नारनौल: इरादे मजबूत और परिश्रम पर भरोसा होने पर परिणाम भी सकारात्मक ही मिलते हैं। इस कहावत को नांगल दुर्गू के किसान ख्यालीराम चंदेला ने साबित कर दिखाया। किसान ख्यालीराम ने पहाड़ की तलहटी पर परिश्रम करके एक एकड़ जमीन पर बागवानी (Gardening) लगाई, जिसमें लागत और मजदूरी का भुगतान करके करीब एक लाख रुपए की सालाना आमदनी कमा रहा है। साथ ही दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं।
बारिश न होने के कारण सूख गए भजल स्त्रोत
आपको बता दें कि नांगल दुर्गू (Nangal Durgu) गांव में बीते चार दशकों से पर्याप्त बारिश नहीं हो रही, जिस कारण भूजलस्रोत सूख गए। 2000 फीट की गहराई तक पानी उपलब्ध नहीं होने पर ग्रामीणों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। समस्या के बावजूद ख्यालीराम चंदेला ने पहाड़ की तलहटी पर करीब एक एकड़ रकबे पर बाग और सब्जी लगाने का निर्णय लिया। सिंचाई के लिए कृषि बोरवेलों से पाइप लाइन दबाने का प्रयास किया, लेकिन ऊंचाई ज्यादा होने के कारण पानी नहीं चढ़ पाया। इसके बाद पहाड़ पर एक टंकी का निर्माण कराया, जिसमें टैंकरों से पानी भरवाया गया।
बागबानी में लगाए ड्रिप फव्वारा सिस्टम
किसान ख्यालीराम ने टंकी से पाइप जोड़कर बागवानी में ड्रिप फव्वारा सिस्टम लगाए। इस तकनीक से सिंचाई भी अच्छी होती है और पानी का खर्च भी ज्यादा नहीं होता। कृषि विभाग (Agriculture Department) की सलाह अनुसार बागवानी में आर्गेनिक खाद का इस्तेमाल किया। इस खाद के प्रभाव से पौधों की ग्रोथ और फुटाव में तेजी तथा फल भी अच्छा आने लगा। बीते दो साल से बागवानी में उत्पादन होना आरंभ हो गया। आर्गेनिक खाद से तैयार सब्जी और फलों को बाजार लेकर जाने की जरूरत नहीं पड़ती। आसपास गांवों के लोग घर पर ही सब्जी या फल खरीदने के लिए पहुंचने लगे और अच्छा भाव मिलने से किसान की आमदनी सालाना एक लाख तक पहुंच गई।
आर्गेनिक खाद से पौधों की जड़ों में बनी रहेगी नमी
कृषि विभाग के बीएओ डॉ. हरीश यादव ने बताया कि रसायनिक खाद में जमीन की जरूरत के अनुसार पौषक तत्व नहीं होते। आवश्यक तत्व नहीं मिलने पर पौधा बार बार सिंचाई (Irrigation) की डिमांड करता है। दूसरी तरफ आर्गेनिक खाद में सभी खनिज प्रचूर मात्रा में होते हैं। जिसकी मदद से पौधों को ग्रोथ में भी मदद मिलती है और जड़ों तक नमी बनी रहती है। देसी खाद से तैयार अनाज या सब्जी पौष्टिक होने के साथ स्वादिष्ट भी होती है। देसी खाद को बढ़ावा देने के लिए विभाग ने विशेष मुहिम चलाई है।
लागत बढ़ने के बावजूद आमदनी बढ़ा रही बागवानी
किसान ख्यालीराम चंदेला ने बताया कि बागवानी फसल की सिंचाई के लिए ड्रिप फववारा सिस्टम लगाया है। इस सिंचाई पद्धति से पानी कर्म खर्च होने के बावजूद महीने में आठ से नौ टैंकरों की जरूरत होती है। जिससे लागत बढ़ने के बावजूद अच्छी आमदनी होती है। साथ ही सब्जी (Vegetable) या फलों को बेचने के लिए मंडी में नहीं जाना पड़ता। लोग घर से खरीदकर लेकर जाते हैं, जिससे किराया और समय की भी बचत होती है।