हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों के बीच गठबंधन को लेकर गणित का क्ववेश्चन पेपर सबके सामने आ चुका है। राजनीतिक विश्लेषक जहां इस पेपर को सुलझाकर चुनावी नतीजों का अनुमान जुटा रहे हैं, वहीं सट्टा बाजार भी सुरक्षित दांव खेलने के लिए माथापच्ची कर रहा है।
खास बात है कि ज्यादातर राजनीतिक विश्लेषकों और सट्टा बाजार का अनुमान अभी अलग-अलग दिशा में घूम रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो आम आदमी पार्टी से गठबंधन टूटने के बाद कांग्रेस को नुकसान होगा, लेकिन सट्टा किंग इसके विपरीत इस स्थिति में भी कांग्रेस को मजबूत मान रहा है। तो चलिये इसके पीछे की वजह जानते हैं, लेकिन इससे पहले बताते हैं कि राजनीतिक विश्लेषक आप से गठबंधन न होना कांग्रेस के लिए हानिकारक क्यों माना जा रहा है।
आप ने हमेशा कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया?
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि आम आदमी पार्टी ने हमेशा से कांग्रेस को राजनीतिक रूप से नुकसान पहुंचाया है। दिल्ली हो या फिर पंजाब, आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस की सरकार को सत्ता से बेदखल किया है। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आप ने दिल्ली और हरियाणा में गठबंधन किया, जबकि पंजाब में कांग्रेस और आप ने अकेले चुनाव लड़ा।
यह गठबंधन दिल्ली में हार गया और एक भी सीट नहीं मिली, जबकि पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से 7 सीटों पर कांग्रेस और 3 सीटों पर आप विजयी रही। शिरोमणि अकाली दल के खाते में एक और अन्यों के खाते में दो सीटें गईं। हरियाणा लोकसभा चुनाव की बात करें तो यहां भी आप और कांग्रेस ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा। आप ने कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से अपने प्रत्याशी सुशील गुप्ता को मैदान में उतारा, जबकि शेष 9 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार उतारे।
खास बात है कि 10 लोकसभा सीटों वाले इस प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी को 5-5 सीटें मिलीं। आम आदमी पार्टी की बात करें तो कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा। मतलब यह कि आप से गठबंधन करना कांग्रेस के लिए फायदेमंद भरा साबित हुआ। यही वजह रही कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी हरियाणा विधानसभा चुनाव में आप से गठबंधन चाहते थे।
गठबंधन को लेकर बातचीत भी शुरू हो चुकी थी। बातचीत आगे बढ़ने के साथ प्रदेश के क़ुछ कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी सामने आने लगी। इन खबरों से आम आदमी पार्टी में बेचैनी बढ़ने लगी। हरियाणा आप के प्रभारी सुशील गुप्ता ने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी होने के एक दिन पहले मीडिया से बातचीत में कहा था कि मैंने सभी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है।
इसके अलावा, आप के दिग्गज नेताओं ने भी दावा किया था कि गठबंधन नहीं होगा तो अकेले चुनाव लड़ने के लिए भी पूरी तरह से तैयार हैं। फिर वही हुआ, जिसकी आशंका जताई जा रही थी। गठबंधन पर बातचीत न होने के चलते आप ने 20 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी। यह सूची जारी होते ही कांग्रेस में हड़कंप मच गया। आज भी कांग्रेस विलाप कर रही है कि गठबंधन टूटने से बीजेपी को फायदा होगा।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने भी आज बयान दिया है कि आप के चुनाव लड़ने से कांग्रेस के वोट कटेंगे, जिसका फायदा बीजेपी को होगा। ज्यादातर राजनीतिक विश्लेषक भी यही मानते हैं कि आप के चुनाव लड़ने से कांग्रेस को ज्यादा नुकसान होगा, लेकिन सट्टा बाजार का आकलन देखें तो आप से गठबंधन टूटने के बावजूद कांग्रेस की स्थिति मजबूत है। आगे जानिये सट्टा किंग को ऐसा क्यों लगता है।
सत्ता विरोधी लहर कांग्रेस के पक्ष में जाएगी?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सट्टा बाजार का मानना है कि आप से गठबंधन न होने का असर कांग्रेस पर अधिक नहीं पड़ेगा। इसके पीछे की वजह यह मानी जा रही है कि पिछले घटनाक्रमों से आप की राजनीतिक छवि को नुकसान पहुंचा है। हरियाणा की जनता भी जानती है कि आप अकेले चुनाव नहीं जीत सकती है। ऐसे में सत्ता विरोधी लहर कांग्रेस के पक्ष में जाएगी।
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सट्टा बाजार यह भी अनुमान जता रहा है कि कांग्रेस हो या फिर बीजेपी, स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं कर सकेगी। चूंकि जेजेपी-एएसपी और इनेलो-बीएसपी गठबंधन भी चुनाव लड़ रहे हैं, लिहाजा इन दलों में से किसी एक के हाथ में सत्ता की चाबी पहुंच सकती है। अगर जोड़तोड़ करके सरकार बनानी होगी तो यह भी कांग्रेस के पक्ष में जा सकता है। इसके अलावा भी कई वजह हैं, जिस पर सट्टा बाजार मंथन कर आखिरी दांव लगाएगा।