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Chandigarh PGI: चंडीगढ़ पीजीआई और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस ने आपस में समझौता करके मेडिकल रिसर्च को आगे बढ़ाने का फैसला लिया है।

Chandigarh PGI: चंडीगढ़ पीजीआई (पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च) और बेंगलुरु के IISC (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस) ने मेडिकल रिसर्च को आगे बढ़ाने के लिए एक बड़ा समझौता किया है। अब PGI में CAR-T सेल थेरेपी रिसर्च होगी। इस समझौते के पीछे का उद्देश्य नई टेक्नोलॉजी और वैज्ञानिक रिसर्च की सहायता बीमारियों का बेहतर इलाज ढूंढना है। PGI के निदेशक प्रोफ़ेसर लाल और IISC के प्रोफेसर सुंदर स्वामीनाथन ने इस समझौते पर सिग्नेचर किए हैं।

CAR-T सेल थेरेपी क्या है ?

CAR-T सेल थेरेपी एक तरह से कोशिका थेरेपी एक प्रकार का कैंसर प्रतिरक्षा चिकित्सा उपचार है, जिसमें टी कोशिकाएं नाम की प्रतिरक्षा कोशिकाओं का इस्तेमाल किया जाता है। जिन्हें प्रयोगशाला में आनुवंशिक रूप से परिवर्तित किया जाता है, ताकि वे कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में सक्षम हो सकें।

सरकारी अस्पताल में CAR-T सेल थेरेपी होगी

चंडीगढ़ पीजीआई और IISC के बीच समझौता हो जाने से मेडिकल टेक्नोलॉजी, नई दवाओं और इलाज के नए तरीके विकसित किए जाएंगे। साथ ही, डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को ट्रेनिंग और रिसर्च करने के नए मौके मिलेंगे।
प्रोफेसर विवेक लाल ने बताया, 'PGIMER देश का इकलौता सरकारी अस्पताल है, जिसे CAR-T सेल थेरेपी रिसर्च के लिए चुना गया है। यह नई तकनीक कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। टाटा मेमोरियल अस्पताल के साथ मिलकर PGIMER इस रिसर्च को आगे बढ़ाएगा।'

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समझौते के तहत स्कूल भी शुरू होगा

पीजीआई और IISC के वैज्ञानिकों का कहना है कि अकेले कोई भी संस्थान बड़ा बदलाव नहीं ला सकता। यह सहयोग देश को मेडिकल रिसर्च में आगे बढ़ाने में मदद करेगा। समझौते के तहत जल्द ही एक नया टाटा IISC मेडिकल स्कूल भी शुरू होगा, जहां डॉक्टरों और वैज्ञानिकों के लिए MD-PhD, DM-PhD और MCH-PhD जैसे कोर्स होंगे। इससे मेडिकल फील्ड में नए इनोवेशन और रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा।

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