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हरियाणा में प्रदेश कांग्रेस में दिल्ली कांग्रेस हाईकमान द्वारा दखल के बावजूद भी बात नहीं बन रही। हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी और धड़े बंदी थमने का नाम नहीं ले रही, जिसको लेकर कांग्रेसी दिग्गज बेहद ही चिंतित हैं। हुड्डा व एसआरके गुट में खींचतान बढ़ रही है।

योगेंद्र शर्मा, हरियाणा: प्रदेश कांग्रेस में दिल्ली कांग्रेस हाईकमान द्वारा दखल के बावजूद भी बात नहीं बन रही। हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी और धड़े बंदी थमने का नाम नहीं ले रही, जिसको लेकर कांग्रेसी दिग्गज बेहद ही चिंतित हैं। लोकसभा चुनावों के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व वाले धड़े के साथ में अधिकांश सांसद व विधायक शामिल हैं। एसआरबी (सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और बीरेंद्र सिंह) गुट में खींचतान लगातार बढ़ रही है। हरियाणा में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में उत्साहजनक प्रदर्शन किया, क्योंकि इस बार दस लोकसभा सीटों में से पांच कांग्रेस के पाले में गई हैं।

सीएम पद के लिए दावा ठोक रहे दोनों गुट

कांग्रेस के दोनों गुटों की ओर से लगातार सीएम पद पर दावे ठोके जा रहे हैं। सैलजा, सुरजेवाला और बीरेंद्र सिंह गुट खुद को असल दावेदार मानते हैं। इतना ही नहीं, इस गुट के नेता खुद को सीएम का चेहरा बताते हुए पोस्टर जारी कर रहे हैं। कुल मिलाकर हाईकमान द्वारा लाख चेतावनी के बाद भी प्रदेश के अंदर सैलजा गुट के पोस्टर जारी करने को लेकर माहौल गर्मा गया है। पोस्टर से पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा गायब हैं, जो खुलकर आंतरिक कलह की ओर इशारा करता है। एसआरबी गुट सिरसा एमपी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला, बीरेंद्र डूमरखां की हुड्डा गुट से बिल्कुल नहीं बन रही है।

चार सांसद हुड्डा गुट के बने

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और जूनियर हुड्डा सांसद रोहतक दीपेंद्र हुड्डा हर हल्के में जाकर भाजपा सरकार से हिसाब मांग रहे हैं। जनसभाएं कर रहे हैं, उनके साथ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उदय भान भी सक्रिय हैं। वहीं, हिसाब दो अभियान को देखते हुए सैलजा गुट ने संदेश यात्रा निकालनी शुरू कर दी है। ये यात्रा हुड्डा गुट के अभियान का जवाब मानी जा रही है। वैसे, नवनिर्वाचित पांच में से चार सांसद हुड्डा गुट के साथ हैं। दीपेंद्र, हिसार सांसद जयप्रकाश सिंह, अंबाला सांसद वरुण चौधरी और सोनीपत सांसद सतपाल ब्रह्मचारी को हुड्डा गुट से माना जाता है। सैलजा सिरसा लोकसभा सीट से इस बार भारी मतों से जीतकर आई हैं।

गुटबाजी व कलह के कारण किरण कर गई बाय बाय

पार्टी की वरिष्ठ नेता और विधायक किरण चौधरी स्वर्गीय सुरेंद्र सिंह की पत्नी हैं। जो इस परिवार की सियासी विरासत को संभाल रही हैं। यहां पर बता दें कि हुड्डा की धुर विरोधी नेता और तोशाम सीट से विधायक किरण चौधरी इसी कलह और खींचतान के कारण भाजपा ज्वाइन कर चुकी हैं। खास बात यह है कि उनकी बेटी श्रुति चौधरी भी उनके साथ में भाजपा में जा चुकी हैं, श्रुति पहले सांसद रह चुकी हैं।

कई अन्य कांग्रेसी नेताओं को लेकर भी चर्चा का माहौल

विस चुनावों से ठीक पहले कुछ अन्य कांग्रेसी नेताओं के नाम भी जोर-शोर से चर्चा में चल रहे हैं। किरण चौधरी और उनकी बेटी की तरह ही कुछ अन्य नेता भी उनकी राह पर चलने की तैयारी में हैं। दरअसल, विधानसभा चुनावों में टिकट के चाहने वाले भी एन वक्त पर टिकट कट जाने की सूरत में पार्टी को बाय बाय कर सकते हैं। फिलहाल, इस बार कांग्रेस के पास में टिकट चाहने वालों की भी लंबी लाइन है। कुल मिलाकर 90 सीटों पर टिकट के लिए आवेदन लिए जा रहे हैं। इसकी डेट भी दस अगस्त तक बढ़ा दी गई है, फिलहाल, 1600 लोगों ने आवेदन दे दिए हैं। इसके बाद भी यह सिलसिला जारी है।

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