Mayawati Performance In Haryana: हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला रहा। नतीजे आए तो सीटें भी बराबर मिलीं। कुल 10 लोकसभा सीटों में से 5-5 सीटें बीजेपी और कांग्रेस के खाते में गईं। इनेलो और जेजेपी जैसे क्षेत्रीय दलों की बात करें तो एक भी सीट हासिल नहीं हो सकी। यही नहीं, बहुजन समाजवादी पार्टी भी इन दोनों दलों पर भारी नजर आई। हरियाणा लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी कि दुष्यंत चौटाला और अभय चौटाला के मुकाबले बसपा सुप्रीमो मायावती कहीं आगे है।
हरियाणा लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि कुल दस लोकसभा सीटों में से बसपा के पांच उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे हैं। जेजेपी के तीन प्रत्याशी तीसरे नंबर पर और इनेलो के दो प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे हैं। अंबाला में बसपा प्रत्याशी पवन रंधावा 23583 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। फरीदाबाद से बसपा उम्मीदवार कृष्ण ठाकुर को 25206 वोट मिले। इसी प्रकार, हिसार से बसपा प्रत्याशी देशराज 26015 वोट, करनाल लोकसभा सीट से इंद्र सिंह 32508 वोट और सोनीपत लोकसभा सीट से उमेश कुमार 12822 वोट हासिल करके तीसरे स्थान पर रहे।
जेजेपी को इन जिलों में मिला तीसरा स्थान
जेजेपी की बात करें तो भिवानी महेंद्रगढ़ से बहादुर सिंह 15265 वोट, गुड़गांव लोकसभा सीट से राहुल यादव फाजिलपुरिया 13278 वोट और रोहतक से रविंद्र महज 6250 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। यही नहीं, दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला भी हिसार लोकसभा सीट से हार गई हैं। वे 22032 वोटों के साथ पांचवें स्थान पर रही हैं। ऐसे में जजपा को दोबारा से लोगों का भरोसा जीतने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ेगी।
इनेलो पर अभी भी लोगों को भरोसा?
इनेलो की बात की जाए तो उसे भी इस लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली है। लेकिन, दो सीटें ऐसी हैं, जहां इनेलो प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे हैं। कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर अभय चौटाला 78708 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर हैं। इसी प्रकार, इनेलो से संदीप लोट सिरसा लोकसभा सीट पर 92453 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर हैं। यह आंकड़ा जेजेपी प्रत्याशियों के वोटों के आंकड़े से कहीं ज्यादा है।
जानकार कहते हैं कि अगर बीजेपी और बसपा में या फिर बसपा और इनेलो में गठबंधन हो जाता तो इस चुनाव के नतीजों में बदलाव हो सकता था। अगर जेजेपी और इनेलो में गठबंधन होता, तो बीजेपी और कांग्रेस को कई सीटों पर बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। बहरहाल, ऐसा हुआ नहीं है, इसलिए इनेलो और जेजेपी को दोबारा से अपनी पार्टी को मजबूत करने की दिशा में खासी रणनीति बनानी होगी।