हरियाणा: खगोलीय घटनाओं में दिलचस्पी रखने वालों के लिए साल 2025 बेहद खास होने वाला है। क्योंकि नए साल 2025 में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की चाल दुनिया को दो सूर्यग्रहण और दो चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse) के रोमांचक दृश्य दिखाएगी। नए साल यानि 2025 में सूर्य और चंद्रमा को मिलाकर कुल चार ग्रहण लगेंगे। इसमें दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण शामिल है। ज्योतिष आचार्यों की मानें तो साल 2025 में ग्रहणों की शुरुआत 14 मार्च से होगी और 21 सितंबर को अंतिम ग्रहण लगेगा।
14 मार्च को लगेगा पूर्ण चंद्रग्रहण
नए साल में 14 मार्च 2025 को पूर्ण चंद्र ग्रहण लगेगा और इसी माह सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) भी है। ये दोनों ही ग्रहण भारत में नजर नहीं आएंगे, इसलिए इनका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। हालांकि, चारों ग्रहण में केवल एक चंद्रग्रहण का नजारा भारत में दिखाई देगा, जिसका सूतक काल भी मान्य होगा। अब सवाल यह है कि आखिर साल 2025 में कब-कब सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण लगेगा ,भारत में दोनों ग्रहण दिखेंगे या नहीं।
2025 में लगने वाले सूर्य ग्रहण और चंद्रग्रहण
साल 2025 का पहला ग्रहण चंद्रग्रहण होगा। यह चंद्र ग्रहण अमेरिका, पश्चिमी यूरोप, पश्चिमी अफ्रीका और उत्तरी और दक्षिणी अटलांटिक महासागर में दिखाई देगा। साल का पहला सूर्यग्रहण और साल का दूसरा ग्रहण 29 मार्च 2025 को लगेगा। यह एक आंशिक सूर्यग्रहण होगा, जो भारत में नहीं दिखेगा। यह ग्रहण उत्तरी अमेरिका, ग्रीनलैंड, आईसलैंड, उत्तरी अटलांटिक महासागर, पूरे यूरोप (Europe) और उत्तर-पश्चिमी रूस में देखा जा सकेगा। साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 7-8 सितंबर को होगा। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा। इस चंद्र ग्रहण को अंटार्कटिका, पश्चिमी प्रशांत महासागर आस्ट्रेलिया, एशिया, हिंद महासागर और यूरोप में भी देखा जा सकेगा। साल का अंतिम सूर्य ग्रहण 21-22 सितंबर को लगेगा, जो एक आशिंक सूर्य ग्रहण होगा। यह ग्रहण न्यूजीलैंड, पूर्वी मेलानेशिया, दक्षिणी पोलिनेशिया व पश्चिमी अंटार्कटिका में दिखेगा।
क्यों लगता है सूर्य ग्रहण
सूर्य ग्रहण उस स्थिति में होता है, जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है। ऐसी स्थिति होने पर सूर्य का प्रकाश पृथ्वी (Earth) तक पहुंच पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसा होने से चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ने लगती है और सूरज का कुछ ही हिस्सा दिखाई देता है। हालांकि, सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं, आंशिक, वलयाकार और पूर्ण सूर्य ग्रहण।
क्यों लगता है चंद्र ग्रहण
सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों ही एक खगोलीय घटना है। चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है और चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है। इस प्रक्रिया में एक ऐसा भी समय आता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य एक ही सीध में आ जाते हैं। इस स्थिति में सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है, लेकिन चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता। इसी घटना को चंद्रग्रहण कहा जाता है।