Jind: गांव अशरफगढ़ निवासी टिंकू की पीजीआई रोहतक में संदिग्ध मौत को लेकर परिजनों ने अधिकारियों के आश्वासन के बाद भी मांगे पूरी न होने तक शव को नागरिक अस्पताल से उठाने से इनकार कर दिया। परिजनों ने बुधवार को भी नागरिक अस्पताल में धरना जारी रखा और स्पष्ट कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, वे शव को नही उठाएंगें और अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। अधिकारियों ने परिजनों को समझाने का काफी प्रयास किया, लेकिन परिजन अपनी जिद्द पर अड़े रहे।
क्या है पूरा मामला
गांव अशरफगढ़ निवासी टिंकू को 28 फरवरी उपचार के लिए पीजीआई रोहतक में भर्ती करवाया गया था। जहां पर तीन मार्च को टिंकू की मौत हो गई। परिजन बिना पोस्टमार्टम करवाए मौत का कारण बीमारी बताकर वहां से ले आए। चार मार्च को शव पोस्टमार्टम के लिए नागरिक अस्पताल लाया गया। परिजनों का कहना है कि पुलिस द्वारा छह माह पहले दी गई थर्ड डिग्री से टिंकू की मौत हुई है। परिजनों की मांग पर मंगलवार को चिकित्सक बोर्ड से पोस्टमार्टम भी हो चुका है। विसरा को लैबोरेट्री भेजा जा चुका है। जांच रिपोर्ट के बाद ही मामले का खुलासा होगा।
एसडीएम व डीएसपी ने मांगों पर दिया आश्वासन, नहीं माने परिजन
परिजनों द्वारा नागरिक अस्पताल में धरना शुरु करने की सूचना पाकर एसडीएम जींद, डीएसपी रोहताश ढुल व जितेंद्र बीती देर शाम परिजनों के बीच पहुंचे ओर उनकी मांगों पर आश्वासन दिया। जिस पर परिजन बुधवार सुबह शव को ले जाने तथा अंतिम संस्कार करने को राजी हो गए। अब परिजनों ने मांगों पर कार्रवाई न होने पर शव को पोस्टमार्टम हाउस से उठाने से मना कर दिया और धरने को जारी रखा। परिजनों ने कहा कि जो मांगें अधिकारियों को दी गई थी, उनमें से एक पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, तब तक वे ना तो शव उठाएंगे ओर ना ही अंतिम संस्कार करेंगे।
क्या रखी है परिजनों ने मांगे
परिजनो ने जो मांगें अधिकारियों के सामने रखी थी, उनमें मृतक को थर्ड डिग्री देने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या तथा एससी एसटी एक्ट का मामला दर्ज करने, मामले की सीबीआई से जांच करवाने, मृतक के परिजनों को पचास लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने, मृतक की पत्नी को स्थाई रोजगार देने, मृतक परिवार को सुरक्षा देने व सीआरएसयू चौकी प्रभारी को तुरंत प्रभाव से सस्पेंड करने की मांग की। सदर थाना प्रभारी सत्यनारायण ने बताया कि मृतक के शव का चिकित्सक बोर्ड से पोस्टमार्टम हो चुका है। मांगों पर अधिकारी आश्वासन दे चुके है। फिर भी कोई बात है तो अधिकारियों को बताया जा सकता है।