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हरियाणा की भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर कांग्रेस व भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। वहीं, जेजेपी के चुनाव लड़ने पर ब्रेक लग गए है, जबकि इनेलो का जनाधार काफी कम हुआ है। भाजपा व कांग्रेस को प्रत्याशियों को लेकर भी मंथन करना होगा।

सतीश सैनी, नारनौल : 2019 में 12 मई को हुए चुनाव में भाजपा ने 63.45 फीसदी वोट लेकर भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट को लगातार दूसरी बार जीता था। उस वक्त कांग्रेस को 25.17 फीसदी और जजपा को महज 7.32 फीसदी वोट मिले थे। अब पांच साल बीतने को है। मार्च या अप्रैल माह में आचार संहिता लग सकती है। जाहिर है अब राजनीतिक पार्टियां चुनावी रोटियां सेकने लग गई है। साल 2019 से अब पांच साल में कई बदलाव हो गए है। अब हरियाणा में भाजपा का जजपा से गठबंधन है। फिर भी भाजपा ने प्रदेश की सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए कार्यालय खोल दिए है। जजपा भी भागदौड़ में है कि 10 में से एक या दो सीट उन्हें मिल जाए। ऐसा माना जा रहा है कि इसी भागमभाग में जजपा का फोकस भिवानी-महेंद्रगढ़, सिरसा या हिसार सीट पर है। राजनीतिक जानकारों की माने तो जजपा को भाजपा लोकसभा की बजाय विधानसभा चुनाव में 20 से 30 सीट का भरोसा दिलाकर शांत किया जा सकता है।

इनेलो के दो पार्ट होने से भाजपा को मिला सर्वाधिक लाभ 

भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र में साल 2014 के चुनाव में इनेलो को 26.70 फीसदी वोट मिले थे। इसके बाद पारिवारिक विवाद के बाद इनेलो से निकलकर जजपा पार्टी बन गई। जब साल 2019 में लोकसभा चुनाव हुआ तो इनेलो को सीधे 26.01 फीसदी वोट का नुकसान हुआ और उसे महज 0.69 फीसदी ही वोट मिले। जजपा ने इनेलो से अधिक 7.32 फीसदी वोट हासिल किए। इनेलो व जजपा के आपसी विवाद का सीधा फायदा भाजपा को मिला और 63.45 वोट लेकर लगातार दूसरी जीत हासिल की। ऐसे में इस बार इस सीट से जजपा चुनाव लड़ती है या नहीं और इनेलो पार्टी अकेली लड़ेगी या इंडिया टीम गठबंधन में जाएगी, यह भविष्य के गर्भ में है।

भाजपा व कांग्रेस उम्मीदवारों में दिख सकते है नए चेहरे 

दो योजना से भाजपा का इस सीट पर कब्जा है। दोनों बार ही क्षेत्र में काम की बजाय मोदी के नाम से वोट भाजपा को मिले। ऐसे में अब भाजपा उम्मीदवार बदल सकती है। इस बार भूपेंद्र यादव, सुधा यादव व डॉ. अभय सिंह यादव भी दौड़ में है। जहां कांग्रेस की बात करें तो श्रुति चौधरी साल 2009 में 35.03 फीसदी वोट लेकर सांसद बनी थी। दूसरे नंबर पर इनेलो से उम्मीदवार रहे अजय सिंह चौटाला को 28.60 फीसदी वोट मिले थे। साल 2014 में दूसरी बार चुनाव लड़ी श्रुति चौधरी को 26.02 वोट मिले। साल 2019 में तीसरी बार 23.17 फीसदी ही वोट मिले। ऐसे में चौथी बार भी श्रुति चौधरी पर कांग्रेस दावे खेलेगी, संभावना कम है। इसी वजह से अब कांग्रेस उम्मीदवार की दौड़ में महेंद्रगढ़ विधायक राव दानसिंह है। यह भी चर्चा है कि कांग्रेस इस बार यही देख रही है कि भाजपा जाट उम्मीदवार को टिकट देती है तो कांग्रेस यादव को उतार सकती है और भाजपा यादव समुदाय से उम्मीदवार उतारेगी तो कांग्रेस जाट समुदाय से उम्मीदवार बना सकती है।

भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट का इतिहास 

हरियाणा के दस लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में से एक भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। यह निर्वाचन क्षेत्र 2002 में गठित देश के परिसीमन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन के एक भाग के रूप में 2008 में अस्तित्व में आया। इसमें नौ विधानसभा है, जिसमें लोहारू, बाढ़ड़ा, दादरी, भिवानी, तोशाम, अटेली, महेंद्रगढ़, नारनौल व नांगल चौधरी शामिल है। जब यह लोकसभा क्षेत्र बना तो पहली बार साल 2009 में कांग्रेस पार्टी से श्रुति चौधरी सांसद बनी। इसके बाद साल 2014 व 2019 में लगातार दो बार भाजपा पार्टी से चौधरी धर्मबीर सिंह सांसद चुने गए।

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