हरिभूमि न्यूज. फतेहाबाद। एनजीटी, सुप्रीम कोर्ट व प्रदेश सरकार की सख्ती के बाद जिला प्रशासन ने पराली जलाने वाले किसानों पर डंडा चलाना शुरू कर दिया है। हालांकि इस समय तक 92 फीसदी तक धान की कटाई हो चुकी है और पराली का भी निपटान हो चुका है। 92 फीसदी पराली या तो जला दी गई या उठा ली है लेकिन अब प्रशासन ने किसानों पर कानूनी कार्रवाई शुरू की है। पिछले 5 दिनों में जिले में 22 किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। अभी कुछ ओर मामले पुलिस के पास पेंडिंग है।
शुक्रवार को भी कृषि विभाग द्वारा पराली जलाने वाले तीन किसानों पर एफआईआर दर्ज करवाई गई है। अब तक 22 किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है। इस बारे भूना पुलिस को दी शिकायत में एग्रीकल्चर सुपरवाइजर अनमोल सिधु ने कहा है कि उपायुक्त फतेहाबाद द्वारा धारा 144 के तहत धान की कटाई उपरांत बचे हुए अवशेष जलाने पर 4 अक्टूबर से पूर्ण प्रतिबंध लगाया हुआ है। उन्हें हरसेक द्वारा जीपीएस लोकेशन प्राप्त हुई। इसमें सूचना दी गई थी कि गांव रायपुर में एक किसान द्वारा धान की पराली जलाई गई है। इस सूचना पर एग्रीकल्चर सुपरवाइजर अनमोल सिधु अपनी टीम जिसमें कृषि विकास अधिकारी, पटवारी, ग्राम सचिव, नंबरदार व गांव के सरपंच शामिल थे, मौके पर पहुंचे। वहां उन्होंने पाया कि गांव रायपुर में सुखदेव सिंह ने 7 कनाल 4 मरले खेत में पराली में आग लगाई हुई थी। एग्रीकल्चर सुपरवाइजर ने कहा कि पराली में आग लगाकर किसान ने भारतीय दंड सहिंता की धारा 188 एवं वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 की उल्लंघना की है। इस पर उन्होंने इस बारे पुलिस को शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने किसान के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
दूसरे मामले में सदर फतेहाबाद पुलिस ने एग्रीकल्चर सुपरवाइजर बीघड़ मुनीष अरोड़ा की शिकायत पर गांव बीघड़ के किसान सतबीर सिंह के खिलाफ पराली जलाने के आरोप में केस दर्ज किया है। अधिकारी ने कहा कि उन्हें 22 नवम्बर को हरसेक से पराली जलाने बारे लोकेशन मिली तो वे टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने वहां पाया कि किसान सतबीर सिंह ने 10 कनाल 18 मरला खेत में पराली में आग लगाई हुई थी।
तीसरे मामले में सदर रतिया पुलिस ने एग्रीकल्चर सुपरवाइजर देवाशिया मांझू की शिकायत पर गांव अलीका के किसान मेजर सिंह के खिलाफ पराली जलाने के आरोप में केस दर्ज किया है। आरोप है कि किसान मेजर सिंह ने 7 कनाल 6 मरला खेत में पराली में आग लगाई है।