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हरियाणा को 56 साल बाद पिछड़ा वर्ग का मुख्यमंत्री एक बार फिर से मिल गया है। इसके पहले 1967 में राव बीरेंद्र ने हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। पांच दशक बाद कुरुक्षेत्र से सांसद नायब सैनी ने शपथ ली है।

Haryana: भाजपा हाईकमान की ओर से सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला अपनाते हुए पिछड़ा वर्ग के चेहरे को सीएम की कमान सौंपी है। लोकसभा मिशन-2024 से ठीक पहले एक तीर से कई निशाने साधने का काम किया गया है। वैसे, पांच दशक से ज्यादा वक्त के बाद हरियाणा में भाजपा हाईकमान ने यह कार्ड खेल दिया है। अब देखना होगा कि लोकसभा चुनावों पर इसका कितना असर पड़ेगा।

56 साल बाद मिला पिछड़ा वर्ग का सीएम

जानकारी अनुसार हरियाणा को 56 साल बाद पिछड़ा वर्ग का मुख्यमंत्री एक बार फिर से मिल गया है। इसके पहले 1967 में राव बीरेंद्र ने हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। पांच दशक बाद कुरुक्षेत्र से सांसद नायब सैनी ने शपथ ली है। वैसे नायब सैनी कुरुक्षेत्र से लोकसभा के सांसद हैं। सैनी मनोहरलाल सरकार पार्ट वन में मंत्री भी रह चुके हैं। बाद में हाईकमान की ओर से उन्हें प्रदेश से उठाकर लोकसभा में भेजने का फैसला लिया था। यहां पर याद दिला दें कि हरियाणा प्रदेश की कुल आबादी का 30 फीसदी हिस्सा पिछड़े वर्ग  से आता है। चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने पिछड़ा वर्ग को साधने के लिए बड़ा दांव खेल दिया है।

प्रदेश में 2014 तक विशेष समुदाय से ही बने सीएम

हरियाणा में वर्ष 2014 तक विशेष समुदाय से ही मुख्यमंत्री बने हैं। वर्ष 2014 में भाजपा ने रिवायत को तोड़ा और पंजाबी वर्ग से मनोहर लाल को प्रदेश की कमान सौंपने का काम किया। 26 अक्टूबर 2014 से 27 अक्टूबर 2019 तक सीएम के रूप में मनोहर लाल का पहला कार्यकाल रहा। वहीं, दूसरी बार जजपा के साथ गठबंधन कर भाजपा फिर सत्ता पर काबिज हुई। भाजपा ने मनोहर लाल को सत्ता की कमान सौंपी। 12 मार्च 2024 तक वह सीएम रहे।

कांग्रेस के भूपेंद्र हुड्डा का रहा सबसे लंबा कार्यकाल

पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा का बतौर सीएम सबसे लंबा कार्यकाल रहा है। हुड्डा नौ साल 235 दिन तक मुख्यमंत्री रहे, जबकि मनोहर लाल 9 साल 138 दिन मुख्यमंत्री रहे हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा का पहला कार्यकाल पांच मार्च 2005 से 25 मार्च 2009 तक और दूसरा पांच अक्टूबर 2009 से 26 मार्च 2014 तक रहा है। प्रदेश में तीन बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है। खास बात है कि जिस मुख्यमंत्री के कार्यकाल में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ, वह दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बना।

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