Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा में 90 विधानसभा सीटों पर कुछ ही दिनों में वोटिंग होने वाले हैं, जिसके लिए सभी राजनीतिक पार्टियां जोरों-शोरों से अपने चुनाव प्रचार में जुटी हुई है। वहीं, दूसरी तरफ खबर आ रही है कि चुनाव के दौरान बसपा सुप्रीमो मायावती बीजेपी और कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकती है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि बसपा का परंपरागत वोट बैंक दलित है, जो चुनाव में उनका खेल बना भी सकता है और उसे बिगाड़ भी सकता है।
बता दें कि हरियाणा में मायावती ने अपना फोकस इसलिए भी बना हुआ है, क्योंकि यहां पर 21 प्रतिशत वोट बैंक दलितों का है। दलितों बैंक का वोट बैंक ही बसपा को हरियाणा में एक मजबूत दावेदार बनाता है। राज्य में दलितों की आबादी वंचित अनुसूचित जाति और अन्य अनुसूचित जाति के रूप में बटी हुई हैं।
ये है बसपा का लक्ष्य
हालांकि, बसपा को छोड़कर सभी राजनीतिक पार्टी इन पर अपना हक जताते हैं, लेकिन पिछले 4 चुनावों के आंकड़ों को देखा जाए तो राज्य में बीएसपी का वोट बैंक जरूर बढ़ा या घटा है। इसके अलावा विधानसभा की 17 सीटें आरक्षित हैं और राज्य की 35 सीटों पर दलित वोटरों का प्रभाव है। बीएसपी का लक्ष्य 17 और 35 सीटों पर है, जहां दलित वोटरों का प्रभाव है, ताकि हरियाणा में बीएसपी गेम चेंजर के रूप में अपनी भूमिका रह सके।
हरियाणा में दलितों का क्या है महत्व
साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, हरियाणा की आबादी में दलितों की हिस्सेदारी 20.2% है, जिसमें 17 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति (SC) उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। ग्रामीण इलाको में, एससी आबादी शहरी क्षेत्रों के 15.8% की तुलना में 22.5% ज्यादा हैं।
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37 सीटों पर बसपा के उम्मीदवार
वहीं, राज्य में इस बार विधान सभा चुनाव में बसपा, इंडियन नेशनल लोकदल के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है। इसके लिए बसपा ने प्रदेश की 90 सीटों में से 37 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। बता दें कि इस गठबंधन की घोषणा जून में पार्टी के नेशनल कनवीनर आकाश आनंद ने दिल्ली में दोनों दलों की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में की थी।