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लोकसभा चुनाव से पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने बीजेपी को अलविदा कह दिया है। उन्होंने दिल्ली में कांग्रेस का हाथ थाम लिया है।

Birender Singh Join Congress: लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में बीजेपी झटका लगा है। दरअसल, पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने बीजेपी को अलविदा कह दिया है। चौधरी बीरेंद्र सिंह ने मंगलवार (9 अप्रैल) को दिल्ली में कांग्रेस का हाथ थाम लिया। इससे पहले हिसार से सांसद रहे उनके बेटे बृजेंद्र सिंह ने भी बीजेपी का दामन छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। बता दें कि चौधरी बीरेंद्र सिंह की गिनती हरियाणा के दिग्गज नेताओं में होती है। उन्होंने 10 साल बाद फिर से कांग्रेस में वापसी की है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रेमलता सिंह कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। दिल्ली में कांग्रेस कार्यालय में वह पार्टी में शामिल हुए। इससे पहले हाल ही उनके बेटे पूर्व बीजेपी नेता बृजेंद्र सिंह में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए थे। बीरेंद्र सिंह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली पहली सरकार में केंद्रीय इस्पात मंत्री थे। उन्होंने एक दिन पहले यानी 8 अप्रैल को ही भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया था।

मोदी लहर में बीजेपी में हुए थे शामिल

बीरेंद्र सिंह जींद की उचाना सीट से 5 बार विधायक और एक बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा वह दो बार राज्यसभा सांसद भी रहे हैं। कांग्रेस के साथ उनका 43 साल सफर रहा था, लेकिन मोदी लहर में उन्होंने कांग्रेस हाथ का साथ छोड़कर 2014 लोकसभा चुनाव के बाद BJP का दामन थाम लिया था। 2014 में ही पहली बार बीरेंद्र सिंह को मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में केंद्र में मंत्री बनाया गया। बीरेंद्र सिंह को कांग्रेस छोड़ने के पीछे की वजह उनके पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा के साथ मतभेद को माना जा रहा था, लेकिन अब हुड्‌डा और बीरेंद्र सिंह फिर से एक-दूसरे के काफी करीब हो गए हैं।

ओमप्रकाश चौटाला को दी थी पटखनी

बता दें कि बीरेंद्र सिंह किसान नेता सर छोटू राम के परिवार से आते हैं। उनके पिता चौधरी नेकी राम भी बड़े नेताओं में शुमार रहे। बीरेंद्र सिंह हरियाणा में बड़े जाट नेताओं में शुमार हैं। बीरेंद्र सिंह के परिवार का जींद के साथ-साथ हिसार में भी बड़ा जनाधार माना जाता है। बीरेंद्र सिंह ने हिसार लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला को बड़े मार्जिन से हरा दिया था। इसके बाद उनका नाम बड़े नेता के तौर सामने आया।

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