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ULB Payment Approval Committee: हरियाणा में यूएलबी मंत्री के नगर परिषद पेमेंट अप्रूवल कमेटी के प्रस्ताव को सीएम नायब सैनी की मंजूरी मिल गई है। इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद वार्ड के पार्षदों को बड़ा झटका लगा है।

ULB Payment Approval Committee: हरियाणा में शहरी स्थानीय निकाय मंत्री के नगर परिषद पेमेंट अप्रूवल कमेटी के प्रस्ताव पर सीएम नायब सैनी ने पर मुहर लगा दी है। इस प्रस्ताव के तहत अब नगर परिषद की पेमेंट अप्रूवल कमेटी में प्रधान की गैरमौजूदगी में उप-प्रधान को सभी अधिकार दे दिए गए हैं। साथ ही इस कमेटी में परिषद के ईओ या सचिव को भी शामिल किया गया है। वहीं, इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद वार्ड के पार्षदों को बड़ा झटका लगा है।

नोटिफिकेशन किया जारी

बता दें कि यूएलबी मंत्री सुभाष सुधा ने नगर परिषद में बदलाव का प्रस्ताव सीएम सैनी के पास भेजा था। इसके बाद सीएम ने बुधवार देर रात इस प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी और साथ ही इसको लेकर नोटिस जारी कर दिया गया है।

एक प्रस्ताव को मिली है मंजूरी

बता दें कि निकाय चेयरमैन की ओर से काफी समय से वित्तीय पावर बढ़ाने के साथ-साथ अन्य अधिकार देने की मांग की जा रही थी। इसे लेकर महीनों पहले शहरी निकाय मंत्री सुभाष सुधा ने राज्यभर के चेयरमैनों के साथ बैठक भी की थी। इस बैठक में उनकी मांगों को उचित ठहराते हुए प्रस्ताव तैयार करने के आदेश दिए गए थे। इसके बाद मंत्री की ओर से सीएम ऑफिस में यह फाइल भेजी गई थी, जिसमें से एक प्रस्ताव को अभी सीएम ने मंजूरी दी है। कुछ और प्रस्ताव हैं, जिन पर सीएम सैनी जल्द ही अधिकारियों के साथ चर्चा करने के बाद फैसला लेंगे।

प्रस्ताव में दिए गए अधिकार

मंत्री सुभाष सुधा के इस प्रस्ताव के तहत नगर परिषद के चेयरमैन सरकारी काम के लिए अब वह खुद की गाड़ी प्रयोग में ला सकेंगे। इसके लिए उन्हें विभाग की ओर से 16 रुपये प्रति किलोमीटर के तहत पेमेंट की जाएगी, इसके साथ उन्हें 2500 किलोमीटर तक गाड़ी प्रयोग में लाने की अनुमति दी गई है। सभी निकायों में निर्वाचित अध्यक्ष के पास भी कम से कम 15 से 20 लाख रुपये तक के काम करवाने के लिए हर महीने उनके निजी कोष में बजट दिया जाए।

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वहीं, राज्य के सभी शहरों में सामुदायिक केंद्र व धर्मशालाएं काफी समय से जर्जर हालत में हैं, लेकिन उनके पास मलकीयत के दस्तावेज मौजूद नहीं हैं। ऐसी धर्मशालाओं की मरम्मत का काम निकायों को देना चाहिए। इसके अलावा सभी चेयरमैनों को सिक्योरिटी के तहत बॉडीगार्ड उपलब्ध करना, साथ ही अफसरों पर प्रधानों का नियंत्रण स्थापित करने का अधिकार देना चाहिए।

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