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पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बजट सत्र में गठबंधन सरकार विपक्ष के सवालों से भागती नजर आई। कोशल निगम में युवाओं को कोई रोजगार नहीं बल्कि दिहाड़ी मिल रही है। इसमें काम करने वाले को कर्मचारी नहीं बल्कि दिहाड़ी मजदूर माना जाता है।

Haryana: नेता प्रतिपक्ष व पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि पूरे बजट सत्र के दौरान बीजेपी-जेजेपी सरकार विपक्ष के सवालों और अपनी जिम्मेदारी से भागती नजर आई। ना ये सरकार किसानों की एमएसपी, खराबे का मुआवजा, कर्मचारियों की पुरानी पेंशन, युवाओं के रोजगार, नागरिकों की सुरक्षा, महंगाई से राहत पर कोई संतोषजनक जवाब दे पाई और ना ही ऐसा बजट पेश कर पाई, जिससे कोई उम्मीद जाग सके। बार-बार मांग के बावजूद सरकार ने बजट सत्र की अवधि नहीं बढ़ाई। बजट में सरकार ने प्रदेश के विकास को लेकर कोई सकारात्मक पहल नहीं की। ऐसा लगता है कि बीजेपी-जेजेपी ने खुद मान लिया कि ये उसका आखिरी विधानसभा सत्र होगा। इसके बाद दोनों की विदाई तय है।

प्रदेश कानून व्यवस्था की भयंकर चुनौतियों का कर रहा सामना

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आज प्रदेश कानून व्यवस्था की भयंकर चुनौतियों का सामना कर रहा है। सरकार अपराध, बदमाश और गैंगस्टरों पर नकेल कसने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। हरियाणा में हत्या, लूट, डकैती, फिरौती, अपहरण और रेप जैसी वारदातें आम हो गई हैं। इस पर गंभीरता से चर्चा की बजाय सरकार सदन के भीतर इसकी टोपी, उसके सिर खेलती नजर आई। आज हरियाणा का युवा रोजगार नहीं होने के चलते अपना प्रदेश छोड़कर पलायन कर रहा है। लेकिन सरकार पढ़े-लिखे युवाओं का शोषण करने वाले कौशल निगम की कच्ची नौकरियों को ही बड़ी उपलब्धि मानकर चल रही है।

कौशल निगम में रोजगार नहीं बल्कि मिल रही दिहाड़ी

भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि कोशल निगम में युवाओं को कोई रोजगार नहीं बल्कि दिहाड़ी मिल रही है। इसमें काम करने वाले को कर्मचारी नहीं बल्कि दिहाड़ी मजदूर माना जाता है। इसमें युवा को सैलरी नहीं बल्कि नाममात्र मजदूरी दी जाती है। एचएसएससी-एचपीएससी की बजाय डिजिटल लेबर चौक के जरिए कौशल निगम में युवाओं का चयन होता है। पक्की सरकारी भर्ती 58 साल के लिए होती है, जबकि कौशल निगम का ठेका एक साल के लिए होता है, उसे भी किसी भी पल बीच में खत्म किया जा सकता है। सरकार द्वारा कौशल निगम के जरिए युवाओं का लगातार शोषण, पक्की नौकरियों औऱ आरक्षण व्यवस्था का खात्मा किया जा रहा है।

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