Hisar: अग्रोहा धाम देश का पांचवा धाम है। धाम के साथ देश के वैश्य समाज व आम जनता की आस्था जुड़ी हुई है। अग्रोहा धाम के निर्माण का काम सन 1976 में तेजी से शुरु किया गया था। अग्रोहा धाम लगभग 30 एकड़ में बना हुआ है जो पहले टीलें के रूप में था। इसकी सफाई करवाकर अग्रोहा धाम का भव्य निर्माण करवाया गया है। अग्रोहा टीले की खुदाई का कुछ काम अंग्रेजों के शासनकाल में दो बार हुआ था। इसके बाद समय-समय पर खुदाई हुई और अब इसकी फिर से खुदाई का काम शुरू होने जा रहा है।
महाराजा अग्रसेन की राजधानी थी अग्रोहा
अग्रोहा महाराजा अग्रसेन की राजधानी थी। महाराजा अग्रसेन का महल, जो 125 एकड़ में बना हुआ था, वह टीलें के रूप में बदल चुका है। उस टीलें की थोड़ी बहुत खुदाई का काम अंग्रेजों के शासनकाल में 1888-89 के दौरान हुआ था और उसके बाद कुछ खुदाई का काम दोबारा 1938-39 में हुआ था। खुदाई के समय चांदी के सिक्के मिले। मोहरे व पत्थर की मूर्ति, लोहे, तांबे के उपकार और अर्ध कीमती पत्थरों के मोती आदि सामग्री मिली थी। खुदाई में उस समय लगभग सात हजार कलाकृतियां मिली थी। अग्रोहा टीलें की खुदाई के लिए वैश्य समाज काफी समय से संघर्ष कर रहा था जबकि टीलें की खुदाई की घोषणा केंद्रीय मंत्रियों द्वारा अग्रोहा धाम के वार्षिक सम्मेलन में कई बार की गई।
अग्रोहा टीलें की खुदाई के लिए हुआ एमओयू
वैश्य समाज के प्रयासों से सरकार द्वारा अग्रोहा टीलें की खुदाई के लिए जो एमओयू साइन किया गया है, वह सराहनीय कदम है। वैश्य समाज के संघर्ष की जीत हुई है। सरकार द्वारा टीलें की खुदाई का काम तुरंत प्रभाव से शुरू करना चाहिए। अग्रोहा धाम में 30 करोड़ रुपए की लागत से दो भव्य संग्रहालय महाराजा अग्रसेन के नाम पर बन रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा रेलवे बजट में अग्रोहा को रेलवे लाइन से जोड़ने की मंजूरी दी हुई है। एक साल हो चुका है, मगर अभी तक अग्रोहा को रेलवे लाइन से जोड़ने का काम सरकार द्वारा शुरू नहीं किया गया। केंद्र सरकार को अग्रोहा को विकसित करने के लिए अग्रोहा को रेलवे लाइन से जोड़ने का काम जल्द शुरू करना चाहिए ।