Logo
हरियाणा में कांग्रेस प्रमुख उदयभान ने भी साफ कर दिया है कि सिटिंग गैटिंग का फार्मूला नहीं बल्कि हमें किसी भी सूरत में  जिताऊ चेहरों की तलाश है। इसके लिए पार्टी में चिंतन मंथन हो चुका है, साथ ही सर्वे भी कराया जा रहा है, इसकी रिपोर्ट आने के बाद ही अंतिम फैसला हाईकमान को लेना है।

योगेंद्र शर्मा, चंडीगढ़: एक तरफ जहां सत्ताधारी पार्टी भाजपा किसी भी सूरत में हैट्रिक लगाने की रणनीति पर काम कर रही है। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस भी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर अब करो या मरो की नीति पर चल पड़ी है। प्रदेश कांग्रेस प्रमुख उदयभान ने भी साफ कर दिया है कि सिटिंग गैटिंग का फार्मूला नहीं बल्कि हमें किसी भी सूरत में जिताऊ चेहरों की तलाश है। इसके लिए पार्टी में चिंतन मंथन हो चुका है, साथ ही सर्वे भी कराया जा रहा है, इसकी रिपोर्ट आने के बाद ही अंतिम फैसला हाईकमान को लेना है।

विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस से शुरू किया सर्वे

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस की ओऱ से विधानसभा चुनावों को लेकर सर्वे की शुरुआत कर दी गई है। पार्टी नेतृत्व ने विधानसभा चुनावों में मजबूत और जिताऊ प्रत्याशियों को अभी से सूचीबद्ध करने की मुहिम चला दी है। इस काम का जिम्मा  भी एक एजेंसी को दे दिया गया है। कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस जीत के स्टार बने कानूगोलू की ओऱ से ही लोकसभा चुनावों के दौरान सर्वे भी किया गया था। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा प्रत्याशियों के चयन को लेकर ग्राउंड से फीडबैक जुटाया जा रहा है। एक दशक से सत्ता से बाहर कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनावों में पाचं सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद से हौसले में हैं।

2019 में उम्मीद से अच्छा रहा था कांग्रेस का प्रदर्शन

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि 2019 के विधानसभा चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद से काफी अच्छा रहा था। विपरीत हालात के बाद कांग्रेस 31 सीटों पर चुनाव जीतने में कामयाब रही थी। लोकसभा चुनावों में भी दस में से पांच सीटों पर फतेह के बाद से विधानसभा चुनावों में भी उन्हें बेहतर परिणाम आने की उम्मीद बंध गई है। पुराने कांग्रेसी औऱ कार्यकर्ता उत्साहित हैं। यही कारण है कि मजबूती के साथ विस चुनाव लड़ा जाएगा।

कटेगी कई मौजूदा विधायकों की टिकट

मौजूदा विधायकों की टिकट पर भी तलवार लटक गई है, क्योंकि पीसीसी चीफ ने साफ कर दिया है कि हमे केवल जिताऊ उम्मीदवार से मतलब है। कांग्रेस में फैसला टिकट आवंटन के समय ही होता है कि सिटिंग-गैटिंग का फार्मूला लागू होगा या नहीं। सिटिंग-गैटिंग अगर लागू हुआ, तो उसी हालात में मौजूदा विधायकों को टिकट मिल सकेगी। पार्टी नेतृत्व इस सिद्धांत पर नहीं चलता तो कुछ मौजूदा विधायकों का पत्ता कटना तय है। दूसरी तरफ भाजपा यह पहले ही संकेत दे चुकी है कि उसके यहां इस तरह का कोई फार्मूला नहीं चलेगा। 2019 के विधानसभा और हालिया लोकसभा चुनाव में पार्टी कई मौजूदा की टिकट काट भी चुकी है।

कांग्रेस की तरफ से लिए जा रहे आवेदन

कांग्रेस से चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं को टिकट के लिए आवेदन लेने का सिलसिला चल रहा है। चंडीगढ़ स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आवेदन लगातार आ रहे हैं। इस माह के आखिर तक आवेदन जमा कराए जा सकेंगे, जिसके बाद में आवेदनों की छंटनी की जाएगी। छंटनी के बाद आवेदन करने वाले नेताओं की हलकेवार सूची होगी। सूची का मिलान सर्वे रिपोर्ट में शामिल नामों के साथ होगा। सर्वे के बाद में बेहतर इमेज और सशक्त प्रत्याशियों को ही मैदान में उतारने की तैयारी है।

गुटबाजी बन रही सिरदर्द

कांग्रेस की गुटबाजी छुपी हुई नहीं है, प्रदेश के वरिष्ठ नेता समर्थकों औऱ ध़ड़ों में बंटे हुए हैं। इस कारण से अपने अपने लोगों के लिए टिकट की भागदौड़ करने लगे हैं। पिछले दिनों नई दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की अध्यक्षता में प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की बैठक में टिकट को लेकर फार्मूला मोटे तौर पर सैट किया जा चुका है। राहुल गांधी ने साफ कर दिया था कि पार्टी के प्रति वफादार और जिताऊ नेताओं को ही टिकट दिया जाएगा। जिससे साफ है कि नेताओं की सिफारिश पर टिकट मिलने की कम संभावना है। राज्य में विधानसभा के नब्बे हलके हैं। इनमें से 17 विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।

5379487