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हरियाणा की रिक्त हुई राज्यसभा की एक सीट के लिए 3 सितंबर को उपचुनाव होगा। इस सीट पर भाजपा ने केंद्र में मंत्री बनाए गए रवनीत बिट्टू का नाम सबसे आगे चल रहा है। वहीं, किरण चौधरी का नाम भी प्रमुखता से लिया जा रहा है। अब देखना यह है कि किसकी लॉटरी लगती है।

योगेंद्र शर्मा, चंडीगढ़: आखिरकार राज्यसभा की एक सीट के लिए 3 सितंबर को चुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया गया। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी इस एकमात्र सीट के लिए किसे उम्मीदवार बनाएगी, अभी तक हालत साफ नहीं हैं। उसके बावजूद चुनाव हार जाने के बाद भी भाजपा द्वारा केंद्र में मंत्री बनाए गए पंजाब के रवनीत बिट्टू का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। इसके अलावा कांग्रेस को बाय-बाय कर भाजपा ज्वाइन करने वाली वरिष्ठ नेत्री और विधायक किरण चौधरी का नाम भी प्रमुखता से लिया जा रहा है। विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा हाईकमान तमाम सियासी समीकरण बैठाने व सोशल इंजीनियरिंग में जुटा हुआ है। अब देखना यह होगा कि राज्य से ही कोई चेहरा लिया जाता है या फिर पंजाब की माटी से संबंध रखने वाले बिटटू को ही तोहफा दिया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री का नाम सबसे आगे

केंद्र की मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बने नवनीत बिट्टू इस दौड़ में फिलहाल सबसे आगे बताए जा रहे हैं। बिट्टू का नाम इसलिए भी आगे माना जा रहा है, क्योंकि लोकसभा का चुनाव हारने के बाद उन्हें मंत्री पद दिया है। इस तरह से नियमों की बात करें, तो 6 माह के अंदर-अंदर उनको संसद में सदस्यता पाना अहम विषय है। हरियाणा प्रदेश से दूसरे नाम की बात करें तो सियासी दिग्गजों चौधरी बंसीलाल परिवार की पुत्रवधू और विधायक किरण चौधरी का नाम भी राज्यसभा की सीट के लिए रेस में शामिल है। हरियाणा से भाजपा के तीन से चार नेताओं के नाम के चर्चे चल रहे हैं। खास बात यह है कि विधानसभा सीट के लिए भाजपा सोशल इंजी का खेल भी खेल सकती है। किसी पढ़े लिखे और अनुभवी जाट चेहरे के अलावा ब्राह्मण कार्ड भी खेला जा सकता है।

भाजपा के पास बहुमत, विपक्ष उठा चुका हाथ

भले ही कांग्रेस की ओर से विनेश फोगाट का नाम लेकर राज्यसभा में भेजे जाने की वकालत की जा रही हो, लेकिन मशहूर खिलाड़ी विनेश फोगाट की उम्र अभी राज्यसभा के लिए उचित नहीं है। इस बारे में पूर्व डिप्टी सीएम और जजपा नेता दुष्यंत चौटाला कांग्रेसियों द्वारा की जा रही सियासत पर नसीहत दे चुके है। इसके अलावा विपक्ष के नेता और पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा मान चुके हैं कि उनके पास राज्यसभा में सदस्य जीतने के लिए आंकड़ा नहीं है। कुल मिलाकर सत्ताधारी पार्टी बीजेपी हरियाणा में सांसद बनाने में कामयाब रहेगी। हरियाणा विधानसभा की बात करें तो यहां 90 विधायकों वाली विधानसभा में इस वक्त 87 विधायक हैं। इसलिए राज्यसभा का चुनाव जीतने के लिए 44 विधायकों के मतों की जरूरत पड़ेगी। भाजपा के पास 41 विधायक खुद के हैं। इसके अलावा भाजपा को एक निर्दलीय विधायक गोपाल कांडा का खुला समर्थन हासिल है।

हरियाणा के अलावा भी कई राज्यों का चुनाव

हरियाणा के अलावा महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, ओडिशा, तेलंगाना, त्रिपुरा, राजस्थान, असम की रिक्त सीटों पर चुनाव होना है। असम, बिहार और महाराष्ट्र में दो-दो सीट रिक्त हो रही हैं। हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, त्रिपुरा, तेलंगाना और ओडिशा से एक-एक सीट रिक्त हो रही है। 12 में से 10 सीट पर चुनाव इसलिए हो रहे हैं, क्योंकि सदस्यों का चुनाव लोकसभा के लिए हो चुका है जबकि दो सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया है।

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