Land Pooling Policy: साल 2013 में अधिसूचित लैंड पूलिंग पॉलिसी को लागू करने में हो रही देरी को लेकर एल जोन में आने वाले दौलतपुर के किसानों और भूमि मालिकों में निराशा का माहौल है। दिल्ली में लैंड पूलिंग पॉलिसी जल्द से जल्द लागू हो सके इसलिए अब वहां के किसानों और भूमि मालिकों ने दौलतपुर गांव में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने का फैसला किया है।
लैंड पूलिंग पॉलिसी लागू होने में देरी को लेकर रोष
इस बारे में गांव के एक भूमि मालिक एचके यादव ने कहा, 'साल 2013 में जब लैंड पूलिंग नीति अधिसूचित की गई थी, तो उस समय दौलतपुर गांव की जमीन की मांग तेजी से बढ़ी साथ ही समय के साथ होने वाले संभावित विकास के मद्देनजर जमीन की कीमत 6 करोड़ रुपये प्रति एकड़ से भी अधिक पहुंच गई, लेकिन एक दशक से भी ज्यादा का समय बीत जाने के बाद लैंड पूलिंग पॉलिसी का कोई अता पता नहीं है। ऐसे में अब गांव की जमीन को कोई एक से सवा करोड़ प्रति एकड़ के दाम पर भी नहीं पूछ रहा।
फ्लोर एरिया रेशियो भी घटाया गया
इसी बात को आगे बढ़ाते हुए ढांसा गांव के रहवासी सुखबीर डागर ने कहा कि साल 2013 में लैंड पूलिंग पॉलिसी पेश की गई थी, फिर 2018 में कुछ संशोधनों के साथ ही एफएआर यानी फ्लोर एरिया रेशियो को घटाकर आधा कर दिया गया, साथ ही गई दूसरे ऐसे प्रस्ताव भी दिए गए जिससे जमीन की मांग घटती गई और उसका सीधा असर जमीन की कीमत पर पड़ा।
इधर पॉलिसी के जमीनी धरातल पर न उतर पाने के कारण न तो गांव में ठीक से खेती हो पा रही है और न ही कोई विकास का काम ही हो पाया है। सुखबीर डागर की ही तरह दूसरे स्थानीय निवासी भी सरकार से लैंड पूलिंग पॉलिसी को जल्द से जल्द लागू करने की मांग कर रहे हैं।
वहीं, धरने में शामिल गांव भुलचुली के किसान नेता जयपाल सिंह यादव ने कहा, 'लैंड पूलिंग पॉलिसी के साथ ही मास्टर प्लान 2021-40 को लागू करवाने के लिए समस्त दिल्ली का किसान एकजुट हो रहा है। इसी कड़ी में हमने प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में धरना—प्रदर्शन का निर्णय किया है, ताकि केंद्र सरकार लैंड पूलिंग पॉलिसी को लागू करने में देर न करे।
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उनका यह भी कहना है कि डीडीए यानी दिल्ली विकास प्राधिकरण के अधिकारी, किसानों और अन्य भूमि मालिकों से भूमि पूलिंग पोर्टल के माध्यम से भाग लेने और आवेदन करने का आग्रह कर रहे हैं, जिससे कि किसी सेक्टर के विकास के लिए भूमि की 70 प्रतिशत सीमा की आवश्यकता को पूरा किया जा सके और दिल्ली के एल जोन के शहरीकरण में प्रगति हो सके। इसके लिए किसानों को भी जागरूक किया जा रहा है।