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हरियाणा के नूंह में रिश्वत लेने के मामले में अदालत ने एएसआई को दोषी करार देते हुए 5 साल कैद व एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना न भरने पर दोषी को अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

Nuh: नूंह में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप कुमार दुग्गल की अदालत ने रिश्वत लेने के एक मामले में दोषी करार दिए गए एएसआई को पांच साल की सजा सुनाई। इसके अलावा एक लाख रुपए का जुर्माना भी दोषी पर लगाया गया। जुर्माना न भरने की सूरत में दोषी को अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। यह मामला वर्ष 2020 का है। दोषी एएसआई को वाहन छोड़ने के एवज में मालिक से 20 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए विजिलेंस टीम ने तावडू से रंगे हाथों काबू किया था।

एएसआई ने वाहन छोड़ने की एवज में मांगी थी रिश्वत

वरिष्ठ अधिवक्ता ताहिर देवला ने बताया कि 2020 में अवैध खनन से जुड़ा एक मामला तावडू सदर थाने में दर्ज हुआ था, जिसमें निम्बाहेड़ी थाना टपूकड़ा जिला अलवर के रहने वाले मुबीन भी आरोपी था। आरोपी के वाहन को भी जब्त किया गया था। मामले के तत्कालीन जांच अधिकारी एएसआई सुरेंद्र थे, जिन्होंने वाहन को छोड़ने के बदले मालिक से रिश्वत की मांग की। आरोप था कि करीब 50 हजार रुपए रिश्वत के रूप में पहले ही ले चुका था। पीड़ित पक्ष की ओर से वह अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप कुमार दुग्गल की अदालत में केस की पैरवी कर रहे थे। दोषी फोन पर रिश्वत की ओर रकम लेने के लिए दबाव बना रहा था। मुबीन की शिकायत पर  गुरुग्राम विजिलेंस टीम ने जाल बिछाकर एएसआई सुरेंद्र को तावडू से 20 हजार रुपए की रिश्वत के साथ रंगे हाथों काबू कर लिया।

सुनवाई के दौरान मुख्य गवाह अदालत में बयानों से पलटे

वरिष्ठ अधिवक्ता ताहिर देवला ने बताया कि इस मामले में केस की सुनवाई के दौरान ही पीड़ित पक्ष के सभी मुख्य गवाह अदालत में अपने बयानों से पलट गए। लेकिन दोषी द्वारा फोन पर रिश्वत की मांग की गई थी, जिसकी रिकॉर्डिंग के वॉइस सैंपल मिलान कर लिए गए, जिन्हें अदालत ने अहम सबूत के रूप में माना। करीब तीन साल से अधिक समय तक मामले की सुनवाई चली। सभी प्रकार के सबूत शुरुआत में ही जुटा लिए गए, जिन्हें मजबूती से अदालत के समक्ष रखा गया। जिनके आधार पर अदालत ने आरोपी एएसआई को दोषी मान लिया। मंगलवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप कुमार दुग्गल की अदालत ने 32 पेज की एक विस्तृत रिपोर्ट के साथ अपना फैसला सुनाया। जिसमें दोषी एएसआई सुरेंद्र को पांच साल की सजा के साथ एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया।

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