Lok Sabha Election 2024: हरियाणा में बीजेपी के साथ करीब साढ़े चार साल तक सरकार चलाने वाली जेजेपी अब बिखरती दिख रही है। जेजेपी के राज्य अध्यक्ष निशान सिंह, पूर्व विधायक सतविंदर राणा और राष्ट्रीय महासचिव कमलेश सैनी पार्टी को छोड़ चुके हैं, वहीं कई अन्य नेताओं के भी पार्टी से छोड़ने की चर्चाएं चल रही हैं। ऐसे में दुष्यंत चौटाला अपनी पार्टी नेताओं को मनाने का असफल प्रयास कर चुके हैं। यही कारण है कि दुष्यंत चौटाला ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा कि अपनों से जंग हो तो हारना ही बेहतर है। उधर, इनेलो ने जजपा के साथ चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। हालांकि इनेलो की नजर जेजेपी के वोट बैंक पर जरूर है।
इनेलो के प्रदेशाध्यक्ष रामपाल माजरा ने एक्स पर लिखा कि जिन्होंने हरियाणा प्रदेश के लोगों से गद्दारी की, उनसे इनेलो पार्टी का कोई वास्ता नहीं है। साथ ही, एक अन्य बयान में लोगों से आह्वान किया कि इनेलो को छोड़कर किसी कारणवश अन्य दल का दामन थामा है, तो अब समय आ गया है कि हरियाणा विरोधी ताकतों से लड़ने के लिए और किसानों कमेरों का राज फिर लाने के लिए एक साथ आना होगा।
इनेलो के टूटने के बाद बनी जेजेपी
पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व में बने इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के टूटने के बाद जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) बनाया गया था। इनेलो के हेड ओमप्रकाश चौटाला के बेटे अजय चौटाला और पोते दुष्यंत चौटाला जेजेपी के संस्थापक नेताओं का हिस्सा हैं। वहीं, उनके छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला के हाथों में इनेलो पार्टी की जिम्मेदारी है।
2019 में आप को साथ किया था गठबंधन
आपको बता दें कि इनेलो से अलग हो कर जब जेजेपी बनी उसके बाद साल 2019 में आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर गठबंधन कर लोकसभा चुनाव लड़ चुकी है। उस समय आम ने तीन और जेजेपी ने सात लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन उस समय राज्य में आप, जेजेपी, कांग्रेस और इनेलो के उम्मीदवारों को हराते हुए बीजेपी ने सभी 10 सीटों पर अच्छी खासी जीत हासिल की थी।
असफल रहे दुष्यंत चौटाला
वहीं, जेजेपी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष होने के नाते दुष्यंत चौटाला ने अपनी पार्टी के नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश की लेकिन उनका यह प्रयास असफल रहा। कहा जा रहा है कि अब बीजेपी और जजपा के गठबंधन के सूत्रधार रह चुके कैप्टन मीनू बेनीवाल भी बीजेपी में शामिल होने वाले हैं। इस चलते दुष्यंत चौटाला को सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा कि जब लड़ाई अपनों से ही हो तो हार मान लेना अच्छा होता है।
Also Read: हरियाणा में BJP को झटका: पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने थामा कांग्रेस का हाथ