प्रयासों को सराहते हुए राज्य सरकार से व्यावहारिक और समावेशी दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया।
अतिरिक्त मुख्य सचिव को 2 मई को तलब किया
आयोग के प्रोटोकॉल, सूचना व जनसंपर्क अधिकारी डॉ. पुनीत अरोड़ा ने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और प्राथमिक शिक्षा निदेशक को निर्देश दिया है कि वे 2 मई 2025 को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर इस विषय पर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। आदेश न केवल ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों की पुष्टि करता है, बल्कि राज्य के समावेशी और न्यायपूर्ण समाज के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह भी पढ़ें : हरियाणा सरकार ने मानी विनेश फोगाट की दो मांगें : मिलेगी 4 करोड़ की नकद राशि और HSVP का प्लॉट, जानें क्या है पूरा मामला