Logo
हरियाणा की अंबाला लोकसभा सीट पर भाजपा ने बंतो कटारिया पर दांव खेला है। अगर उनके सामने कांग्रेस से कुमारी सैलजा को टिकट मिली तो मुकाबला काफी रौचक होने की संभावना है। अभी तक इस सीट पर भाजपा व कांग्रेस का ही दबदबा रहा है।

Ambala: भाजपा ने अंबाला लोकसभा से पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय रतनलाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया पर दांव लगाया है । पति के निधन के बाद गेल की निदेशक रही बंतो का ही इस सीट पर दावा मजबूत नजर आ रहा था। अब बंतो पर ही अंबाला लोकसभा सीट से स्वर्गीय पति की सियायत को आगे बढ़ाने का जिम्मा है। इस सीट से दावेदारों के लिए बने पैनल में बंतो सभी को पछाड़ने में कामयाब रही।

भाजपा-कांग्रेस का रहा दबदबा

अंबाला लोकसभा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों का ही दबदबा रहा है। पिछले 17 लोकसभा चुनावों में से 9 में कांग्रेस ने जीत हासिल की है जबकि 5 में भाजपा जीत का परचम लहराने में कामयाब रही। पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा के रतन लाल कटारिया ने लगातार जीत हासिल की थी। पिछले चुनाव में तो स्वर्गीय रतनलाल कटारिया ने कांग्रेस की दिग्गज नेत्री कुमारी सैलजा को हराया था। राजनीति के लिहाज से अंबाला लोकसभा सीट को हमेशा बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस सीट से लगातार दो बार जीत हासिल करने वाली कांग्रेस की कुमारी सैलजा तत्कालीन यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रही। 1952 में अस्तित्व में आई यह सीट वैसे तो कांग्रेस का गढ़ रही है लेकिन मोदी लहर की वजह से पिछले दो चुनावों से भाजपा इस सीट को जीतने में कामयाब रही।

सैलजा मैदान में उतरी तो कठिन होगी चुनौती

बेशक भाजपा पिछले दो लोकसभा चुनावों में अंबाला लोकसभा सीट को जीतने में कामयाब रही। पर इस बार परिस्थितियां पूरी तरह से बदल चुकी हैं। रतनलाल कटारिया के निधन के बाद भाजपा के पास यहां कोई मजबूत चेहरा नहीं था। बेशक पति रतन लाल कटारिया के साथ बंतों सियासी मंचों पर उपस्थिति दर्ज करवा रही थी। फिर भी एक मजबूत उम्मीदवार के तौर पर उनकी पहचान नहीं बन पाई। अगर कांग्रेस ने इस सीट से कुमारी सैलजा को मैदान में उतार दिया तो फिर बंतों के लिए चुनौती कठिन हो जाएगी। बंतों के मुकाबले सैलजा बेहद मजबूत नेता है। उनका पार्टी के साथ-साथ अपना भी मजबूत आधार है। साथ ही उसकी गिनती कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में होती है।

पिछले दो चुनाव में जीत का आंकड़ा

पिछले लोकसभा चुनाव में रतन लाल कटारिया ने कुमारी सैलजा को 3,42,345 वोटों से हराया था। कटारिया को 746,508 यानी 56 फीसदी वोट मिले थे जबकि सैलजा को 404,163 यानी 30 फीसदी वोट मिले थे। अगर 2014 के चुनावी आंकड़े को देखें तो इस साल रतन लाल कटारिया ने राजकुमार बाल्मीकि को 3,40,074 वोटों से करारी शिकस्त दी थी। कटारिया को 612,12 यानी 50 फीसदी वोट मिले थे जबकि बाल्मीकि को केवल 22 फीसदी वोट से ही संतोष करना पड़ा था। बाल्मीकि को 272,047 वोट मिले थे। इस सीट की कुल जनसंख्या 26,23,581 है। अगर मतदाताओं की बात करें तो यहां कुल 17,57,524 मतदाता हैं, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या की बात करें तो 9,38,972 पुरुष मतदाता हैं। वहीं महिला वोटरों की संख्या 8,18,549 है। 2019 के लोकसभा चुनाव में 13,16,235 लाख मतदाताओं ने मतदान किया था।

इन उम्मीदवारों ने हासिल की जीत

अंबाला लोकसभा सीट से पहली बार 1952 में कांग्रेस के टेक चंद ने चुनाव जीता। इसके बाद 1957 में कांग्रेस के सुभाष जोशी ने जीत हासिल की। 1962 में फिर कांग्रेस के चुन्नी लाल यहां से विजयी हुए। 1967 में यह सीट भारतीय जनसंघ के खाते में चली गई, तब सूरजभान यहां से चुनाव जीते थे। 1971 में कांग्रेस के राम प्रकाश चौधरी ने इस सीट से जीत दर्ज की थी। 1977 और 1980 में जनता पार्टी से सूरजभान चुनाव जीते। 1984 और 1989 में कांग्रेस के राम प्रकाश चौधरी इस सीट पर फिर कब्जा करने में कामयाब रहे। 1996 में सूरजभान भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीते थे। 1998 में बीएसपी से अमन कुमार नागरा ने यहां पहली बार जीत हासिल की थी। 1999 में भाजपा से रतन लाल कटारिया चुनाव जीते। 2004 और 2009 में लगातार कांग्रेस की कुमारी सैलजा ने जीत दर्ज की। पार्टी ने उन्हें सिरसा की बजाय अंबाला लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था। 2014 और 2019 में बीजेपी के रतन लाल कटारिया जीत हासिल करने में कामयाब रहे।

5379487