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सहकारिता विभाग में 100 करोड़ के घोटाले में हर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। सरकारी धन का जिस तरह से दुरुपयोग औऱ बंदरबांट की गई, उसको लेकर मुख्यमंत्री ऑफिस के अधिकारी भी हैरान हैं। यही कारण है कि मामले में शामिल अफसरों व कर्मियों पर पहले निलंबन की कार्रवाई और बाद में बर्खास्तगी की तैयारी हो गई है।

योगेंद्र शर्मा, हरियाणा: प्रदेश सरकार के सहकारिता विभाग में 100 करोड़ के घोटाले में हर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। सरकारी धन का जिस तरह से दुरुपयोग औऱ बंदरबांट की गई, उसको लेकर मुख्यमंत्री ऑफिस के अधिकारी भी हैरान हैं। यही कारण है कि मामले में शामिल अफसरों व कर्मियों पर पहले निलंबन की कार्रवाई और बाद में बर्खास्तगी की तैयारी हो गई है। पूरे मामले में जहां सीएम ने अफसरों से रिपोर्ट तलब कर ली है। वहीं, पूरे मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो हर रोज नए खुलासे कर रहा है। एक महिला अफसर और कुछ अन्य ने यहां तक किया कि करोड़ों की सरकारी राशि अपने खाते में डाल ली और बाद में ठेकेदार के माध्यम से उसको बाहर दुबई में भेज दिया। जब मामले में पोल खुलती देखी तो ठेकेदार से यह पैसा वापस डालवाया गया। पूरे मामले में सहायक रजिस्ट्रार अनु कौशिक हाई प्रोफाइल महिला की नौकरी पर भी संकट के बादल हैं। 

दुबई और कनाडा तक इस्तेमाल की गई रकम

सहकारिता विभाग में हुए करोड़ों के घोटाले के पूरे मामले के तार दुबई और कनाडा तक पहुंच चुके हैं। चौकाने वाली बात यह है कि विभाग के पैसे को अपने खातों और अन्य खातों में बंदरबांट किया गया। इतना ही नहीं, करोड़ों की राशि दुबई और कनाडा में निवेश कर दी। खुलासा होते ही कार्रवाई के डर से प्राइवेट ठेकेदार पर दबाव बनाकर राशि वापस खातों में डाली गई। हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की जांच-पड़ताल में नित्य नए खुलासे हो रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि स्टालिन जीत सिंह की बैंटम इंडिया लिमिटेड कंपनी की शाखा कनाडा में भी है, जिसके माध्यम से मामले में मुख्य आरोपित सहायक रजिस्ट्रार अनु कौशिक ने पैसा कनाडा व दुबई जैसे देशों में ट्रांसफर करवा दिया। अनु की बहन कनाडा रहती है और उसने दुबई शिफ्ट होने का पूरा बंदोबस्त कर लिया था। इस बीच मामले में खुलासा हो गया और एसीबी को इसकी जानकारी हाथ लगते ही कार्रवाई की शुरुआत हो गई। आरोपित स्टालिन पूरी परिवार को पहले से ही कनाडा  शिफ्ट कर चुका था और इसके पहले वो खुद भाग जाता, एसीबी की टीम ने उसको गिरफ्तार कर लिया।

सीएम मनोहर लाल गंभीर, एसीबी ने भेजी थी फाइल

योजना के नोडल अधिकारी के रूप में हरको बैंक एमडी गोयल साल 2014 से पूरे मामले की जानकारी रखने और संज्ञान में होने के बावजूद पूरे मामले में लीपापोती करने में जुटे हुए हैं। गोयल के विरुद्ध एसीबी ने कार्रवाई के लिए फाइल को राज्य की मनोहरलाल सरकार के पास भेजा, जिसके बाद उन पर कठोर कार्रवाई और गिरफ्तारी की तलवार लट गई है। एसीबी आरोपितों के खातों को लेकर जांच पड़ताल व खंगालने में जुट गई गई है।

विभिन्न कार्यों के लिए ऋण की स्कीम तीन दशक से

योजना तीन दशक 1992 से चली आ रही है। खास बात यहां पर यह है कि इसमें ग्रामीण एरिया में गोदाम निर्माण के साथ साथ मरम्मत कार्यों, किसानों के प्रशिक्षण, बाउंड्रीवाल और अन्य तरह के निर्माण, पैक बिल्डिंग का निर्माण के साथ साथ अन्य कई तरह के कार्यों के लिए ऋण देने की व्यवस्था का प्रावधान है। सहकारिता विभाग की एकीकृत सहकारी विकास परियोजना (आईसीडीपी ) में एंटी करप्शन ब्यूरो ने जो घोटाला पकड़ा है, वो 2018 से 2021 के बीच की कहानी है। इसमें साल 2010- 11 से घोटाले की शुरुआत हो चुकी थी।

सीएमओ के अफसर भी मामले में सख्त

एसीबी के अफसर जहां जांच पड़ताल में जुटे हैं, वहीं मामले में सीएम द्वारा संज्ञान लेकर ब्योरा मांग लिए जाने के बाद मुख्यमंत्री ऑफिस के एक अफसर ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए इस तरह के कर्मियों और अफसरों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी कर ली है। एसीबी की टीम मामले में गहनता से जांच करते हुए संलिप्त 6 राजपत्रित अधिकारियों, ICDP रेवाड़ी 4 अन्य अधिकारियों और 4 निजी व्यक्तियों की गिरफ्तारी कर चुकी है।

आरोपितों में यह नाम शामिल

आरोपितों में ऑडिट ऑफिसर बलविंदर, डिप्टी चीफ ऑडिटर योगेंद्र अग्रवाल, जिला रजिस्टर सहकारी समिति करनाल रोहित गुप्ता, सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समिति अनु कौशिश, रामकुमार, जितेंद्र कौशिक और कृष्ण बेनीवाल जैसे नाम फिलहाल सामने आए हैं। इसी विभाग के आईसीडीपी रेवाड़ी के लेखाकार सुमित अग्रवाल, डेवलपमेंट अधिकारी नितिन शर्मा और विजय की गिरफ्तारी की है।

विधानसभा के बजट सत्र में उठेगा मुद्दा 

20 फरवरी से बजट सत्र की शुरुआत होने जा रही है, इसको लेकर विधानसभा से लेकर अहम  विभागों में भी तैयारी चल रही है। सहकारिता विभाग में हुए घोटाले में भले ही सरकार के निर्देशों पर एसीबी शिकंजा कस रही है, लेकिन विपक्ष को बैठे बिठाए मुद्दा हाथ लग गया है। खुद आप प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता का कहना है कि इतना बड़ा घोटाला बिना मंत्री की जानकारी के नहीं हो सकता, इसलिए इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और सभी को इसमें शामिल करना चाहिए।

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