रोहतक, मोहन भारद्वाज: प्रदेश कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा पिछले करीब दो दशक से किंग मेकर बने हुए हैं तथा हुड्डा को चुनौती देने वाले अधिकतर नेताओं का हश्र एक जैसा ही हुआ। मई में हुए लोकसभा चुनाव में पांच सीट जीतने से पार्टी में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पकड़ और मजबूत हुई। 2014 में 10 साल बाद कांग्रेस के प्रदेश की सत्ता के बाहर होने के बाद मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहीं कुमारी सैलजा अक्सर भूपेंद्र हुड्डा को चुनौती देती रही हैं। लोकसभा चुनावों के बाद पहले से अधिक आक्रामक हुई सैलजा अपने समर्थकों को विधानसभा चुनाव लड़वाने का देखा गया सपना सूची जारी होते ही टूट गया। इतना ही नहीं कुमारी सैलजा उकलाना से अपने भतीजे को भी टिकट नहीं दिलवा पाई।
जिससे मिली चुनौती, उसी का निपटा दिया
2005 में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद हरियाणा की राजनीति में पीएचडी के नाम से विख्यात भजनलाल को पछाड़कर भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद भूपेंद्र हुड्डा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा तथा लगातार पार्टी में अपनी पकड़ मजबूत करते गए। 10 साल सत्ता में रहते हुए भजनलाल के साथ-साथ चौ. बीरेंद्र सिंह, राव इंद्रजीत सिंह व कैप्टन अजय यादव जैसे कई नेता समय समय पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनौती देते रहे, परंतु हुड्डा एक-एक कर अपने सभी विरोधियों को किनारे लगाते रहे। 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले राव इंद्रजीत सिंह व चौ. बिरेंद्र सिंह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए।
अब उसी कतार में सैलजा
2014 में कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई तो कैप्टन अजय यादव के साथ नई पीढ़ी से तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर, कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला व किरण चौधरी भूपेंद्र हुड्डा को चुनौती देने लगे। कैप्टन अजय यादव कभी इधर तो कभी उधर होते रहे, परंतु सैलजा ने किरण व रणदीप के साथ मिलकर अलग गुट बना लिया। इस गुट ने कुमारी सैलजा की अगुवाई में हर कदम पर हुड्डा को चुनौती देने का प्रयास किया।
अशोक तंवर को 2019 के चुनाव से पहले पार्टी छोड़ने का विवश कर दिया। इसके बाद इस साल मई में हुए लोकसभा चुनाव में भिवानी महेंद्रगढ़ से किरण चौधरी की बेटी श्रुति का टिकट की दौड़ से बाहर कर दिया। जिससे किरण भी कांग्रेस को अलविदा कह भाजपा में शामिल हो गई। विधानसभा चुनाव में उकलाना से सैलजा के भतीजे हर्ष की टिकट कटवा कर अब उन्हें भी उसी कतार में खड़ा कर दिया है। हालांकि रणदीप सुरजेवाला अपने बेटे आदित्य सुरजेवाला के लिए कैथल से टिकट लेने में सफल रहे।
सावित्री जिंदल को भी झटका
2024 के लोकसभा चुनावों में बेटे नवीन जिंदल को कुरुक्षेत्र से भाजपा की टिकट मिलने के बाद पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल भी हिसार से विधानसभा टिकट पाने की इच्छा लेकर भाजपा में शामिल हो गई। डॉ. कमल गुप्ता तीसरी बार टिकट पाने में सफल रहे तो सावित्री जिंदल ने बगावत कर दी और कांग्रेस से टिकट मिलने की उम्मीद में बुधवार शाम समर्थकों के साथ कांग्रेस मुख्यालय पहुंच गई। आधी रात जारी हुई कांग्रेस की सूची में टिकट रामनिवास राडा को मिला तो सावित्री जिंदल फिर से बागी हो गई और वीरवार सुबह फिर से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।
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पूर्व मंत्री संपत सिंह भी हुए बागी
कांग्रेस जिस डर में उम्मीदवारों की सूची जारी करने में देरी कर थी, बुधवार रात सूची जारी होते ही वही डर सच साबित हो गया। बगावत करने वालों में लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए हिसार से दिग्गज नेता पूर्व मंत्री संपत सिंह, सिरसा से महत्ता परिवार, पानीपत से विजय जैन व आप छोड़कर कांग्रेस में आई पूर्व मंत्री निर्मल सिंह की बेटी चित्रा सावरा का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। कांग्रेस की सूची जारी होने के बाद बगावत करने वालों में से कुछ तो निर्दलीय चुनाव लड़ने का भी ऐलान कर चुके हैं।