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हरियाणा के नारनौल में कृषि विभाग ने कपास की फसल में गुलाबी सुंडी को लेकर एडवाइजरी जारी की है। गुलाबी सुंडी के लक्षण दिखने पर किसान सतर्कता बरते और कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क करें।

Narnaul: कपास एक महत्वपूर्ण रेशे वाली नकदी फसल है। कपास में बीटी कपास आने से पहले तीन सुंडियों का जबरदस्त प्रकोप था। इन तीन सुंडियों में अमेरिकन सुंडी, गुलाबी सुंडी व चितकबरी सुंडी प्रमुख थी। पिछले कुछ वर्षों से मध्य व दक्षिणी भारत में बीटी कपास में गुलाबी सुंडी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण इसका प्रकोप देखा गया। वहीं 2018-19 के दौरान उत्तरी भारत में गुलाबी सुंडी का प्रकोप पहली बार जिला जींद की कपास मिलों के आसपास देखा गया।

दक्षिण भारत से लाए बिनौले से आई गुलाबी सुंडी

क्षेत्र में गुलाबी सुंडी के प्रकोप का मुख्य कारण दक्षिण भारत के राज्यों से लाए गए बिनौले के साथ प्रतिरोधी गुलाबी सुंडी के आने से हुआ। इसका प्रकोप केवल कपास जिनिंग मिलों व बिनौले से तेल निकालने वाली मिलों के आसपास देखा गया। जिन किसानों ने पिछले साल के कपास की लकड़ियों का ढेर अपने खेत में लगा रखा हैं, वहां पर ज्यादा देखने को मिला हैं। गुलाबी सुंडी कपास की फसल को मध्य व अंतिम अवस्था में नुकसान पहुंचाती है, क्योंकि गुलाबी सुंडी टिंडे के अंदर से अपना भोजन ग्रहण करती है। जिससे कपास की पैदावार व गुणवत्ता पर बहुत विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए इस वर्ष गुलाबी सुंडी के नियंत्रण के लिए कृषि विभाग पूरी तरह अलर्ट है।

कपास उत्पादक किसानों को जागरूक कर रहा विभाग

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक डॉ. देवेंद्र सिंह ने बताया कि कपास उत्पादक किसानों को विभाग जागरूक करेगा। गुलाबी सुंडी के खतरे को देखते हुए कृषि विभाग मुख्यालय से समय-समय पर एडवाइजरी जारी की जाती है। इसके तहत कृषि अधिकारी नियमित तौर पर फील्ड में उतरकर कपास फसल की निगरानी करेंगे और जिन क्षेत्रों में कपास का उत्पादन अधिक होता है, उन गांव में गुलाबी सुंडी की पहचान और रोकथाम के लिए किसानों को जागरूक करेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष शिविरों का आयोजन किया जाएगा, ताकि किसान समय रहते गुलाबी सुंडी से होने वाले नुकसान से बच सकें। इसके अतिरिक्त कृषि अधिकारी किसानों को खरीफ सीजन के कपास की लकड़ियों के अवशेषों को जलाने के लिए जागरूक करेंगे।

कृषि विभाग ने बताई गुलाबी सुंडी की पहचान

डॉ. देवेंद्र सिंह ने बताया कि गुलाब सुंडी की पहचान व उसके आर्थिक कगार को जाने के लिए खेत में लगाए गए फेरोमोन ट्रैप में आठ प्रोढ़ पतंगे प्रति फेरोमोन ट्रैप में लगातार तीन दिन तक मिले या खेत में कपास के पौधों पर लगे हुए 100 फूलों में से 10 फूल गुलाब की तरह बंद दिखाई देते हैं। इन फूलों को खोलने पर इनमें गुलाबी सुंडी या इसके द्वारा बनाया हुआ जाल दिखाई पड़ता है या 20 हरे टिंडे 10-15 दिन पुराने बड़े आकार के टिंडे खोलने पर दो टिंडों में गुलाबी या सफेद लारवा दिखाई दे, तो गुलाबी सुंडी को नियंत्रण करने की आवश्यकता है।

एक ही कीटनाशक का छिड़काव बार-बार ना करें

फसल के दौरान गुलाबी सुंडी के प्रकोप की निगरानी व नियंत्रण के लिए दो फेरोमोन ट्रेप प्रति एकड़ की दर से फसल में लगाए। गुलाबी सुंडी के प्रकोप की निगरानी के लिए प्रतिदिन सुबह-शाम खेत का निरीक्षण करते रहे। गुलाबी सुंडी से प्रभावित नीचे गिरे टिंडो, फूल डोडी व फूल को एकत्रित कर नष्ट कर दें। जिस खेत में गुलाबी सुंडी का प्रकोप न हुआ हो, उस कपास को अलग से चुगाई करें व अलग ही भंडारित करें। गुलाबी सुंडी के प्रकोप वाले क्षेत्रों से नए क्षेत्र में कपास की लकड़ियों को नहीं ले जाना चाहिए। एक ही कीटनाशक का छिड़काव बार-बार नहीं करना चाहिए। जिस कपास की फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप हुआ हो, उस कपास को घरों या गोदामों में भंडारित नहीं करना चाहिए।

गुलाबी सुंडी के रोक के लिए यह है उपाय

गुलाबी सुंडी बीटी नरमें के दो बीजों को जोड़कर या भंडारित लकड़ियों में निवास करती है। इसलिए लकड़ी या बिनोलों का भंडारण सावधानीपूर्वक करना चाहिए। बीटी नरमे की लकड़ियों से निकलने वाले गुलाबी सुंडी के पतंगों को रोकने के लिए अप्रैल महीने से भंडारित लकड़ियों को पॉलीथिन शीट या मच्छरदानी से ढकें। पिछले साल जिन खेतों में या गांव में गुलाबी सुंडी की समस्या थी, उन खेतों की लकड़ियों से टिंडे व पत्तों को झाड़कर नष्ट कर दें। कपास की लकड़ी (बनछटी) को झाड़कर दूसरे स्थान पर रखे व बचे हुए अवशेष को जलाकर नष्ट कर दें। गुलाबी सुंडी के नियंत्रण के लिए यह बगैर पैसे खर्च किए सबसे कारगर तरीका है। सभी किसान अपने खेतों में व अपने गांव के नजदीक बनछटियों के ढेर को झाड़कर अवशेषों को जलाना सुनिश्चित करें।

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