2024 लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले प्रदेश भाजपा में हुए बदलाव के बाद बर्नी खाई कम होने की बजाय बढ़ती जा रही है। कोई टिकट नहीं मिलने से नाराज तो कोई पार्टी के नीतिगत फैसलों में शामिल नहीं होने से खफा। जिसका असर लोकसभा चुनावों में पार्टी उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार में भी देखने को मिल रहा है। पार्टी के दिग्गज नेता अपने क्षेत्र में पार्टी उम्मीदवारों के साथ मंच सांझा करने से बच रहे हैं। जिसका मतदाताओं में गलत संदेश जा रहा है। बिखराव के मुहाने पर खड़े परिवार (पार्टी) को एकजुट करने की जिम्मेदारी अब स्वयं मुख्यमंत्री ने उठाते हुए पार्टी से नाराज चल रहे सीनियर नेता कुलदीप बिश्नोई से दिल्ली में जाकर मुलाकात की। जिसके बाद मुख्यमंत्री ने पार्टी में विरोधाभास को नकराते हुए कहा कि ऑल इज वेल। इसका कितना असर होगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
पहले भी हो चुके हैं प्रयास
पार्टी की नाराजगी की चर्चाओं के बीच कुलदीप बिश्नोई से मिलने दिल्ली पहुंचे मुख्यमंत्री इससे पहले मुख्यमंत्री बदलने की बात छुपाने से नाराज चल रहे अनिल विज से अंबाला स्थित उनके आवास पर जाकर मुलाकात कर चुके हैं। जहां अनिल विज ने मुख्यमंत्री नायब सैनी को अपना छोटा भाई बताते हुए उनका स्वागत सत्कार किया, परंतु अनिल विज के बयानों में उनकी नाराजगी की झलक आज भी देखने को मिलती है।
दिल्ली में भी कुलदीप बिश्नोई ने अपनी पत्नी एवं पूर्व विधायक रेणुका बिश्नोई व विधायक बेटे भव्य के साथ मुख्यमंत्री की गर्मजोशी से आवागनी की, परंतु धरातल पर इसका असर चुनाव प्रचार में कुलदीप बिश्नोई के साथ उनकी पत्नी व बेटे की ग्राउंड पर सक्रियता व चुनाव नतीजों में उनके प्रभाव वाले क्षेत्रों में पार्टी उम्मीदवार को मिलने वाले वोटों के बाद ही पता चल पाएगा।
हर जगह सिर फटवल वाली स्थिति
भाजपा देश की टॉप अनुशासित पार्टिंयों में से एक मानी जाती है। 2024 के लोकसभा चुनावों में टिकट वितरण के बाद से आए दिन पार्टी की अनुशासहिनता के किस्से सुनने व देखने को मिलते हैं। प्रदेश के 10 लोकसभा क्षेत्रों में से एक भी इससे अछूता नहीं है। प्रत्येक लोकसभा टिकट में दौड़ में शामिल हर नेता न केवल पार्टी उम्मीदवार से दूरी बनाकर चल रहा है, बल्कि सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी उजगार करने में भी संकोच नहीं दिखा रहे हैं। जिससे मतदाताओं के बीच पार्टी की एकजुटता को लेकर गलत संदेश जा रहा है।
अंदरखाते भी फफक रही विरोध की चिंगारी
भले ही कुछ पार्टी नेता मंच से अपनी नाराजगी सार्वजनिक रूप से जाहिर कर रहे हो, परंतु पार्टी के अंदर भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। सिरसा में निवर्तमान सांसद सुनीता दुग्गल, सोनीपत में निवर्तमान सांसद रमेश कौशिक, हिसार में कुलदीप बिश्नोई एंड फैमिली, गुरुग्राम में राव इंद्रजीत सिंह के बाद अहीरवाल के दूसरा बड़ा चेहरे बन चुके पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह व पूर्व सांसद सुधा यादव, रोहतक में पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर व ओमप्रकाश धनखड़, अंबाला में पूर्व मंत्री अनिल विज अपने क्षेत्रों में तो प्रभावशाली है ही, प्रदेश में भी इनका प्रभाव माना जाता है। बावजूद इसके चुनावी मौसम में इन नेताओं की सक्रियता बहुत कम दिखने को मिल रही है।
पुरानी अदावत पड़ रही भारी
राव इंद्रजीत सिंह व राव नरबीर सिंह के बीच राजनीतिक अदावत बहुत पुरानी है तथा मौका मिलते ही दोनों एक दूसरे पर राजनीतिक निशाना साधने में कभी संकोच नहीं दिखाते। राव नरबीर सिंह 2019 के चुनाव में बादशाहपुर से अपनी टिकट कटने का दोष भी राव इंद्रजीत सिंह पर मढते रहे हैं। रोहतक में मनीष ग्रोवर व डॉ. अरविंद शर्मा का विवाद लंबे समय तक सुर्खियां बना था। जिससे दोनों के बीच बने मतभेदों का असर लोकसभा चुनाव के प्रचार में भी देखने को मिल रहा है। सिरसा में भाजपा की लड़ाई सैलजा से अधिक अशोक तंवर के खिलाफ रही है।
ऐसे में अब भाजपा नेता व कार्यकर्ता अशोक तंवर के साथ काम करने में खुद को असहज महसूस कर रहे हैं। भिवानी- महेंद्रगढ़ सीट पर ओमप्रकाश यादव के मंत्रीमंडल से बाहर होने से राव इंद्रजीत सिंह समर्थकों में नाराजगी देखने को मिल रही है। हिसार में स्थिति इसके उलट है, जहां टिकट की दौड़ में शामिल रहे नेता ही रणजीत के साथ खड़े दिखाई नहीं दे रहे हैं।
29 की आदमपुर रैली पर नजर
भाजपा नेतृत्व में मतदाताओं के मन से कुलदीप बिश्नोई एंड फैमिली की नाराजगी के भ्रम को दूर करने के लिए आमदपुर में 29 अप्रैल को रैली करने का कार्यक्रम निर्धारित किया है। कुलदीप बिश्नोई एंड फैमिली आदमपुर में होने वाली रैली के मंच पर दिखे तो भाजपा काफी हद तक अपने इस प्रयास में सफल होगी। जिसका फायदा चुनाव में पार्टी उम्मीदवार रणजीत चौटाला के पक्ष में देखने को मिल सकता है।