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हरियाणा के जींद जेल में उम्रकैद के सजायाफ्ता कैदी द्वारा आत्महत्या करने के मामले में परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया। सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों को समझाते हुए मामला शांत करवाया। इसके बाद पुलिस ने राहत की सांस ली।

Jind: जिला कारागार की लॉड्री में संदिग्ध परिस्थितियों में फांसी पर लटके मिले उम्र कैद की सजा काट रहे कैदी की मौत का मामला शनिवार उस समय गरमा गया, जब परिजनों ने जेल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर शव को लेने से मना कर दिया। परिजनों के बिफरने की सूचना पाकर सिविल लाइन थाना तथा शहर थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे और परिजनों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि मामले की जांच ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट द्वारा की जा रही है, जिसमें पुलिस का कोई हस्तक्षेप नहीं है। समझाने पर दोपहर को परिजन शव को मॉर्चरी से उठाने को राजी हो गए, जिसके बाद पुलिस ने राहत की सांस ली।

चिकित्सक बोर्ड से हुआ पोस्टमार्टम, करवाई वीडियोग्राफी

जिला कारगार की लॉड्री में शुक्रवार को उम्र कैद की सजा काट रहे संत नगर निवासी शुभम का शव संदिग्ध परिस्थितियों में फांसी के फंदे पर लटका मिला था। ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की देखरेख में शव को फांसी के फंदे से उतार कर नागरिक अस्पताल पहुंचाया। शनिवार को वीडियोग्राफी के साथ चिकित्सक बोर्ड से शुभम का पोस्टमार्टम कराया गया, जिसके विसरे को जांच के लिए लेबोरेटरी भेज दिया गया।

परिजनों ने संदेह जताया, शव को उठाने से किया मना

मृतक कैदी के परिजनों ने पोस्टमार्टम के बाद शव को उठाने से यह कह कर मना कर दिया कि उन्हें मौत पर संदेह है। उन्होंने हत्या की आशंका जताई। मृतक के पिता दलबीर ने बताया कि शुभम सात साल से जेल में बंद था। उसे 2020 में उम्र कैद की सजा हो गई थी। जेल के फोन से बातचीत भी होती थी। कोई परेशानी उसे नहीं थी। अब शुभम ने फांसी क्यों लगाई। इसका जिम्मेवार जेल प्रशासन है। बिना कारण के कोई जान नहीं दे सकता। उसका बेटा साजिश का शिकार हुआ है। जब तक जेल अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं होता, तब तक शव को नहीं उठाएंगे।

शव न उठाने की सूचना पर दौड़ा अमला, किया शांत

मृतक कैदी के परिजनों के बिफरने की सूचना पर सिविल लाइन थाना प्रभारी सुखबीर सिंह तथा शहर थाना प्रभारी नागरिक अस्पातल पहुंचे। उन्होंने कहा कि मामले की जांच ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट द्वारा की जा रही है, जिसमें पुलिस का कोई हस्तक्षेप नहीं है। पुलिस का कार्य कानून व्यवस्था बनाए रखना है। न्यायिक प्रक्रिया से बढ़ कर कोई जांच नहीं है। हर पहलू को जांच के दायरे में रखा जाता है। जिस पर परिजन शांत हो गए और शव को अंतिम संस्कार के लिए ले गए।

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