Logo
हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस में रार चल रही है। कांग्रेस हरियाणा मामलों के प्रभारी दीपक बाबरिया ने इस्तीफे की पेशकश कर दी है। माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान हरियाणा के कई प्रमुख चेहरों पर भी गाज गिरा सकता है। पार्टी में उथल पुथल चल रही है और एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का ठीकरा फोड़ना शुरू कर दिया है।

योगेंद्र शर्मा, चंडीगढ़: हरियाणा में जीती हुई बाजी हाथ से निकल जाने के साथ ही कांग्रेस में रार जारी है। अहम बात यह है कि सबसे पहले कांग्रेस हरियाणा मामलों के प्रभारी दीपक बाबरिया ने इस्तीफे की पेशकश की है। यह भी तय मानकर चला जा रहा है कि बाबरिया का इस्तीफा स्वीकार होगा, इसके अलावा भी कांग्रेस के दिल्ली दरबार में बैठे कई नेताओं और हरियाणा के प्रमुख चेहरों पर गाज गिरेगी। यहां पर बता दें कि हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस में रार मची हुई है, जिसके कारण पार्टी में उथल-पुथल चल रही है। कई कांग्रेस नेताओं ने आरोप प्रत्यारोप कर एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ना शुरू कर दिया है।

गुटबाजी को बता रहे हार का कारण

हरियाणा में तीसरी बार सूखा समाप्त करने और अति आत्मविश्वास के कारण नाकामयाब रही कांग्रेस के कई नेताओं ने गुटबाजी को इस हार का कारण बता दिया। कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया और प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान को उनके पद से हटाने की तैयारी है। खास बात यहां पर यह है कि पीसीसी चीफ उदयभान खुद का चुनाव हार गए हैं। विधानसभा चुनाव परिणाम सामने आने के बाद से कांग्रेस लगातार चुनाव आयोग पर निशाना साध रही है। लेकिन कांग्रेस के भी थिंक टैंक इन बहानेबाजी से सहमत नहीं हैं। उनका तर्क है कि अति आत्मविश्वास मामले में डिफेक्ट कर दिया।

कांग्रेस नेता उठा रहे ईवीएम पर सवाल

कांग्रेस के नेता ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं भाजपा नेताओं का कहना है कि यहां ईवीएम में गड़बड़ी तो जेएंडके में क्या हुआ। वैसे, कांग्रेस के नेताओं के अपने तर्क हैं, हालांकि निर्वाचन आयोग ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया। अब कांग्रेस के कुछ नेता पोस्टल बैलेट मामला उठाने लगे हैं। 10 अक्टूबर को कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि पोस्टल बैलेट में कांग्रेस को बंपर बहुमत मिला था। सोशल मीडिया पर एक आंकड़ा तेजी से वायरल होने लगा, जिसमें दावा किया जा रहा है कि पोस्टल बैलेट में कांग्रेस को बंपर सीटें मिली हैं। अब इन दावों में कितनी सच्चाई है, इस पर कोई भी आधिकारिक तौर पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।

दिल्ली में कांग्रेस की हार पर सिलसिलेवार समीक्षा

कांग्रेस पार्टी हाईकमान हरियाणा में आने वाले समय में बेहद गंभीर दिखाई दे रहा है। स्क्रीनिंग कमेटी, पार्टी में ज्वाइनिंग कराने वाले अजय माकन और अन्य कई वरिष्ठ नेताओं की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। पार्टी के अंदर वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला और पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद सैलजा का चुनाव में अच्छा खासा मुखर होना भी पार्टी को कहीं ना कहीं नुकसान कर गया। हरियाणा के अंदर दलित चेहरे को स्थान दिए जाने के पक्ष में सैलजा ने चुनाव के एन वक्त पर वकालत की, जबकि यह बेहद ही संवेदनशील वक्त था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी उदयभान सिंह भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी है और उन्होंने ही उनको प्रदेश अध्यक्ष बनवाया था।

कुमारी सैलजा व कैप्टन अजय यादव रहे मुखर

चुनाव परिणाम के बाद भी कुमारी सैलजा लगातार नतीजों को लेकर आत्म निरीक्षण करने की सलाह दे रही है। इतना ही नहीं कांग्रेस शासन काल के समय से पार्टी के वरिष्ठ नेता और अहीर बेल्ट में प्रमुख चेहरा कैप्टन अजय यादव भी  भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विरुद्ध आवाज उठाते रहे हैं। वह ओबीसी विंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने चुनाव के नतीजे आ जाने के बाद नाराजगी जाहिर की। यह भी बताया जा रहा है कि खुद राहुल गांधी कांग्रेस के अंदर गुटबाजी और कलह को लेकर बहुत ज्यादा नाराज हैं। इस कारण संगठन में बड़े बदलाव हो सकते हैं। विधायक चुने जाने के बाद विधायक दल का नया नेता चुना जा सकता है।

दलित कार्ड खेल सकती है कांग्रेस

हरियाणा के अंदर गैर जाट की राजनीति ओबीसी कार्ड व दलित कार्ड को लेकर कांग्रेस आलाकमान ने गंभीरता से चिंतन मंथन शुरू कर दिया है। भाजपा ने हरियाणा में अपने पिछले 10 साल के शासनकाल में गैर जाट नेताओं मनोहर लाल खट्टर और ओबीसी कार्ड खेलते हुए नायब सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया। वहीं नायब सैनी को ही अब आगे भी जिम्मेदारी दिए जाने की घोषणा कर दी है। विधानसभा चुनाव नतीजों का विश्लेषण करने के बाद एक बात यह सामने आ रही है कि अब हरियाणा के अंदर जाट बनाम गैर जाट का फैक्टर हावी रहा है। हरियाणा में जाट समुदाय की आबादी के मुकाबले गैर जाट समुदाय की आबादी बहुत ज्यादा है।

हरियाणा में जातिगत समीकरण

हरियाणा में जाट समुदाय की 25 फीसदी के लगभग आबादी और दलित 21 फ़ीसदी, पंजाबी 8 फीसदी, ब्राह्मण 7.5 व अहीर समाज 5.14 फीसदी हैं। वैश्य समुदाय 5 फीसदी, राजपूत समुदाय 3.4, सैनी समुदाय 2.9 और मुसलमान समुदाय 3.8 प्रतिशत आबादी रखता है। यह माना जा रहा है कि प्रदेश के अंदर कांग्रेस भी आने वाले समय में गैर जाट कार्ड खेल सकती है ताकि कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाया जा सके। भाजपा ने भी गैर जाट समुदाय को साथ कर अपने पक्ष में ध्रुवीकरण का माहौल तैयार कर लिया था जिसमें कांग्रेस पीछे रह गई।

5379487