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हरियाणा के गुरुग्राम में साइबर क्राइम थाना ईस्ट पुलिस ने प्रतिबिम्ब एप्लिकेशन की मदद से सेक्टर-18 में ऑनलाइन हर्बल सेक्सुअल दवाइयां बेचने ने नाम पर ठगी करने के गिरोह का भंडाफोड़ किया। पुलिस ने कॉल सेंटर पर रेड करते हुए चार युवतियों सहित 11 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया।

Gurugram: साइबर क्राइम थाना ईस्ट पुलिस ने प्रतिबिम्ब एप्लिकेशन की मदद से सेक्टर-18 में ऑनलाइन हर्बल सेक्सुअल दवाइयां बेचने ने नाम पर ठगी करने के गिरोह का भंडाफोड़ किया। पुलिस ने कॉल सेंटर पर रेड करते हुए चार युवतियों सहित 11 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने आरोपियों से सात मोबाइल फोन, सिम कार्ड व दो सीपीयू बरामद किए है। पुलिस मामले में पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ कर रही है।

ऑनलाइन हर्बल सेक्सुअल दवाईयां बेचने के नाम पर करते थे ठगी

साइबर क्राइम थाना ईस्ट पुलिस को सूचना मिली कि सेक्टर-18 में अवैध तरीके से कॉल सेंटर चलाकर ऑनलाइन हर्बल सेक्सुअल दवाईयां बेचने के नाम पर लोगों से ठगी की जा रही है। इसके बाद एसीपी सोहना विपिन अहलावत के निर्देशानुसार कार्य करते हुए साइबर क्राइम थाना ईस्ट के प्रभारी इंस्पेक्टर सवित कुमार की टीम ने मौके पर रेड की। पुलिस ने वहां से चार युवतियों सहित 11 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपियों में मध्य प्रदेश के मुरैना निवासी श्याम दुबे, दिल्ली के वसंत विहार निवासी आदर्श, गुरुग्राम के गांव खेड़ला निवासी कुशल, उत्तर प्रदेश के बदायूं निवासी पियूष चौहान, फरीदाबाद एनआइटी निवासी विवेक चोपड़ा, बिहार के गोपालगंज निवासी गुलशन कुमार, दिल्ली के महरौली निवासी राजकुमार, राजस्थान के जयपुर निवासी पूजा चौहान, भिवानी निवासी भावना, मध्य प्रदेश के ग्वालियर निवासी अनामिका राजावत व दिल्ली के महिपालपुर निवासी प्रिया शर्मा शामिल हैं।

गूगल पर विज्ञापन डालकर करते थे ठगी

पूछताछ में आरोपितों ने बताया वे सभी अपने एक अन्य साथी के कहने पर हर्बल सेक्सुअल दवाइयां ऑनलाइन बेचने के नाम से गूगल पर विज्ञापन डालते थे। जब लोग विज्ञापन में दिए हुए नंबरों पर संपर्क करते थे तो ये उन लोगों से ऑर्डर लेकर पैसे अलग-अलग बैंक खातों में डलवा लेते थे और सामान नहीं भेजते थे। इसके अलावा ये उन लोगों से जीएसटी चार्ज, पैकिंग चार्ज, कोरियर चार्ज के नाम पर क्यूआर कोड व यूपीआइ आईडी के माध्यम से पैसे डलवाकर धोखाधड़ी करते थे। आरोपित पिछले करीब एक वर्ष से इस प्रकार से ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे थे। इन्हें 15 हजार रुपए सैलरी तथा ठगी गई राशि का पांच प्रतिशत हिस्सा मिलता था।

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